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अब SIF की हर स्कीम में नहीं लगेगा ₹10 लाख, SEBI ने दूर किया निवेशकों का कन्फ्यूजन

सेबी ने यह भी स्पष्ट किया है कि SIF के अंतराल आधारित निवेश स्ट्रैटेजी पर मच्योरिटी से जुड़े नए नियम लागू नहीं होंगे।

Last Updated- April 12, 2025 | 1:26 PM IST
Pst Office Saving scheme
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भारतीय बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने यह साफ किया है कि स्पेशलाइज्ड इनवेस्टमेंट फंड्स (SIF) के तहत किसी एक एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) की अलग-अलग स्ट्रैटेजीज़ में निवेश करने वालों को अब कम से कम ₹10 लाख का कुल निवेश करना जरूरी होगा। यह नियम एक-एक स्कीम के लिए नहीं, बल्कि पैन नंबर (PAN) के स्तर पर लागू होगा।

यानी अगर कोई निवेशक एक ही फंड हाउस की अलग-अलग SIF स्कीम्स में पैसा लगाता है, तो उसका कुल निवेश ₹10 लाख से कम नहीं होना चाहिए। सेबी ने कहा है कि इस नियम से निवेशकों के बीच जो भ्रम था, वह दूर होगा।

हालांकि, यह नियम एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के उन कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा जिनके लिए निवेश अनिवार्य है।

इसके अलावा, सेबी ने यह भी स्पष्ट किया है कि SIF के अंतराल आधारित निवेश स्ट्रैटेजी पर मच्योरिटी से जुड़े नए नियम लागू नहीं होंगे। यह नियम सिर्फ दूसरी इंटरवल स्कीम्स पर ही लागू होंगे, SIF के ऐसे निवेश प्लान्स पर नहीं।

SIFs क्या हैं और इनकी क्या भूमिका है?

म्यूचुअल फंड (MF) आमतौर पर ऐसे निवेशकों के लिए होते हैं जो सरल और सीमित निवेश विकल्प चाहते हैं। वहीं, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS) खासतौर पर उन निवेशकों के लिए होती है जो अपनी जरूरत के हिसाब से अलग रणनीतियां अपनाना चाहते हैं। ऐसे में SIFs यानी Separately Invested Funds म्यूचुअल फंड और PMS के बीच की खाई को पाटने का काम करते हैं।

SIFs उन निवेशकों के लिए बेहतर होते हैं जो ज्यादा लचीलापन चाहते हैं और अपने पोर्टफोलियो को बेहतर ढंग से मैनेज करना चाहते हैं। ये खासकर हाई-नेट-वर्थ व्यक्तियों (HNIs) और अनुभवी निवेशकों के लिए बनाए गए हैं जो सामान्य म्यूचुअल फंड से अलग और ज्यादा विकल्पों की तलाश में रहते हैं।

SIFs की खासियत यह है कि इनके जरिए एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMCs) खास रणनीतियों वाले फंड्स लॉन्च कर सकती हैं जैसे–

लॉन्ग-शॉर्ट इक्विटी रणनीति

  • सेक्टोरल रोटेशन (यानी अलग-अलग सेक्टरों में निवेश बदलते रहना)
  • मल्टी-एसेट डाइवर्सिफिकेशन (यानि अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश का संतुलन बनाना)
  • ये सब रणनीतियां ऐसे अवसरों को पकड़ने में मदद करती हैं जो सामान्य म्यूचुअल फंड अपने सीमित दायरे की वजह से नहीं अपना सकते।

SIF में कम से कम ₹10 लाख के निवेश की जरूरत, जानिए आसान भाषा में पूरी जानकारी

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Sebi) ने स्पेशल इंवेस्टमेंट फंड (SIF) से जुड़े ₹10 लाख के न्यूनतम निवेश नियम को लेकर स्थिति साफ की है। इससे निवेशकों के लिए यह समझना आसान हो गया है कि उन्हें कितना पैसा और कैसे निवेश करना होगा। यहां हम इसे आसान हिंदी में समझा रहे हैं:

