अमेरिका का सिलिकन वैली बैंक (SVB) बंद होने के बाद देश में स्टार्टअप को समय पर वित्तीय मदद मुहैया कराने के लिए भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (Sidbi ) ने अपने फंड ऑफ फंड्स (FoF) के जरिये तैयारी शुरू कर दी है।
इसकी आशंका है कि नकदी चिंताओं के कारण अमेरिकी बैंकों के बंद होने की पृष्ठभूमि में आगामी कुछ महीनों के दौरान पूंजी प्रवाह अमेरिका की ओर बढ़ने की वजह से अल्पावधि में वैश्विक स्रोतों से कोष उगाही कमजोर पड़ सकती है।
Sidbi के अधिकारियों का कहना है कि यह FoF अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से पूंजी प्रवाह में किसी तरह के विलंब की वजह से होने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उन सक्रिय वैकल्पिक निवेश फंडों (AIFs) के साथ मिलकर काम करेगा, जो स्टार्टअप में निवेश करते हैं।
Sidbi की उद्यम पूंजी इकाई द्वारा प्रबंधित फंड ऑफ फंड फॉर स्टार्टअप (FFS) ने AIF को पूंजी मुहैया कराई है, जिससे 800 से ज्यादा स्टार्टअप को मदद मिल रही है। FFS की पेशकश प्रधानमंत्री द्वारा 16 जनवरी 2016 को स्टार्टअप इंडिया एक्शन प्लान की तर्ज पर की गई थी। इसमें बाजार नियामक सेबी के साथ पंजीकृत विभिन्न AIF को योगदान के लिए 10,000 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए।
Sidbi के अधिकारी ने कहा, ‘सिडबी में पर्याप्त कोष है और वह विवेकपूर्ण मानकों के तहत हरसंभव वित्तीय सहायता मुहैया कराएगा। मौजूदा समय में, कोई समस्या नहीं है और पिछले कुछ दिनों में किसी ने वित्तीय मदद के लिए इस संस्थान से संपर्क नहीं किया है।’
यह जरूरी नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय निवेशक SVB में अपनी जमाओं की वजह से प्रभावित हुए हों, क्योंकि ज्यादातर लोगों के निवेश मंदी के दौर से गुजरे हैं और यह माना जा रहा है कि स्टार्टअप अब अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं।
इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) की समिति अगले सप्ताह देश में स्टार्टअप तंत्र को सहायता मुहैया कराने की व्यवस्था पर चर्चा कर सकती है और अमेरिकी बैंक एसवीबी संकट के बाद पैदा हुए अवसरों को भुनाने पर विचार किया जा सकता है।
भारतीय बैंक, खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की स्टार्टअप तंत्र में कम पैठ है। उन्हें स्टार्टअप ग्राहकों को सेवा मुहैया कराने तथा इस क्षेत्र में अपना दायरा बढ़ाने के लिए जोखिम प्रबंधन, प्रतिभा विकास की दिशा में काम करने की जरूरत होगी।