पिछले एक साल के दौरान क्रेडिट रिस्क फंडों (नियमित योजना) ने अपनी श्रेणी में 7.45 फीसदी का औसत रिटर्न दिया है। क्रेडिट रिस्क फंडों को अपनी परिसंपत्तियों का कम से कम 65 फीसदी हिस्सा सर्वाधिक रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्डों में आवंटित करना आवश्यक है। लेकिन इनके फंड मैनेजर अक्सर अतिरिक्त रिटर्न की तलाश में क्रेडिट गुणवत्ता को लेकर थोड़ी ढिलाई कर देते हैं।
फिलहाल इस श्रेणी में 14 फंड हैं जो कुल मिलाकर 23,141.4 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का प्रबंधन करते हैं। निवेशकों को इन फंडों में निवेश करने से पहले न केवल पिछले प्रदर्शन पर गौर करना चाहिए बल्कि इनमें निहित जोखिमों पर भी विचार करना चाहिए।
पिछले एक साल के दौरान एक्रुअल्स (उपार्जन) ने रिटर्न में खासा योगदान किया है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) के मुख्य निवेश अधिकारी (निर्धारित आय) मनीष बंठिया ने कहा, ‘एक्रुअल्स ब्याज दर में स्थिरता और सीमित यील्ड के बीच रिटर्न का एक अच्छा स्रोत रहा है।’
एक्रुअल्स के तहत फंड मैनेजर निवेशित प्रतिभूतियों से मिलने वाले ब्याज भुगतान से रिटर्न हासिल करने पर जोर देते हैं। डीएसपी म्युचुअल फंड के फंड मैनेजर विवेक रामकृष्णन ने भी इससे सहमति जताई।
उन्होंने कहा, ‘उच्च यील्ड वाले बॉन्ड ने अच्छा कैरी (यील्ड) दिया है। कुछ एए और इससे कम रेटिंग वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के मामले में यह 9 फीसदी से अधिक और कंपनियों मामले में 8 फीसदी से अधिक रही है।’यील्ड में नरमी से भी कुछ फायदा हुआ है। रामकृष्णन ने कहा, ‘साल 2023 में ब्याज दरों में नरमी के साथ ही क्रेडिट रिस्क फंडों के सरकारी बॉन्ड वाले हिस्से ने पूंजीगत लाभ प्रदान किया।’
अगले 12 महीनों के दौरान रिटर्न को काफी हद तक एक्रुअल्स से रफ्तार मिलेगी। फंड मैनेजर बंठिया ने कहा, ‘दरों के सकारात्मक माहौल को देखते हुए हमारा मानना है कि एक्रुअल्स रिटर्न का एक महत्त्वपूर्ण घटक बना रहेगा, क्योंकि स्प्रेड ऐसेट्स सुरक्षा के साथ साथ उचित रिटर्न प्रदान करते हैं।’
अन्य लोगों का मानना है कि पूंजीगत लाभ भी इसमें योगदान करेगा। रामकृष्णन ने कहा, ‘हमारा मानना है कि आगामी वर्षों के दौरान ब्याज दरों में गिरावट आएगी, जिससे पूंजीगत लाभ की गुंजाइश होगी।’
इनक्रेड मनी के मुख्य कार्याधिकारी (CEO) विजय कुप्पा का भी मानना है कि अगर मुद्रास्फीति लगातार मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के 4 फीसदी के लक्ष्य के आसपास बनी रहती है, तो 2024-25 के आखिर में दरों में कटौती की जा सकती है। ऐसे में क्रेडिट रिस्क फंड सहित सभी डेट फंड को फायदा होगा। ऋण बाजार के परिदृश्य में स्थिरता बरकरार रहने की उम्मीद है।
रामकृष्णन ने कहा, ‘म्युचुअल फंडों ने पोर्टफोलियो में तरलता बनाए रखने और व्यापक बॉटम-अप क्रेडिट विश्लेषण करने पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने प्रशासन पर भी ध्यान केंद्रित किया है, जिससे डिफॉल्ट की संभावना कम हो गई है।’
बॉटम-अप क्रेडिट विश्लेषण में किसी कंपनी के बहीखातों और कारोबारी संभावनाओं का विस्तार से अध्ययन कर यह पता लगाया जाता है कि वह कर्जों का भुगतान कर पाएगी या नहीं।
बंका के अनुसार, रेटिंग में सुधार के कारण भारतीय कॉरपोरेट बॉन्ड में विदेशी संस्थागत निवेशकों का प्रवाह बढ़ा है। इससे इन फंडों का प्रदर्शन सकारात्मक रूप से प्रभावित होगा। उन्होंने कहा, ‘कम रेटिंग लेकिन मजबूत कॉरपोरेट घराने में रणनीतिक निवेश किए जाने से इन फंडों के परिपक्व होने पर बेहतर यील्ड मिल सकती है।’
मुद्रास्फीति के नरम होने में उम्मीद से अधिक समय लग सकता है। बंका ने कहा, ‘अगर भू-राजनीतिक तनाव बढ़ता है और कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक होती हैं अथवा मॉनसून अनुकूल नहीं रहता है, तो मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। इससे ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम हो जाएगी।’
कुप्पा ने कहा, ‘अगर अर्थव्यवस्था में सकल या शुद्ध गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में वृद्धि होती है, तो क्रेडिट स्प्रेड बढ़ सकता है। इससे क्रेडिट रिस्क फंडों के प्रदर्शन पर नकारात्मक असर पड़ेगा।’
केवल अधिक जोखिम उठाने की क्षमता वाले निवेशकों को ही इन फंडों में निवेश करना चाहिए। कुप्पा ने कहा, ‘कम से कम एक साल का समय रखें, क्योंकि अधिकतर क्रेडिट रिस्क फंड इस दौरान रिडम्प्शन के लिए 1 फीसदी तक का एक्जिट लोड लगाते हैं।’ बंका ने सुझाव दिया कि कम कर दायरे में आने वाले लोगों को निवेश करने पर विचार करना चाहिए जो 12 से 24 महीने तक रख सकें।