PSU Stocks: छोटी कंपनियों के शेयरों पर दबाव के बीच सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसई) के शेयरों का प्रदर्शन बुधवार को चार साल में लगभग सबसे ज्यादा खराब रहा। निफ्टी पीएसई सूचकांक 6.6 प्रतिशत गिर गया जो 23 मार्च, 2020 से सबसे बड़ी गिरावट है। इसके सभी 20 शेयर 4.2 प्रतिशत से 9 प्रतिशत के बीच नुकसान में बंद हुए।
इस बीच रेलटेल और राइट्स जैसी सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियों के शेयरों (जो पीएसई इंडेक्स में शामिल नहीं हैं) में 20 प्रतिशत और 15 प्रतिशत तक की बड़ी गिरावट दर्ज की गई। विश्लेषकों ने कहा कि पिछले एक साल के दौरान बड़ी तेजी के बाद पीएसयू क्षेत्र का मूल्यांकन काफी बढ़ गया था और यह गिरावट संभावित थी।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (केआईई) की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अधिकांश क्षेत्रों में फंडामेंटल्स या संरचनात्मक सुधारों से संबंधित किसी बड़े बदलाव के बिना विभिन्न क्षेत्रों के पीएसयू में मजबूत तेजी थी। साथ ही उसी सेक्टर के निजी क्षेत्र के प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले पीएसयू शेयरों में अत्यधिक उछाल अनिश्चितता का संकेत दे रहा था। यह तेजी काफी हद तक किसी मजबूत ढांचागत विकास के बजाय गैर-संस्थागत निवेशकों में पैदा हुए उत्साह पर आधारित रही है।’
निफ्टी पीएसई सूचकांक पिछले एक साल में करीब दोगुना हुआ है और इसमें शामिल कई कंपनियों ने बड़ी तेजी दर्ज की। भारी तेजी के बाद कई पीएसयू के लिए मूल्यांकन निजी क्षेत्र के उनके प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले महंगे होने लगे थे।
उदाहरण के लिए पीएसयू धातु शेयर – सेल और नालको एक वर्षीय पीई मल्टीपल के आधार पर टाटा स्टील और हिंडाल्को के मुकाबले ऊंचाई पर हैं। कोटक इक्विटीज ने कहा है कि पीएसयू शेयरों में बड़ी तेजी की वजह से तीन मुख्य समस्याएं थीं।
पहली, महंगा मूल्यांकन, मुनाफा और मात्रा संबंधित अनुमान, जिनसे मध्यावधि आय अनुमानों को लेकर अति उत्साह की स्थिति बनी। दूसरी, अस्थिर कारकों और संदिग्ध टर्मिनल वैल्यू वाले बिजनेस मॉडल के साथ मूल्य आय के लिए गलत मूल्यांकन दृष्टिकोण और तीसरी, सरकारी एजेंडे, राजनीति और नियमन से संबंधित कई क्षेत्रों में गैर-वास्तविक कहानियां।
पिछले महीने, भारत के कुल बाजार पूंजीकरण में पीएसयू की भागीदारी बढ़कर 17.3 प्रतिशत पर पहुंच गई थी जो करीब सात साल में सर्वाधिक है। इलारा कैपिटल की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा हालात वित्त वर्ष 2017 के मूल्यांकन के समानांतर हैं।