दो दिन के आराम के बाद भारत के शेयर बाजार सोमवार को खुलने जा रहे हैं मगर खुलने से पहले ही वे किसी बुरे अंजाम से सहमे हुए हैं। मानों यह दिन उनके लिए कोई कड़ी परीक्षा का हो। यह लाजिमी भी है, क्योंकि शुक्रवार को जहां अमेरिकी शेयर बाजार में एस एंड पी 500 में 2.7 फीसदी की 5 फरवरी के बाद से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट हुई, वहीं शुक्रवार को ही बजट में शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स बढने और सिक्यूरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) के सितम भी उन पर ढाए गए। अब इन हालात में उनके लिए सोमवार क्या गुल खिलाता है, ये सचमुच गंभीरता से सोचने वाली बात है।
विशेषज्ञों का कयास है कि इस बार अपेक्षित समय से पहले ही सितंबर से नवंबर के बीच किसी समय आम चुनावों की घोषणा हो सकती है। ऐतिहासिक चुनावी चाशनी से लिपटे बजट को देखकर यह कोई आश्चर्य की बात भी नहीं रह गई है। अचानक बदले हालात से घबराए निवेशकों के बीच शेयरों को बेचने की आपा-धापी भी मचने की अटकलें तेज हो गई हैं।
रेलीगेयर सिक्यूरिटीज के प्रेसीडेंट अमिताभ चक्रवर्ती कहते हैं- अंतरराष्ट्रीय बाजार की दशा से भारतीय बाजार की दिशा तय होगी। हालांकि इस बार का बजट उपभोक्ता हितैषी-खपत हितैषी है लेकिन इसका बाजार पर कोई बड़ा फायदा होने के आसार नहीं हैं।
अमेरिकी बाजार में शुक्रवार को उस वक्त मंदी की मार पड़ गई थी, जब एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि कारोबारी गतिविधि 2001 के बाद के न्यूनतम स्तर पहुंच गई है। इसके अलावा, दुनिया के सबसे बड़े बीमा समूह अमेरिकन इंटरनेशनल ग्रुप को तिमाही में हुए सबसे बड़े नुकसान से भी उपजा भय न सिर्फ स्थानीय शेयर कीमतों पर पड़ा बल्कि इसकी गूंज अन्य क्षेत्रों में भी सुनी गई।
चक्रवर्ती दावा करते हैं- दुनिया में हो रही हलचल भारत में भी अपना अक्स पेश करेगी।
फिलहाल मुनाफे में चल रहे खुदरा निवेशक शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स में हुए इजाफे के चलते इस वित्तीय वर्ष के अंत यानी 31 मार्च तक अपने शेयर बेच सकते हैं। इसका असर जाहिर तौर पर शेयर बाजारों के सूचकांक पर पड़ेगा।
शुक्रवार को ही जब बजट का ऐलान किया जा रहा था, बाजार का दिल उसकी घोषणाओं के साथ ही बैठता जा रहा था। तकरीबन 245 अंकों के नुकसान के साथ सेंसेक्स शुक्रवार को बंद हुआ। निफ्टी में भी 61 अंकों की गिरावट हुई थी।
