हाल ही में, सेबी ने भारत में स्मॉलकैप म्यूचुअल फंड पर एक स्ट्रेस टेस्ट किया। यह एक तरह की “फायर ड्रिल” है जो यह देखने के लिए किया जाता है कि क्या स्मॉलकैप म्यूचुअल फंड बाजार में अचानक उतार-चढ़ाव या निवेशकों द्वारा भारी मात्रा में पैसे निकाले जाने (रेडेंप्शन) की स्थिति को संभाल सकते हैं। गौर करने वाली बात है कि स्मॉलकैप फंड छोटी कंपनियों में निवेश करते हैं, जिनके शेयरों को बड़ी कंपनियों की तुलना में बेचना मुश्किल हो सकता है।
फंड हाउसों ने अपनी मिडकैप और स्मॉलकैप स्कीम के लिए स्ट्रेस टेस्ट के परिणामों को बताना शुरू कर दिया है। वे हर महीने की 15 तारीख तक टेस्ट परिणाम घोषित करेंगे।
स्ट्रेस टेस्ट क्या है?
यह टेस्ट यह जांच करेगा कि स्मॉलकैप और मिडकैप फंड कितनी जल्दी अपनी 25 फीसदी और 50 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकते हैं।
स्ट्रेस टेस्ट की जरूरत क्यों है?
सेबी और एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (Amfi) मिडकैप और स्मॉलकैप फंडों में बड़ी मात्रा में निवेशकों के पैसे (लगभग 64,000 करोड़ रुपये) डाले जाने को लेकर चिंतित हैं।
वैल्यू रिसर्च ने एक नोट में कहा, “इस समस्या का समाधान करने के लिए, नियामकों ने फंड हाउसों को लिक्विडिटी एनालिसिस करने का निर्देश दिया है। यह विश्लेषण आकलन करेगा कि किसी भी फंड को अपने पोर्टफोलियो का 25% और 50% बेचने में कितने दिन लगेंगे। इस टेस्ट से पता चलेगा कि यदि निवेशक बाजार में गिरावट के दौरान सामूहिक रूप से अपना पैसा निकालना चाहते हैं तो फंड कितनी जल्दी अपनी हिस्सेदारी बेच सकते हैं।”
“जो लोग शुरुआत कर रहे हैं, मिड-कैप और स्मॉलकैप फंडों में निवेश करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे- जब इन फंडों की संपत्ति का आकार बढ़ता है, तो उन्हें कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मुख्य चिंता पोर्टफोलियो लिक्विडिटी है। इसका मतलब है कि जब बड़ी संख्या में निवेशक अपना पैसा निकालना चाहते हैं (जिसे रिडेंप्शन कहा जाता है), तो फंड को अपनी सभी संपत्तियों को जल्दी से बेचने में कठिनाई हो सकती है।”
रिजल्ट से पता चला कि भारत के टॉप छह स्मॉलकैप फंडों को अपनी 50% एसेट को बेचने में 20 दिन से अधिक का समय लग सकता है।
SBI MF, जो 25,500 करोड़ रुपये के कोष के साथ तीसरी सबसे बड़ी स्मॉलकैप स्कीम को मैनेज करता है। अनुमान है कि उसे फंड की आधी संपत्ति बेचने में 60 दिन और इसका एक चौथाई हिस्सा बेचने में 12 दिन की जरूरत होगी।
हालांकि, फंड हाउस को भरोसा है कि अगर रेडेंप्शन में बढ़ोतरी होगी तो उसे स्कीम संभाल लेगी। Nippon India MF की स्मॉलकैप योजनाएं, जो 46,000 करोड़ रुपये के AUM के साथ कैटेगरी में सबसे बड़ी हैं। उसे पोर्टफोलियो का आधा हिस्सा खत्म करने में (liquidate) 27 दिनों की जरूरत होगी।
SBI MF के अलावा, एचडीएफसी, टाटा, कोटक और डीएसपी म्यूचुअल फंड को अपने स्मॉलकैप फंड पोर्टफोलियो का 50 प्रतिशत बेचने के लिए 30 दिनों से अधिक समय लगेगा। टाटा और डीएसपी अपनी स्मॉलकैप स्कीम को “ट्रू-टू-द-लेबल” रणनीति के साथ मैनेज करते हैं। इसका मतलब है कि वे लगभग 90 प्रतिशत कॉर्पस को स्मॉलकैप शेयरों में निवेश करते हैं। वहीं, अन्य बड़ी स्कीम के मामले में आवंटन का प्रतिशत 65-80 रहता है।