1. PAN के आधार पर जोड़ा जाएगा निवेश

अगर कोई निवेशक एक ही एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) की अलग-अलग SIF स्कीमों में पैसा लगाता है, तो हर स्कीम में अलग-अलग ₹10 लाख लगाने की जरूरत नहीं है। निवेशक का कुल निवेश (सभी स्कीमों में मिलाकर) उसके PAN नंबर पर ₹10 लाख या उससे ज्यादा होना चाहिए।

2. SIP, SWP और STP जैसे विकल्प भी मान्य

निवेशक SIP (सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान), SWP (सिस्टेमेटिक विदड्रॉल प्लान) या STP (सिस्टेमेटिक ट्रांसफर प्लान) के जरिए भी निवेश कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि इन सभी योजनाओं में कुल निवेश की रकम ₹10 लाख से कम नहीं होनी चाहिए।

अगर बाजार में गिरावट की वजह से निवेश की कीमत ₹10 लाख से नीचे चली जाती है, तो निवेशक को उस फंड से पूरा पैसा निकालना पड़ेगा यानी फुल रिडेम्पशन करना होगा।

3. विशेष निवेशकों को छूट

जिन निवेशकों को “Accredited Investor” माना गया है, उन्हें ₹10 लाख की इस न्यूनतम निवेश शर्त से छूट दी गई है। यानी वे कम रकम से भी SIF में निवेश कर सकते हैं।

निवेशकों पर असर:

SEBI के नए सर्कुलर से उन निवेशकों की परेशानी कम होगी जो एक ही एएमसी (AMC) के तहत कई SIF (Small and Medium Investment Funds) योजनाओं में पैसा लगाकर पोर्टफोलियो को विविध बनाना चाहते हैं। अब SEBI ने साफ कर दिया है कि ₹10 लाख की न्यूनतम निवेश सीमा पैन नंबर (PAN) स्तर पर लागू होगी, न कि हर स्कीम पर अलग-अलग। इससे निवेशकों को अलग-अलग योजनाओं के लिए न्यूनतम रकम जुटाने की चिंता नहीं रहेगी और वे अपनी पूंजी को बेहतर तरीके से निवेश कर पाएंगे।

इसके साथ ही, SEBI ने SIF योजनाओं में सिस्टमैटिक निवेश यानी किस्तों में निवेश करने का विकल्प भी शुरू किया है। इससे उन लोगों को फायदा होगा जो एक साथ बड़ी रकम निवेश करने की बजाय धीरे-धीरे निवेश करना पसंद करते हैं। इस बदलाव से SIF में निवेश करना आसान और नियमों के तहत हो सकेगा।

एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) के लिए क्या मायने रखती है सेबी की नई व्यवस्था?

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की नई गाइडलाइंस एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) के लिए बड़े निवेशकों को आकर्षित करने का एक नया मौका लेकर आई हैं। अब ये कंपनियां हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) और संस्थागत निवेशकों को ध्यान में रखते हुए इनोवेटिव और फ्लेक्सिबल इन्वेस्टमेंट प्लान तैयार कर सकती हैं।

हालांकि, इसके साथ-साथ उन्हें कुछ जरूरी नियमों का भी सख्ती से पालन करना होगा। इसमें सबसे अहम है—पोर्टफोलियो से जुड़ी पूरी जानकारी पारदर्शिता के साथ देना और जोखिम को संभालने के लिए तय नियमों का पालन करना।

PAN-लेवल एग्रीगेशन नियम का फायदा

सेबी का PAN-आधारित एग्रीगेशन नियम एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के लिए काम को आसान बनाता है। इसकी मदद से अब उन्हें हर स्कीम के लिए अलग-अलग सीमा की चिंता किए बिना, अलग-अलग रणनीतियों पर काम करने की छूट मिलती है। इससे उन्हें सिंगल इन्वेस्टमेंट फंड (SIF) के तहत बेहतर योजनाएं तैयार करने का मौका मिलेगा।

कौन से AMC लॉन्च कर सकते हैं SIF?

सेबी के नियमों के मुताबिक, कोई भी AMC सिंगल इन्वेस्टमेंट फंड (SIF) तभी लॉन्च कर सकती है जब:

– वह कम से कम तीन साल से काम कर रही हो
– उसका औसतन एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) पिछले तीन सालों में ₹10,000 करोड़ या उससे ज्यादा रहा हो

First Published - April 12, 2025 | 1:26 PM IST

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