इन्वेस्को म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ-इक्विटीज) ताहिर बादशाह का कहना है कि इक्विटी मूल्यांकन में तब तक ज्यादा तेजी आने का अनुमान नहीं है, जब तक कि आय के मोर्चे पर कोई बड़ा बदलाव नहीं आता।
अभिषेक कुमार के साथ बातचीत में बादशाह ने कहा कि म्युचुअल फंडों के अच्छे प्रदर्शन के लिए संभावनाएं 2023 में सीमित हैं। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
कंपनियों ने 2022 में मजबूत आय वृद्धि दर्ज की। क्या यह तेजी बरकरार रह सकती है?
जहां 2022 राजस्व वृद्धि को लेकर अच्छा वर्ष रहा, वहीं 2023 मुनाफे के संदर्भ में बेहतर साबित हो सकता है। राजस्व वृद्धि कम आधार की वजह से 2022 में मजबूत थी, लेकिन ऊंची लागत की वजह से मुनाफा ज्यादा अच्छा नहीं रहा। चूंकि न्यून आधार प्रभाव 2023 में नहीं दिखेगा, इसलिए राजस्व धीमी गति से बढ़ सकता है, लेकिन जिंस कीमतों में नरमी से मुनाफे में तेजी आ सकती है।
2023 के इक्विटी प्रदर्शन पर भारत के अपेक्षाकृत ऊंचे मूल्यांकन का कितना असर पड़ सकता है?
वर्ष 2022 में, घरेलू इक्विटी प्रतिफल सुस्त रहा था, लेकिन हमने फिर भी अन्य बाजारों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया। इसलिए, भारत का मूल्यांकन मौजूदा समय में 2022 के मुकाबले कम है, लेकिन शेष दुनिया के मुकाबले इसमें अंतर बढ़ा है। ऐतिहासिक तौर पर, भारत ने विकसित बाजारों के मुकाबले 10-12 प्रतिशत तेजी और अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले 30-50 प्रतिशत वृद्धि के साथ कारोबार किया है। ये अनुपात अब बढ़कर करीब 35 प्रतिशत और 80 प्रतिशत तक हो गए हैं। इससे भारतीय बाजार के लिए चुनौती पैदा हो सकती है, क्योंकि हम एक सीमा से ज्यादा इस तेजी को सहन नहीं कर सकते, भले ही अर्थव्यवस्था ने अन्य के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया हो।
मजबूत घरेलू प्रवाह को देखते हुए मूल्यांकन में सुधार कैसे आ सकता है?
मूल्यांकन में तेजी स्थिर होती दिख रही है, क्योंकि भारत आय को लेकर अन्य किसी सकारात्मक बदलाव की स्थिति में नहीं नजर आ रहा है। सिर्फ अनुमान के मुकाबले तेज आर्थिक वृद्धि से ही मूल्यांकन बढ़ सकता है। कुल मिलाकर, हम ऊंचे मूल्यांकन की वजह से
इक्विटी बाजार में कम गतिविधि और आय की कम संभावना देख सकते हैं, जो महामारी के बाद की अवधि में सामान्य बात थी। हालांकि भारत वैश्विक स्तर पर सकारात्मक घटनाक्रम से लाभान्वित हो सकता है, क्योंकि या तो अमेरिका और रूस अनुमान से बेहतर आर्थिक हालात दर्ज करेंगे या रूस-यूक्रेन संकट समाप्त
हो जाएगा।
एक सक्रिय फंड प्रबंधक के तौर पर आय परिदृश्य चुनौतीपूर्ण लग रहा है?
निश्चित तौर पर।
अनिश्चितताओं की वजह से कोविड के बाद की स्थिति में आशंका ज्यादा थी और बाजार आर्थिक हालात के बारे में पूरी तरह से आकलन करने में सक्षम नहीं हो पा रहे थे। 2023 के संदर्भ में, अर्थव्यवस्था सामान्य दिख रही है और कुछ ही तिमाहियों में बडे आश्चर्यजनक बदलाव देखे जा सकते हैं।
क्या वैश्विक मंदी ने जिंस कीमतों में गिरावट के तौर पर भारतीय कंपनियों को फायदा पहुंचाया है?
इस पर विचार करने के दो तरीके हैं। अमेरिका में मंदी जिंसों की मांग को नरम बना सकती है, लेकिन इसकी भरपाई चीन में धीरे धीरे सामान्य हो रहे हालात से की जा सकती है। पिछले साल, कोविड की वजह से चीन से तेल के लिए मांग लगभग समाप्त हो गई थी। इसके अलावा, जिंसों की आपूर्ति भी ज्यादा मजबूत नहीं रही। इसकी वजह यह है कि तेल और गैस जैसी प्रमुख जिंसों के उत्पादन में निवेश कुछ साल से बढ़ा है।
2023 में फंड प्रबंधन के संदर्भ में आपकी रणनीति कैसी रहेगी?
मौजूदा समय में, बाजार में इसे लेकर आहम सहमति दिख रही है कि बैंकिंग और वित्त क्षेत्र लगातार बेहतर प्रदर्शन करेंगे। इसकी संभावना है कि बैंकों में और तेजी की क्षमता बनी हुई है। ऋण वृद्धि मजबूत बनी हुई है और उनकी बैलेंस शीट अच्छी स्थिति में हैं। ग्रामीण मांग में सुधार आने की संभावना है। ग्रामीण मांग में सुधार के संकेत दिख रहे हैं, लेकिन कोई खास कारण नजर नहीं आ रहे हैं।