भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्युचुअल फंड उद्योग में डेट योजनाओं के पोर्टफोलियो प्रतिफल को दर्शाने की प्रणाली पर चिंता जताई है। पोर्टफोलियो प्रतिफल की गणना अक्सर पोर्टफोलियो में सभी प्रतिभूतियों के भारांक औसत प्रतिफल को ध्यान में रखकर की जाती है, जिसमें नकदी और नकदी समतुल्य राशि भी शामिल है।
एक वरिष्ठ फंड अधिकारी ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा, ‘कुछ योजनाओं ने डेट योजना का पोर्टफोलियो प्रतिफल दिखाया है, जबकि कुछ में नकदी पर प्रतिफल को नजरअंदाज किया गया है जिससे निवेशकों के सामने गलत तस्वीर पेश हो रही है। इस बारे में न तो सेबी और न ही एम्फी से कोई औपचारिक संवाद किया गया है, लेकिन सेबी ने अनौपचारिक तौर पर इसे लेकर अपनी नाराजगी जताई है और फंड हाउसों से पूरे पोर्टफोलियो का वास्तविक प्रतिफल दिखाने को कहा है।’
पोर्टफोलियो की जरूरत के आधार पर लिक्विड और ओवरनाइट योजनाओं के मुकाबले डेट योजनाएं अक्सर कैश और कैश इक्विलेंट में 10-20 प्रतिशत निवेश से जुड़ी होती हैं।
मान लीजिए, किसी योजना का 20 प्रतिशत कैश और कैश इक्विलेंट, तथा 80 प्रतिशत अन्य प्रतिभूतियों में है। यह मान कर चलें कि 80 प्रतिशत निवेश वाली प्रतिभूतियों पर प्रतिफल 6 प्रतिशत और शेष हिस्से का प्रतिफल करीब 3 प्रतिशत है। इस मामले में पूरे पोर्टफोलियो का भारित औसत 5.4 प्रतिशत (6 प्रतिशत का 80 प्रतिशत, 3 प्रतिशत का 20 प्रतिशत) होगा। यदि पोर्टफोलियो के कैश और कैश इक्विलेंट हिस्से को छोड़ दिया जाए तो योजना का प्रतिफल 5.4 प्रतिशत के बजाय 6 प्रतिशत दिखाया जा सकता है।
एक डेट फंड प्रबंधक ने कहा, ‘डेट योजनाओं में प्रतिफल नकदी का समावेश है, इसलिए यील्ड माइनस कैश और कैश इक्विलेंट दिखाने की व्यवस्था सही नहीं होगी। कुल पोर्टफोलियो प्रतिफल में अंतर कैश हिस्से के प्रतिशत, ब्याज दर परिवेश और पोर्टफोलियो में नकदी तथा अन्य प्रतिभूतियों के बीच प्रतिफल अंदर पर निर्भर करेगा।’ उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, शॉर्ट-टर्म फंड (जो अक्सर दो साल की अवधि में परिचालन करते हैं) में नकदी और अन्य प्रतिभूतियों के बीच प्रतिफल अंतर 150-160 आधार अंक तक हो सकता है। यह नकदी के लिए 10 प्रतिशत आवंटन को ध्यान में रखकर कुल पोर्टफोलियो के लिए 15-16 आधार अंक ज्यादा प्रतिफल हो सकता है, जिसे निवेशकों को पोर्टफोलियो प्रतिफल दिखाने की प्रक्रिया में अलग रखा जाता है।
पिछले साल, नवंबर में सेबी ने ओपन एंडेड डेट म्युचुअल फंड योजनाओं के लिए अपनी कुल परिसंपत्तियों का कम से कम 10 प्रतिशत हिस्सा 1 फरवरी 2021 से लिक्विड श्रेणी में रखना अनिवार्य बना दिया था। लिक्विड परिसंपत्तियों में नकद, सरकारी प्रतिभूतियां, ट्रेजरी बिल और सरकारी प्रतिभूतियों पर रीपो शामिल है। ओवरनाइट, लिक्विड, गिल्ट और 10 साल की अवधि वाली गिल्ट फंड श्रेणियों को इस अनिवार्यता से अलग रखा गया था, क्योंकि वे ऐसी परिसंपत्तियों का बड़ा अनुपात रखती हैं।
सेबी के निर्देश से पहले तक डेट फंड अक्सर अपने पोर्टफोलियो का 0-5 प्रतिशत हिस्सा कैश और कैश इक्विलेंट में रखते थे। लिक्विड परिसंपत्तियों के बड़े अनुपात से प्रतिफल पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
