मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला फंड मैनेजर पूरे घरेलू म्युचुअल फंड उद्योग में सिर्फ 6.66 लाख करोड़ रुपये या 12.63 प्रतिशत का ही प्रबंधन करती हैं। रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं द्वारा प्रबंधित परिसंपत्तियों में एक साल पहले के मुकाबले 50 प्रतिशत तक की बड़ी तेजी आई है। दो प्रमुख महिला फंड मैनेजरों के निकलने के बाद पिछले साल इसमें बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी।
उनके द्वारा सर्वाधिक परिसंपत्तियों (2.86 लाख करोड़ रुपये या 43 प्रतिशत) का प्रबंधन या सह-प्रबंधन इक्विटी और ग्रोथ सेगमेंट में किया जाता है। मॉर्निंगस्टार ने कहा है, ‘हालांकि महिलाओं द्वारा प्रबंधित/सह-प्रबंधित परिसंपत्तियां बढ़ रही हैं, लेकिन संपूर्ण उद्योग की तुलना में उनका प्रतिशत अभी मजबूत स्तर पर नहीं पहुंचा है। सकारात्मक यह है कि प्रतिशत के लिहाज से परिसंपत्तियां में पिछले दो साल के ठहराव के बाद इस साल तेजी दर्ज की गई।’
21 फंड हाउसों से 42 महिला फंड मैनेजर जुड़ी हुई हैं जबकि भारत में फंड हाउसों की कुल संख्या 40 के पार पहुंच गई है। चूंकि पिछले साल से महिला फंड मैनेजरों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हुआ लेकिन इनका प्रतिनिधित्व 9.18 प्रतिशत से घटकर 8.88 प्रतिशत रह गया। रिपोर्ट के अनुसार, महिला फंड मैनेजरों ने प्रदर्शन भी बेहतर किया।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि महिला फंड मैनेजरों द्वारा प्रबंधित या सह-प्रबंधित कुल ओपन-एंडेड परिसंपत्तियों में 70 प्रतिशत ने औसत एक वर्षीय अवधि में प्रतिस्पर्धी समूह के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया, 71 प्रतिशत ने तीन साल की अवधि में बेहतर प्रदर्शन किया और पांच साल के दौरान 93.5 प्रतिशत परिसंपत्तियों ने शानदार प्रदर्शन किया।’
रिपोर्ट के अनुसार, पांच फंड हाउसों के पास तीन या उससे ज्यादा महिला फंड मैनेजर थीं। पांच फंड हाउसों के पास दो महिला फंड मैनेजर और 11 फंड हाउसों के पास कम से कम एक महिला फंड मैनेजर थी। कार्यकाल की बात करें तो 10 फंड मैनेजर पांच साल या उससे अधिक से लगातार फंडों का प्रबंधन कर रही हैं जबकि 25 ने तीन साल से कम समय से फंड प्रबंधन संभाल रही हैं।