आयकर रिटर्न फॉर्म (income tax return form) में हर साल कुछ न कुछ बदलाव कर दिया जाता है। करदाताओं को रिटर्न तैयार करने से पहले समझ लेना चाहिए कि क्या बदलाव किए गए हैं।
वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों से आय आयकर विभाग ने नए आयकर रिटर्न (आईटीआर) फॉर्म 2, 3, 5, 6 और 7 में “अनुसूची वीडीए” नाम की एक नई अनुसूची जोड़ी है। इसका मकसद करदाताओं से वर्चुअल डिजिटल असेट्स (वीडीए) के बारे में जानकारी लेना है, जिनमें क्रिप्टो करेंसी और नॉन-फंजिबल टोकन (एनएफटी) भी शामिल हैं।
करदाताओं को वीडीए की खरीद और बिक्री की तारीख समेत हरेक लेनदेन की जानकारी देनी होती है ताकि करदाता आसानी से जान सकें कि वीडीए से जुड़ी गतिविधियों पर कर अदा हुआ है या नहीं।
सीएनके में पार्टनर पल्लव प्रद्युम्न नारंग कहते हैं, ‘करदाताओं को ऐसी कोई भी जानकारी छोड़नी नहीं चाहिए क्योंकि वीडीए एक्सचेंज और देश में वैसी ही दूसरी इकाइयां नियम के मुताबिक विभाग को जानकारी मुहैया करा सकती हैं। करदाता का खुलासा अगर उससे मेल नहीं खाता है तो कर चुकाना पड़ सकता है।’
दान का प्रमाण
करदाताओं ने यदि कहीं दान किया है तो आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत करयोग्य आय में कटौती के लिए उन्हें एप्लिकेशन रेफरेंस नंबर (एआरएन) बताना होगा। एमवैक एडवोकेट्स ऐंड कंसल्टेंट्स के मैनेजिंग पार्टनर प्रत्यूष मिगलानी बताते हैं, ‘इसके लिए करदाताओं ने जिस संस्था में दान किया है, वहां फॉर्म 10बीई जमा करें और जारी हुए दान प्रमाणपत्र से एआरएन ले लें। उपयुक्त कटौती की सही जानकारी देने के लिए रिटर्न में एआरएन लिखा होना चाहिए।’
एआरएन अनूठी संदर्भ संख्या होती है, जो दान पाने वाली संस्था से जारी हुए फॉर्म 10बीई, दान प्रमाणपत्र या दान की रसीद में लिखी रहती है। नारंग कहते हैं, ‘इस अतिरिक्त जानकारी से धारा 80जी के तहत कटौती के लिए किए गए दान के दावे का सत्यापन हो जाता है। इससे सरकारी खजाने के चूना लगाने के मकसद से किए गए फर्जी दान पर अंकुश लगता है।’
इंट्राडे ट्रेडिंग से आय
इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में जानकारी का तरीका बदल गया है। पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलीसिटर्स में मैनेजिंग पार्टनर संदीप बजाज बताते हैं, ‘अब इंट्राडे ट्रेडिंग से होने वाले नफा-नुकसान को पूंजीगत लाभ से आय के बजाय कारोबारी आय माना जाएगा।’
नए आईटीआर फॉर्म में इंट्राडे ट्रेडिंग की जानकारी देने के लिए अलग से “ट्रेडिंग अकाउंट” नाम का सेक्शन बना दिया गया है। इसमें कारोबार और नफा तथा नुकसान खाते में भेजी गई आय का ब्योरा देना होगा। मिगलानी की राय है, ‘पूरे दस्तावेज रखें, जरूरत पड़ने पर कर सलाहकार से बात करें और नियमों में बदलाव की पूरी जानकारी रखें ताकि खुलासे के सभी निर्देशों का पालन हो सके।’
रिटायरमेंट लाभ से आय
आयकर रिटर्न फॉर्म में रिटायरमेंट पर होने वाले लाभ से आय नाम का अलग सेक्शन बनाया गया है। करदाताओं ने यदि पिछले कुछ साल में किसी करयोग्य आय पर आयकर कानून की धारा 89ए के तहत राहत का दावा किया है तो उस आय की जानकारी उन्हें इसी सेक्शन में देनी होगी।
वित्त अधिनियम, 2021 के जरिये आयकर अधिनियम, 1961 में नई धारा 89ए जोड़ी गई है, जिसमें उन निवासियों को राहत प्रदान की जाती है, जिन्हें विदेश में रिटायर होने पर लाभ प्राप्त हुए हैं।
करंजावाला ऐंड कंपनी, एडवोकेट्स में प्रिंसिपल एसोसिएट अंकित राजगढ़िया बताते हैं, ‘रिटायरमेंट लाभ के तौर पर हुई आय इस बार आयकर रिटर्न फॉर्म का एक अलग सेक्शन है, जिसमें करदाताओं को पेंशन फंड, एन्युटी या अन्य रिटायरमेंट लाभ योजनाओं से हुई आय की जानकारी देनी होती है।’
पिछले सालों में जिस करयोग्य आय पर धारा 89ए के तहत राहत का दावा किया गया है, उसका भी खुलासा करना होगा। राजगढ़िया समझाते हैं, ‘धारा 89ए उन लोगों को राहत देती है, जिन्हें किसी खास वित्त वर्ष में बकाया राशि मिली है या अतिरिक्त आय हुई है ताकि कर देनदारी सही से आंकी जा सके।’
कुमार का उदाहरण ले सकते हैं, जिन्होंने कुछ साल पहले पेंशन फंड से आय हुई थी और उस पर उन्होंने धारा 89ए के तहत राहत का दावा किया था। चालू वित्त वर्ष में कुमार को पेंशन फंड से ही 5 लाख रुपये मिले। पिछले किसी साल में उन्हें 2 लाख रुपये बकाया राशि मिली थी।
नए रिटर्न फॉर्म में कुमार को पेंशन फंड से हुई 5 लाख रुपये आय की जानकारी देनी ही होगी। साथ ही उन्हें 2 लाख रुपये की उस बकाया आय के बारे में भी बताना होगा, जिस पर वह धारा 89ए के तहत राहत ले चुके हैं।
अंत में मिगलानी कहते हैं, ‘करदाताओं को निवासी के दर्जे में हुए बदलावों पर भी ध्यान देना चाहिए कि वे अनिवासी तो नहीं हो गए। अपना रिटर्न भरते समय आपको रिटायरमेंट लाभ की निकासी से हुई आय और धारा 89ए के तहत राहत के दावे से बनी करयोग्य आय की सही जानकारी देनी चाहिए।’