भारतीय शेयर सूचकांकों ने 2025 के पहले कारोबारी सत्र में बढ़ोतरी दर्ज की। यह लगातार सातवां साल है जिसके पहले कारोबारी सत्र में सूचकांक लाभ के साथ बंद हुए। कारोबार के दौरान सेंसेक्स 617 अंक तक चढ़ा, लेकिन सत्र के अंत में 368 अंक यानी 0.5 फीसदी की बढ़त के साथ 78,507 पर कारोबार की समाप्ति की। दूसरी ओर, निफ्टी 98 अंक या 0.4 फीसदी के इजाफे के साथ 23,743 पर बंद हुआ। बाजार में बढ़त व्यापक थी क्योंकि निफ्टी मिडकैप 100 में 0.4 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप में 1.02 फीसदी की बढ़त रही।
बुधवार को सेंसेक्स की बढ़त में सबसे ज्यादा योगदान एचडीएफसी बैंक का रहा, जो 0.6 फीसदी चढ़ा। लार्सन ऐंड टुब्रो 1.6 फीसदी बढ़ा और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा में 2.5 फीसदी का इजाफा हुआ और सेंसेक्स की बढ़त में इनका खासा योगदान रहा। हालांकि बेंचमार्क सूचकांकों ने 2024 की समाप्ति 8 फीसदी से अधिक की बढ़त के साथ की, लेकिन वर्ष की दूसरी छमाही में उथल-पुथल देखी गई, जिसने पहले नौ महीनों में दर्ज हुए लाभ को छीन लिया।
सितंबर में सालाना आधार पर बेंचमार्क सूचकांकों में 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई थी। हालांकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की तेज बिकवाली चीन में प्रोत्साहन उपायों के कारण हुई और फिर निराशाजनक आय के कारण मनोबल पर असर पड़ा।
2025 की शुरुआत में बाजारों के सुस्त रहने की संभावना है क्योंकि बाजारों को महंगे मूल्यांकन, घरेलू उपभोग मांग में संरचनात्मक मसले, आगामी अमेरिकी प्रशासन के अनिश्चित नीतिगत उपायों और उच्च भू-राजनीतिक तनावों का सामना करना पड़ेगा।
कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने कहा, हमने भारतीय बाजार के लिए तीन विपरीत परिस्थितियों पर गौर किया है, जिसमें वित्तीय क्षेत्रों को छोड़कर सभी बाजार मूल्यांकन वाली कंपनियों और क्षेत्रों में अल्पावधि में महंगा मूल्यांकन शामिल है जबकि मुख्य बाजार मूल्यांकन में कमी आई है, आय में कटौती हुई है और उपभोग की मांग में सुस्ती बनी हुई है।
नोट में कहा गया है कि आगामी अमेरिकी प्रशासन की नीतियों और बढ़ते भू-राजनीतिक संघर्षों का वैश्विक अर्थव्यवस्था और बाजारों पर असर पड़ेगा। नोट में कहा गया है, भारत इन दोनों मसलों से ज्यादा महफूज है, लेकिन वैश्विक मनोबल भारत के लिए भी मायने रखेगी। आने वाले समय में दिसंबर में समाप्त तिमाही के कंपनियों के नतीजे और अगले महीने केंद्रीय बजट बाजार की दिशा तय करेंगे।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि तीसरी तिमाही के नतीजों की घोषणा शुरू होने तक बाजार में बहुत हलचल नहीं रहेगी और यहां शेयर स्टॉक और सेक्टर विशेष में कामकाज देखने को मिलेगा। निवेशक भारत और अमेरिका के दिसंबर विनिर्माण पीएमआई पर नजर रखेंगे।
बाजार चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात मजबूत रहा और 2,718 शेयरों में बढ़त और 1,267 में गिरावट दर्ज हुई। सेंसेक्स के दो तिहाई से अधिक शेयर बढ़त के साथ बंद हुए। बीएसई सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 2.5 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 444.4 लाख करोड़ रुपये हो गया।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) 1,783 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 1,690 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। विदेशी निवेशक 2024 में 3,981 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल थे जबकि घरेलू संस्थानों ने 5.3 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के सहायक उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा ने कहा, सूचकांक ने एकीकरण के दूसरे सप्ताह में प्रवेश किया है और वर्तमान संकेतक बताते हैं कि यह प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है। हम स्टॉक विशेष रणनीति की वकालत कर रहे हैं, जो अपेक्षाकृत मजबूत रफ्तार प्रदर्शित करने वाले शेयरों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।