आजकल मल्टी-असेट अलोकेशन (एमएए) फंड की काफी चर्चा हो रही है। हाल ही में कोटक म्युचुअल फंड का एमएए फंड आया तो उससे पहले ही श्रीराम असेट मैनेजमेंट कंपनी का मल्टी-असेट अलोकेशन फंड बंद हुआ। बैंक ऑफ इंडिया और क्वांटम के एनएफओ आने वाले हैं। इस श्रेणी में 13 फंड हैं, जो 35,601 करोड़ रुपये की संपत्ति संभालते हैं। 2022 में इन फंड का औसत रिटर्न 6.8 फीसदी ही था मगर इस साल अभी तक ये 11.9 फीसदी रिटर्न दिला चुके हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अनुसार इन फंडों को कम से कम तीन संपत्ति श्रेणियों में निवेश करना होगा और हर किसी में कम से कम 10 फीसदी निवेश जरूरी है। एमएए फंड आम तौर पर इक्विटी, डेट, कमोडिटी (सोना, चांदी) और रियल एस्टेट में निवेश करते हैं। कभीकभार रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (रीट) और इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट) में भी निवेश करते हैं।
ज्यादातर फंड 10-20 फीसदी रकम कमोडिटी में लगाते हैं और बाकी इक्विटी तथा डेट में लगाई जाती है। सैंक्टम वेल्थ के निवेश उत्पाद प्रमुख आलेख यादव कहते हैं, ‘हर फंड कंपनी का इक्विटी और डेट में आवंटन का अपना मॉडल होता है, जो आय, मूल्यांकन आदि पर निर्भर करता है।’ इक्विटी आवंटन केवल 20-30 फीसदी भी हो सकता है और 70-80 फीसदी तक भा जा सकता है।
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एमएए फंड में निवेशक को विविधता भरा पेशेवर तरीके से संभाला जा रहा पोर्टफोलियो मिलता है। शेयरखान में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और हेड – सुपर इन्वेस्टर्स गौतम कालिया के मुताबिक फंड कंपनी ही तय करती है कि संपत्ति का आवंटन कैसे करना है और रीबैलेंसिंग किस तरह की जानी है। जब फंड कंपनी रीबैलेंसिंग करती है तो निवेशक कर और एक्जिट लोड के बोझ से बच जाते हैं। यादव का कहना है कि इन फंडों के पोर्टफोलियो कम उतार-चढ़ाव वाले होते हैं और बाजार लुढ़कने पर इनमें मामूली गिरावट आती है।
एमएए फंड में संपत्ति आवंटन तय करने का काम फंड प्रबंधक के ही पास होता है। कालिया का कहना है कि उन निवेशकों को इससे परेशानी हो सकती है, जो निवेश का तौर-तरीका खुद तय करना चाहते हैं। इन फंडों में संपत्ति आवंटन इक्विटी और डेट के बीच बदलता रह सकता है, जिससे निवेशक किसी एक ही संपत्ति श्रेणी में निवेश बनाए नहीं रख पाते।
इन फंडों में निवेशकों को कई संपत्ति श्रेणियों में बेहतरीन निवेश चुने के लिए एक ही फंड कंपनी पर भरोसा करना पड़ता है। यादव कहते हैं, ‘तीन अलग-अलग फंडों में रकम लगाने से निवेशक को हर संपत्ति श्रेणी में अच्छा फंड प्रबंधक चुनने का मौका मिल सकता है।’
इन फंडों में हर निवेशक के लिए एक जैसा आवंटन होता है। जिस निवेशक की तिजोरी में काफी सोना पड़ा हो, उसे निवेश पोर्टफोलियो में सोना नहीं चाहिए होगा। हो सकता है कि वह जोखिमपसंद हो और इक्विटी में ज्यादा निवेश चाहता हो। यह भी हो सकता है कि वह जोखिम से दूर रहना चाहता हो और इक्विटी में एक पाई भी नहीं लगाना चाहता हो। मगर उनकी मर्जी के हिसाब से पोर्टफोलियो इन फंडों में नहीं मिलता।
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अगर आप थोड़ा-बहुत जोखिम पसंद करते हों, लंबे समय के लिए विविधता भरे पोर्टफोलियो में निवेश करना चाहते हों और निवेश के फैसले फंड कंपनी के हाथ में छोड़ सकते हों तो एमएए फंड आपके लिए है।
फिनोवेट के सह संस्थापक निहाल मोटा की राय है, ‘इक्विटी फंड में पहली बार रकम लगाने वाले जो लोग इसमें आने वाले उतार-चढ़ाव से वाकिफ नहीं हैं या संपत्ति आवंटन का फैसला नहीं कर सकते हैं, उन्हें एमएए फंड का साथ पकड़ना चाहिए।’ वह कहती हैं कि जो निवेशक अपना पोर्टफोलियो सक्रियता के साथ नहीं संभाल सकते या इक्विटी से पूरी तरह किनारा नहीं करना चाहते और अपनी पूंजी भी बचाना चाहते हैं, जिनके पास वित्तीय सलाहकार नहीं है और जो संपत्ति आवंटन का फैसला भी खुद नहीं कर सकते उनके लिए मल्टी-असेट अलोकेशन फंड सही हैं।
मगर ध्यान रहे कि पिछले सालों का रिटर्न और जोखिम समझकर ही फंड चुनना सही नहीं होगा क्योंकि किसी फंड का 40 फीसदी निवेश इक्विटी में हो सकता है और दूसरे का 70 फीसदी हो सकता है। इसलिए दोनों की सीधी तुलना नहीं की जा सकती।