5,000 करोड़ रुपये से कम AUM वाली सभी स्कीम में कहा गया है कि 50 फीसदी संपत्ति पांच दिनों के भीतर बेची जा सकती है।
यह खबर कुछ निवेशकों को चिंता में डाल सकती है। आइए इसके प्रभावों को समझें और आपके लिए इसका क्या मतलब है:
छोटी अवधि में छोटी कंपनियों के शेयरों (होल्डिंग्स) का बड़ा हिस्सा बेचना मुश्किल हो सकता है।
कम लिक्विडिटी: छोटी कंपनियों के शेयरों (स्मॉलकैप) का कारोबार बड़ी कंपनियों के शेयरों (लार्जकैप) की तुलना में कम होता है। इसका मतलब यह है कि छोटी कंपनियों के शेयरों को खरीदने और बेचने वाले लोगों की संख्या कम होती है।
कीमत पर असर: यदि कोई एक बार में बड़ी मात्रा में छोटी कंपनियों के शेयरों (स्मॉलकैप) को बेचने की कोशिश करता है, तो शेयरों की कीमतें गिर सकती हैं।
सही खरीदार ढूंढना: सभी निवेशक छोटी कंपनियों के शेयरों में निवेश करने में रुचि नहीं रखते हैं। इन शेयरों को खरीदने के इच्छुक संस्थागत निवेशकों या अन्य फंडों को ढूंढने में समय लग सकता है।
सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) द्वारा किए गए स्ट्रेस टेस्ट के परिणामों से पता चला है कि स्मॉलकैप फंडों में तरलता का जोखिम हो सकता है। यह आपको कैसे प्रभावित कर सकता है? आइए जानते हैं:
आपके पैसे का एक्सेस: यदि स्मॉल कैप फंड में निवेश किया हुआ पैसा आपको अचानक वापस चाहिए, तो इसे पाने में ज्यादा समय लग सकता है। यदि आपका शॉर्ट टर्म फाइनेंशियल गोल है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है।
बाजार में अस्थिरता: जब बाजार में उतार-चढ़ाव होता है, तो निवेशक अपने शेयरों को बेचना चाहते हैं। इससे फंड को अपनी संपत्ति को जल्दी से बेचने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है, जिससे शेयरों की कीमतें गिर सकती हैं और आपको नुकसान हो सकता है।
MF क्या कहते हैं?
रिजल्ट में पता चला है कि लंबी अवधि में, सबसे अच्छा परफॉर्म करने वाले स्मॉलकैप फंडों में भी लिक्विडेशन का समय अधिक हो सकता है। लेकिन सभी स्मॉलकैप फंड एक जैसे नहीं होते हैं। कुछ फंड अपनी हिस्सेदारी बेचने में दूसरों की तुलना में अधिक बेहतर होते हैं। निवेशकों को यह समझने के लिए कुछ उपाय अपनाने चाहिए।
जानें, आप क्या कर सकते हैं?
1. अपना निवेश एक ही जगह न लगाएं। विभिन्न प्रकार के फंडों में निवेश करें, जैसे लार्ज-कैप फंड, डेट इंस्ट्रूमेंट और गोल्ड। इससे आपका जोखिम कम होगा और आपको बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
2. ऐसे फंड चुनें जिनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा हो, जिनकी निवेश रणनीति स्पष्ट हो और जो लिक्विडिटी के बारे में पारदर्शी हों।
3. यदि आपको जल्द ही पैसे की जरूरत है, तो स्मॉलकैप फंड आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प नहीं हैं।
सुरक्षित रहें और मिडकैप और स्मॉलकैप फंडों में कम से कम 7 साल के लिए निवेश करें। आपातकालीन पैसे को इन फंडों में नहीं लगाना चाहिए। मिडकैप में 20-30% और स्मॉलकैप में 10-20% निवेश करें। नियमित रूप से अपने निवेश को रीबैलेंस करते रहें।