स्मॉल ऐंड मीडियम रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (एसएम रीट्स) के लिए बाजार नियामक के नए नियमों को कुछ ही चुनिंदा फ्रैक्शनल ओनरशिप प्लेटफॉर्मों (एफओपी) ने अपनाया है। नियामक की वेबसाइट के आंकड़ों के मुताबिक 31 अगस्त तक प्रॉपर्टी शेयर इन्वेस्टमेंट्स नाम के सिर्फ एक एफओपी ने लाइसेंस हासिल लिया है। पांच आवेदन लंबित हैं जिनमें एचबिट्स और वाइजएक्स शामिल हैं।
नवंबर 2023 में सेबी के बोर्ड से मंजूर और मार्च में अधिसूचित नए एसएम रीट व्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए एफओपी को समयसीमा दी गई थी जो 8 सितंबर को समाप्त हो गई। उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि अहम रियायतों मसलन संबंधित पक्षकार लेनदेन की अनुमति और यूनिट का न्यूनतम आकार नहीं घटाए जाने के कारण कुछ ही आगे आए।
नए फ्रेमवर्क का लक्ष्य एफओपी और अन्य रियल एस्टेट प्लेटफॉर्मों को नियामक के दायरे में लाने का है। फ्रैक्शनल ऑनरशिप प्लेटफॉर्म रियल एस्टेट परिसंपत्ति में सहस्वामित्व की पेशकश करते हैं जिससे मुख्य रूप से किराया आय मिलती है।
आईसी यूनिवर्सल लीगल के पार्टनर संचित कपूर ने कहा कि एसएम रीट व्यवस्था के तहत कम एफओपी आवेदन मिलने की वजह कुछ छूटों का नहीं दिया जाना है। इनमें संबंधित पक्षकार लेनदेन की अनुमति, अनिवार्य सूचीबद्धता की जरूरत पर छूट, यूनिट का न्यूनतम आकार घटाना, नए इश्यू के लिए वितरक या आंतरिक क्लाइंट खातों का इस्तेमाल शामिल है।
इसके अलावा कुछ कंपनियों ने सुझाव दिया था कि चूंकि नए नियम निर्माणाधीन परियोजनाओं या अविकसित परियोजनाओं को एसएम रीट के दायरे में लाने की इजाजत नहीं देते, इसलिए उन्होंने अभी तक पंजीकरण के लिए आवेदन नहीं किया।