शेयर बाजार में हाल में आई तेजी ने शेयरों का मूल्यांकन दो साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचा दिया है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के बेंचमार्क सेंसेक्स का पिछले 12 महीने का (ट्रेलिंग) प्राइस टु अर्निंग (पी/ई) मल्टिपल इस समय 25.3 गुना है। पिछले एक साल में यह 155 आधार अंक बढ़ गया है और जनवरी 2022 के बाद से सबसे अधिक है। पिछले साल जनवरी में सेंसेक्स 26.9 गुना पी/ई मल्टिपल के साथ कारोबार कर रहा था। सूचकांक का मौजूदा प्राइस टु बुक वैल्यू रेश्यो 3.7 गुना है, जो नवंबर 2021 के बाद से सबसे ज्यादा है।
सूचकांक के मूल्यांकन में ज्यादातर बढ़त पिछले दो महीनों में आई। अक्टूबर के अंत में सेंसेक्स का ट्रेलिंग पी/ई मल्टिपल 22.45 गुना रह गया था, जो पांच महीने का सबसे कम आंकड़ा था। सूचकांक का प्राइस टु बुक वैल्यू रेश्यो भी अक्टूबर के अंत में 3.29 गुना रह गया था, जो इस साल मई के बाद से सबसे कम था। मगर उसके बाद से यह बढ़कर 3.67 गुना पर पहुंच गया है।
विश्लेषकों का कहना है कि शेयर मूल्यांकन के कायापलट की असली वजह अमेरिका में बॉन्ड यील्ड है, जो पिछले दो महीनों में एकदम घट गई है। सिस्टमैट्रिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटी में स्ट्रैटजी एवं रिसर्च प्रमुख धनंजय सिन्हा कहते हैं, ‘शेयरों का मूल्यांकन बदलने के लिए काफी हद तक अमेरिका में 10 साल के सरकारी बॉन्डों की यील्ड जिम्मेदार है, जो एकाएक घट गई है। अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड में गिरावट के कारण दुनिया भर में जोखिम भरी संपत्तियां चढ़ी हैं और भारतीय शेयर बाजार ने भी छलांग लगाई है।’
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10 साल परिपक्वता अवधि वाले अमेरिकी सरकारी बॉन्ड पर यील्ड पिछले दो महीने में 100 आधार अंक या करीब 21 फीसदी घट चुकी है। अक्टूबर के अंत में यह 4.93 फीसदी थी मगर इस सोमवार को 3.9 फीसदी ही थी। इसी दौरान सेंसेक्स 11.7 फीसदी चढ़ गया और इसका ट्रेलिंग पी/ई भी 13 फीसदी ऊपर चला गया। इसके प्राइस टु बुक वैल्यू रेश्यो में भी इसी तरह की तेजी आई।
मगर सूचकांक में शामिल 30 कंपनियों के कुल शुद्ध मुनाफे से तय होने वाली इसकी अर्निंग्स पर शेयर (ईपीएस) में अक्टूबर अंत से इस सोमवार के बीच कमी आई है। उस समय यह 2,858 रुपये थी, जो 1.1 फीसदी घटकर सोमवार को 2,825 रुपये रह गई।
सूचकांक के मूल्यांकन में हालिया तेजी करीब तीन साल की लगातार गिरावट के बाद आई है। उस दौरान कंपनियों की अर्निंग्स शेयर भाव के मुकाबले बहुत तेजी से बढ़ी थीं, जिस कारण पी/ई मल्टिपल और प्राइस टु बुक वैल्यू रेश्यो में कमी आई थी। मार्च 2021 के अंत में सूचकांक का पी/ई मल्टिपल 34.4 गुना था मगर 1200 आधार अंक या 35 फीसदी लुढ़ककर वह इस साल अक्टूबर के अंत में 22.4 गुना ही रह गया। इसी दौरान सेंसेक्स 29 फीसदी चढ़ा था और उसके शेयरों की ईपीएस मार्च 2021 के 1,441 रुपये से करीब दोगुनी हो गई।
सिन्हा के मुताबिक भारतीय शेयरों का मौजूदा मूल्यांकन कुछ उस तरह का ही है, जैसा 2014 से 2019 तक हुआ था। उस समय भी सूचकांक का मूल्यांकन लगातार बढ़ा था, कंपनियों की आय इकाई अंक में बढ़ रही थी और बॉन्ड की यील्ड भी कम थी।
जनवरी 2014 में सूचकांक का ट्रेलिंग पी/ई मल्टिपल 17.8 गुना था, जो दिसंबर 2019 के अंत में 28 गुना हो गया। उस दौरान सेंसेक्स का ईपीएस केवल 27 फीसदी बढ़ा था मगर 2014 की शुरुआत में 21,000 पर रहा सेंसेक्स दिसंबर 2019 के अंत में 41,250 अंक पर पहुंच गया था।
सिन्हा कहते हैं, ‘हालिया वृहद आर्थिक आंकड़े और बॉन्ड यील्ड में तेज गिरावट से लगता है कि हम एक बार फिर सुस्त आय वृद्धि, कम ब्याज दर और अधिक शेयर मूल्यांकन के दौर में लौट सकते हैं।’ मगर दूसरे विश्लेषकों को लगता है कि आगे जाकर अर्निंग्स में तेज इजाफा होगा।