लगातार दो वर्षों की मजबूत दो अंकों की बढ़त के बाद इक्विटी बाजार लड़खड़ा गया है। सितंबर 2025 तक के 12 महीनों में बीएसई सेंसेक्स 4.8 फीसदी गिरा। यह एक दशक से अधिक का सबसे कमजोर प्रदर्शन है। इसके विपरीत, सितंबर 2024 तक सेंसेक्स 28.1 फीसदी बढ़ा था और उससे पहले वाले वर्ष में 14.6 फीसदी की बढ़त दर्ज की थी। इस प्रकार, सितंबर में समाप्त होने वाले 12 महीनों की बात करें तो पिछले छह वर्षों में से तीन में सेंसेक्स ने नकारात्मक रिटर्न दिया है।
एक सकारात्मक पहलू यह है कि हालिया गिरावट ने 2024 के रिकॉर्ड स्तरों से इक्विटी वैल्यूएशन को नीचे खींचा है। कई ब्लू-चिप स्टॉक्स अब पहले के मुकाबले आकर्षक स्तरों पर ट्रेड कर रहे हैं, जिससे लंबी अवधि के निवेशकों के लिए अवसर पैदा हुए हैं। हालांकि, सतर्कता आवश्यक है क्योंकि ब्रॉडर मार्केट का वैल्यूएशन लॉन्ग टर्म एवरेज से ऊपर बना हुआ है।
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इसी संदर्भ में, टाटा ग्रुप की रिटेल कंपनी ट्रेंट खास तौर पर उभरकर सामने आई है। बीते वर्ष में इसके शेयर 36.5 फीसदी गिरे हैं, लेकिन कम वैल्यूएशन, हालिया तिमाहियों में आय की स्थिरता और 29 फीसदी का मजबूत रिटर्न ऑन नेटवर्थ इसे निवेशकों के लिए सुरक्षा और संभावित बढ़त दोनों देता है, खासकर तब जब मार्केट सेंटीमेंट सुधरे।
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