व्यावसायिक वाहनों के लिए वित्तीय सहायता प्रदाता कंपनियों ने आरबीआई से इससे संबंधित कुछ प्रावधानों में छुट की मांग की है।
इनमें से एक प्रमुख मांग इन वित्तीय कंपनियों के लिए रिस्क वेटज में कमी कर 50 फीसदी तक करने की मांग की है। मौजूदा समय में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) जितने भी ऋण प्रदान करती हैं उन पर 100 फीसदी का रिक्स वेटेज होता है।
सरल शब्दों में कहें तो अगर कोई एनबीएफसी 100 रुपये के ऋण मुहैया कराती है तो इसे 100 रुपये मूल्य की परिसंपत्ति को जमा कराना होता है।
इन वित्तीय कंपनियों के इन मांगों के पीछे मकसद व्यावसायिक वाहनों की खरीद पर ब्याज की दरों को कम करना और ऊंची पूंजी पर्याप्तता अनुपात के लिए अतिरिक्त पूंजी को मुक्त कराना है।