इक्विनॉमिक्स रिसर्च के फाउंडर जी. चोक्कलिंगम का मानना है कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित जीएसटी सुधार देश की मिडिल क्लास के लिए गेम चेंजर साबित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह कदम न सिर्फ खपत बढ़ाएगा बल्कि शेयर बाजार और निवेश के अवसरों को भी नई दिशा देगा।
बिजनेस स्टैंडर्ड के देवांशु सिंगला से फोन पर बातचीत करते हुए चोक्कलिंगम ने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था बड़ी हद तक घरेलू मांग पर आधारित है। निर्यात जीडीपी का करीब 11% है और इसमें अमेरिका की हिस्सेदारी 20% के आसपास है। ऐसे में जीएसटी सुधारों से निवेशकों को भरोसा मिला है कि घरेलू खपत का योगदान और बढ़ेगा। इसके अलावा, सामान्य मानसून, घटती महंगाई और S&P की रेटिंग अपग्रेड ने भी बाजार को सहारा दिया, भले ही अमेरिका की टैरिफ नीतियों से दबाव बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि बजट 2025 में आयकर राहत के बाद अब अप्रत्यक्ष कर (GST) में छूट का प्रस्ताव मिडिल क्लास को दोहरा फायदा देगा। इससे उनकी बचत बढ़ेगी, और हाउसिंग लोन, FMCG, ड्यूरेबल्स और टू-व्हीलर जैसे सेक्टरों को बढ़ावा मिलेगा।
पब्लिक सेक्टर बैंक (PSB): चोक्कलिंगम का कहना है कि लंबे समय के लिए सरकारी बैंकों का आउटलुक पॉजिटिव है। ब्याज दरें धीरे-धीरे घटेंगी और क्रेडिट डिमांड बढ़ेगी। खासकर SBI और बैंक ऑफ महाराष्ट्र को उन्होंने पसंदीदा स्टॉक बताया।
रियल एस्टेट: जिन कंपनियों के पास बड़ी जमीन है, उन्हें बढ़ते लैंड प्राइस और घटती ब्याज दरों से फायदा होगा।
टू-व्हीलर: ग्रामीण मांग बढ़ने की उम्मीद है। पारंपरिक टू-व्हीलर कंपनियां फायदा उठा सकती हैं, लेकिन इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर में मार्जिन प्रेशर और प्रतिस्पर्धा ज्यादा है, इसलिए फिलहाल निवेश की सलाह नहीं है।
ऑटो सेक्टर: महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M) को उन्होंने खास बताया, क्योंकि यह ट्रैक्टर और पैसेंजर व्हीकल दोनों सेगमेंट में मजबूत स्थिति में है। अगर ट्रैक्टर पर जीएसटी कटौती होती है तो कंपनी को और लाभ मिलेगा।
चोक्कलिंगम ने निवेशकों से कहा कि इस समय घबराने और नकदी निकालने की जरूरत नहीं है। अगर अमेरिका भारत की आईटी सर्विस एक्सपोर्ट में अड़चन नहीं डालता तो आने वाले महीनों में बाजार में मजबूती बनी रहेगी। उन्होंने अनुमान जताया कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही से कॉरपोरेट कमाई तेज होगी, जिसे जीएसटी सुधार, अच्छा मानसून और ब्याज दरों में कटौती और बढ़ावा देंगे।
चोक्कलिंगम का कहना है कि मौजूदा परिस्थितियों में निवेशकों को अपनी पूंजी का 40-50% हिस्सा निफ्टी या सेंसेक्स बास्केट में लगाना चाहिए। उनका मानना है कि जब भी बाजार पर दबाव आता है, घरेलू संस्थागत निवेशक इन इंडेक्स स्टॉक्स में खरीदारी करते रहते हैं। ऐसे स्टॉक्स डिफेंसिव माने जाते हैं और निवेशकों को स्थिरता देते हैं।
चोक्कलिंगम ने पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSBs) को भी आकर्षक विकल्प बताया। उन्होंने कहा कि भले ही अल्पकाल में मार्जिन और एसेट क्वालिटी पर दबाव है, लेकिन मध्यम और लंबी अवधि में बैंकिंग सेक्टर का आउटलुक पॉजिटिव है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि भविष्य में ब्याज दरों का रिवर्सल होना तय है। उन्होंने आगे कहा कि 6.3% से अधिक जीडीपी ग्रोथ भी बैंकिंग सेक्टर को मजबूती देगी और क्रेडिट डिमांड बढ़ाएगी। तेल की कीमतें भी 52 हफ्ते के उच्च स्तर से 20% नीचे हैं। अगर यह और घटता है तो विदेशी मुद्रा पर दबाव कम होगा और घरेलू मांग मजबूत होगी।
कुल मिलाकर, जी. चोक्कलिंगम का कहना है कि बाहरी झटकों को छोड़ दें तो भारत की आर्थिक विकास कहानी और शेयर बाजार का भविष्य पॉजिटिव है। तीसरी तिमाही से इसके असर और भी साफ तौर पर दिखने लगेंगे।