भारत में मार्च के दौरान औपचारिक नियुक्तियां में थोड़ा इजाफा हुआ। लिहाजा इसमें तीन महीने की गिरावट के बाद सीधे तौर पर सुधार हुआ है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के बुधवार को जारी मासिक आंकड़े के मुताबिक कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) की सदस्यता मार्च में 2 प्रतिशत बढ़कर 7,54,000 हो गई जबकि यह फरवरी में 7,39,000 थी। ईपीएफओ के आंकड़े सामाजिक सुरक्षा के लाभ व श्रम कानून के तहत आने वाली औपचारिक श्रम मार्केट की स्थिति को प्रदर्शित करते हैं। मार्च में बीते साल ईपीएफ में जुड़ने वाले नए सदस्यों की संख्या 7,47,146 थी।
इस साल मार्च में 7,54,000 नए सदस्य जुड़े थे और इसमें 18 से 25 आयु वर्ग के सदस्यों की संख्या 59 प्रतिशत (4,45,000) बढ़ी जबकि इस आयु वर्ग की एक महीने पहले हिस्सेदारी 57.7 प्रतिशत (4,27,000) थी। यह आयु वर्ग आमतौर पर श्रम बाजार में आने वाला पहला आयु वर्ग होता है। लिहाजा यह मजबूती प्रदर्शित करता है। मार्च में नए सदस्यों में महिलाओं की हिस्सेदारी गिरकर 27.6 प्रतिशत (2,08,000) हो गई जबकि यह फरवरी में 28.14 प्रतिशत (2,08,000) थी।
मार्च में शुद्ध जुड़े सदस्यों की संख्या बढ़कर 14.6 लाख हो गई। शुद्ध जुड़े सदस्यों की गणना सामाजिक सुरक्षा संगठन में जुड़े नए सदस्यों, सदस्यता छोड़ने वाले और पुराने सदस्यों की वापसी के आधार पर की जाती है। शुद्ध सदस्यता संख्या आमतौर पर अनंतिम होती है और इसमें अगले महीने आमतौर पर पर्याप्त संशोधन हो जाता है। इसलिए ईपीएफ की नई सदस्य संख्या को अधिक भरोसेमंद माना जाता है।
श्रम मंत्रालय ने बयान में बताया, ‘रोजगार के आंकड़े नियमित दुरुस्त किए जाने की प्रक्रिया के कारण डाटा बनाना सतत प्रक्रिया है। ऐसे में उपरोक्त नौकरी के आंकड़े अनंतिम हैं। इन आंकड़ों को संशोधित किया जाता है।
आंकड़ों के अनुसार मार्च में 13.2 लाख सदस्यों ने ईपीएफओ की सदस्यता छोड़ी व फिर से शामिल हुए। इससे सालाना 12.7 प्रत्यक्ष की स्पष्ट वृद्धि हुई। मंत्रालय ने बताया, ‘इन सदस्यों ने अपनी नौकरी छोड़ी और ईपीएफओ के दायरे में आने वाले संगठनों में फिर नौकरी शुरू की। इन सदस्यों ने नौकरी बदलने के दौरान ईपीएफओ के पूरे भुगतान की जगह कुल राशि के स्थानांतरण के विकल्प को चुना। इससे उनके दीर्घावधि वित्तीय कल्याण की रक्षा हुई और उनकी सामाजिक सुरक्षा के दायरे का विस्तार हुआ।’