आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने के लिए सलाह बिल्कुल आसान है: अगर आपकी आय कर योग्य सीमा से कम है तो भी आपको अपना रिटर्न दाखिल करना चाहिए। इस प्रकार के रिटर्न को निल या निल आयकर रिटर्न (ITR) कहा जाता है।
पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलीसिटर्स के प्रिंसिपल एसोसिएट देवांश जैन समझाते हैं, ‘निल आईटीआर दाखिल करने का मतलब यह है कि आप कर अधिकारियों के लिए औपचारिक घोषणा करते हैं कि आपकी आय संबंधित वित्त वर्ष में कर योग्य सीमा से कम थी और उस अवधि के लिए आपकी कोई कर देनदारी नहीं है।’
रिटर्न दाखिल करने का ट्रैक रिकॉर्ड
आयकर अधिनियम के अनुसार, बुनियादी छूट सीमा से कम आय वाले लोगों के लिए रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य नहीं है। अकॉर्ड जूरिस की एसोसिएट स्मृति जायसवाल की सलाह है, ‘फिर भी करदाता को अनुपालन एवं वित्तीय रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए निल रिटर्न दाखिल करना चाहिए।’
अगर आपको पासपोर्ट के लिए आवेदन करना है या वीजा हासिल करना है तो निल रिटर्न आपके पते का सबूत बन जाता है। इसके अलावा अगर आप बैंक से ऋण लेना चाहते हैं तो उसे मंजूर कराने के लिए आपके आयकर रिटर्न की जरूरत पड़ती है।
बैंक आपके जमा पर ब्याज से टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) काट सकते हैं। ऐसे में रिफंड हासिल करने के लिए निल आईटीआर दाखिल करना आवश्यक है। इसी प्रकार कंसल्टेंट या फ्रीलांसरों को किए जाने वाले भुगतान पर संबंधित संस्थान भी टीडीएस काट सकते हैं।
क्लियरटैक्स के कर विशेषज्ञ मणिकंदन कहते हैं, ‘अगर ऐसे लोगों की आय कर के दायरे में नहीं आती है तो टीडीएस रिफंड का दावा करने के लिए निल आईटीआर दाखिल करना आवश्यक होता है।’
अगर आप पिछले वित्त वर्ष में हुए घाटे को आगे किसी आय के बदले घटवाना चाहते हैं तो उसे आगे बढ़ाने के लिए भी आपको निल रिटर्न दाखिल करना चाहिए।
विक्टोरियम लीगलिस एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स के मैनेजिंग पार्टनर आदित्य चोपड़ा बताते हैं, ‘इस रिटर्न के जरिये आपका घाटा या नुकसान रिकॉर्ड में आ जाता है और आगे कभी आय या फायदे के बदले में यह घाटा दिखाकर कर में कटौती कराई जा सकती है।’
निल रिटर्न आपकी आय के प्रमाण के रूप में भी कार्य करता है। जिनका अपना रोजगाह है या जिनकी आय नियमित नहीं है, उनके लिए यह बहुत अहम दस्तावेज है क्योंकि इससे वित्तीय मामलों में उनकी विश्वसनीयता बढ़ जाती है।
चोपड़ा ने कहा, ‘निल रिटर्न दाखिल करने से यह बात पक्की हो जाती है कि आप कर नियमों का अनुपालन करते हैं। इससे रिटर्न दाखिल न करने के लिए धारा 234 एफ के तहत संभावित जुर्माने से बचने में मदद मिलती है।’
सही आईटीआर फॉर्म
निल रिटर्न दाखिल करने के लिए उपयुक्त आईटीआर फॉर्म करदाता की आय श्रेणी और उसकी प्रकृति पर निर्भर करता है। टैक्समैन के उप महाप्रबंधक राहुल सिंह कहते हैं, ‘अगर आप भारत के निवासी हैं और आपकी आय में केवल ब्याज और वेतन अथवा पेंशन शामिल है तो आप अपना रिटर्न आईटीआर-1 के जरिये दाखिल कर सकते हैं।’
सिंघानिया ऐंड कंपनी की पार्टनर ऋतिका नैयर बताती हैं, ‘अगर आपकी आय में किसी व्यवसाय के जरिये आय अथवा पेशेवर आमदनी शामिल है तो आपको आईटीआर-2 अथवा आईटीआर -3 जैसे अलग फॉर्म के जरिये रिटर्न दाखिल करने की जरूरत होगी।’
रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य
करदाताओं की कुछ श्रेणियों के लिए आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य है। अगर किसी बैंक अथवा सहकारी बैंक के चालू खातों में जमा की गई कुल रकम 1 करोड़ रुपये से अधिक है तो आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य होता है।
अगर आपने खुद के लिए अथवा किसी अन्य व्यक्ति के लिए विदेश यात्रा पर 2 लाख रुपये से अधिक की रकम खर्च की है तो आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य है। इसी तरह अगर किसी करदाता ने साल में 1 लाख रुपये से अधिक का बिजली बिल चुकाया है तो आयकर रिटर्न दाखिल करना आवश्यक है।
निल आईटीआर दाखिल करते समय भी सटीक जानकारी देना महत्त्वूर्ण होता है। ऋतिका कहती हैं, ‘आय स्रोतों के आधार पर उचित आईटीआर फॉर्म का उपयोग करना चाहिए। आईटीआर फॉर्म में आपके द्वारा दी जाने वाली जानकारी सटीक होनी चाहिए। उसके सभी आय स्रोतों का उल्लेख किया जाना चाहिए। निल मूल्य वाले स्रोतों का भी उल्लेख किया जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि रिटर्न में आपकी वित्तीय स्थिति को बिल्कुल सटीक दर्शाया गया है।’