ऊंची स्टील की कीमतों की वजह से टाटा स्टील ने जून 2008 की तिमाही में बेहतर परिणाम हासिल किया।
कंपनी की शुध्द बिक्री 47 फीसदी ज्यादा रहकर 6,156 करोड़ रुपए रही। इसकी वजह कंपनी का ऊंचा वॉल्यूम रहा। कंपनी के वॉल्यूम में 11 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई। कंपनी की घरेलू वापसी भी 25 फीसदी के लिहाज से बेहतर रही।
इन वजहों से स्टील कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में आठ फीसदी का सुधार आना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है। कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 49 फीसदी केस्तर पर पहुंच गया। कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में भी 78 फीसदी की बढ़त देखी गई और यह बढ़कर 3,025 करोड़ हो गया।
कंपनी ने लौह अयस्क के सेगमेंट में भी बेहतर प्रदर्शन किया और कीमतों के बढ़ने की वजह से यह सेगमेंट भी 100 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा। टाटा स्टील को अपनी जरुरतों का 65 फीसदी अपनी खानों से प्राप्त करती है। इसतरह इन कमोडिटी में बढ़ती कीमतों को कंपनी को सहन नहीं करना पड़ा है। कंपनी ने अपनी स्टील निर्माण करने की क्षमता में 68 लाख टन सालाना की वृध्दि की है। कंपनी का वॉल्यूम सालाना 25 फीसदी की गति से बढ़ना चाहिए।
बाजार में स्टील की कीमतें 4,500 रुपए प्रति टन है जो अंतरराष्ट्रीय बाजार से काफी कम है। कंपनी के संचित राजस्व के वित्त्तीय वर्ष 2009 में 38 से 40 फीसदी की गति से बढ़ने की संभावना है। इसके 1.1 लाख करोड़ से बढ़कर 1.6 लाख करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। कंपनी के शुध्द लाभ में इससे भी तेज बढ़त देखी जा सकती है और इसके 11,800 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है।
कंपनी की प्रति शेयर आय में 50 फीसदी की बढ़त की संभावना है। स्टील स्टॉक की कीमतों में 2008 से अब तक 37 फीसदी का सुधार हुआ है। मौजूदा बाजार मूल्य 681 रुपए पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 की अनुमानित आय से पांच गुना के स्तर पर हो रहा है। अगर स्टील की कीमतें स्थिर रहती है तो कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट और टॉपलाइन दोनों सुधरेगा।