सोना (gold) के लिए अक्टूबर का महीना शानदार रहा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में पिछले महीने 7 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखी गई। पिछले 6 महीने यानी मार्च 2023 के बाद किसी एक महीने में गोल्ड के लिए यह सबसे बड़ी तेजी है। इजरायल पर हमास के हमले से ठीक एक दिन पहले यानी 6 अक्टूबर को इंटरनेशनल मार्केट में स्पॉट गोल्ड (spot gold) 1,809.50 डॉलर प्रति औंस के अपने 7 महीने के निचले स्तर तक चला गया था। जो पिछले सप्ताह शुक्रवार को बढ़कर 5 महीने के ऊपरी स्तर 2,009.29 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया।
घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में तेजी का आलम भी कुछ ऐसा ही रहा। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने का बेंचमार्क फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट 5 अक्टूबर को 56,075 रुपये प्रति 10 ग्राम तक नीचे जाने के बाद 31 अक्टूबर को 61,539 रुपये प्रति 10 ग्राम की ऊंचाई तक चला गया। इस तरह से देखें तो अक्टूबर में कीमतों में तकरीबन 10 फीसदी की तेजी आई। इसी वर्ष 6 मई को MCX पर सोने की कीमत 61,845 रुपये प्रति 10 ग्राम के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी।
घरेलू हाजिर बाजार में भी सोने की कीमतों में अक्टूबर में तकरीबन 9 फीसदी की तेजी आई। इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के मुताबिक पिछले महीने के अंत (31 अक्टूबर) में सोना 24 कैरेट (999) 61,370 रुपये प्रति 10 ग्राम दर्ज किया गया। जबकि महीने की शुरुआत में यह 56,500 के स्तर पर था।
क्यों बढ़ रही हैं कीमतें
जानकारों के मुताबिक डॉलर इंडेक्स (US Dollar Index) और यूएस बॉन्ड यील्ड (US Bond Yield) के ऊपरी स्तर पर बने रहने के बावजूद गोल्ड में मौजूदा बढ़त की वजह इजरायल और हमास के बीच जारी सैन्य संघर्ष के मद्देनजर निवेश के सुरक्षित विकल्प (safe-haven) के तौर पर येलो मेटल (yellow metal) की मांग में आई तेजी है। इसके अलावा केंद्रीय बैंकों (Central Banks) की तरफ से सोने की लगातार की जा रही खरीदारी ने भी कीमतों को एक हद तक सपोर्ट किया है।
Cental Banks की तरफ से सोने की शानदार खरीदारी
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा कैलेंडर ईयर की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान केंद्रीय बैंकों की तरफ से नेट 337.1 टन सोने की खरीद की गई। तीसरी तिमाही के दौरान सोने की खरीदारी का यह दूसरा सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। इससे पहले तीसरी तिमाही के दौरान सबसे ज्यादा खरीदारी केंद्रीय बैंकों की तरफ से पिछले कैलेंडर ईयर (2022) के दौरान की गई थी। पिछले कैलेंडर ईयर की समान तिमाही के दौरान रिकॉर्ड 459 टन नेट सोने की खरीद की गई थी। यदि साल के कुल 9 महीनों की बात करें तो इस दौरान केंद्रीय बैंकों की खरीद बढ़कर 800 टन तक जा पहुंची है।
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सितंबर तिमाही में सबसे ज्यादा खरीदारी चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (PBoC) की तरफ से की गई। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने इस दौरान अपने गोल्ड रिजर्व में 78 टन का इजाफा किया जबकि साल के 9 महीनों में 181 टन की बढ़ोतरी की गई। सितंबर के अंत तक चीन का गोल्ड रिजर्व 2,192 टन दर्ज किया गया जो उसके कुल फॉरेक्स रिजर्व का 4 फीसदी है।
दूसरे नंबर पर रहा है पोलैंड का केंद्रीय बैंक। नेशनल बैंक ऑफ पोलैंड की तरफ से सितंबर तिमाही के दौरान नेट 57 टन सोने की खरीदारी की गई। पिछली तिमाही के दौरान भी नैशनल बैंक ऑफ पोलैंड ने 48 टन सोने की खरीदारी की थी। इस तरह से साल के पहले 9 महीनों के दौरान पोलैंड के केंद्रीय बैंक की खरीदारी बढ़कर 105 टन तक जा पहुंची है। इस साल सितंबर तक कुल 75.21 टन सोने की खरीदारी के साथ सिंगापुर तीसरे नंबर पर है। तुर्किए के केंद्रीय बैंक की तरफ से भी तीसरी तिमाही के दौरान 39 टन सोने की खरीदारी की गई। भारत के केंद्रीय बैंक आरबीआई (RBI) की तरफ से सितंबर तिमाही में 9.21 टन सोने की खरीद की गई। जबकि पहली और दूसरी तिमाही के दौरान क्रमश: 7.27 और 2.80 टन सोने की खरीद की गई थी।
आउटलुक
वर्ल्ड बैंक (World Bank) की ताजा कमोडिटी मार्केट आउटलुक के मुताबिक जियो-पॉलिटिकल टेंशन की वजह से शॉर्ट-टर्म में सोने की कीमतें मजबूत बनी रह सकती हैं लेकिन महंगाई और ब्याज दर मीडियम-टर्म में कीमतों को दिशा देंगे। इस रिपोर्ट के अनुसार अगले वर्ष सोने की औसत कीमतें 1,900 डॉलर प्रति औंस रह सकती है जो 2023 के मुकाबले 5.6 फीसदी ज्यादा है। जबकि मुद्रास्फीति और मंदी को लेकर बने डर के दूर होने के साथ ही 2025 में औसत कीमतें 1,700 डॉलर प्रति औंस तक नीचे जा सकती है।
2021 और 2022 में गोल्ड की औसत कीमतें क्रमश 1,800 और 1,801 डॉलर प्रति औंस थी। 2023 के लिए वर्ल्ड बैंक का अनुमान 1,800 डॉलर प्रति औंस का है।
केडिया एडवाइजरी के अजय केडिया के मुताबिक मिडिल ईस्ट में बढ़ते जियो-पॉलिटिकल टेंशन और केंद्रीय बैंकों की तरफ से जारी खरीदारी के बीच सोने की कीमतों में आगे भी तेजी जारी रह सकती है।
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मजबूत फिजिकल और इन्वेस्टमेंट बाइंग, अर्थव्यवस्था में धीमी तेजी, उच्च महंगाई दर भी सोने के लिए प्रमुख सपोर्टिव फैक्टर्स होंगे। इसके अलावे ज्यादा वैल्यूएशन को लेकर इक्विटी में गिरावट की आशंका, रुपये में नरमी गोल्ड की कीमतों को सपोर्ट कर सकते हैं। हालांकि यदि जियो-पॉलिटिकल टेंशन में यकायक कमी आती है तो नि:संदेह वॉर प्रीमियम ( war premium) घटेगा।