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क्या सिर्फ Capital Gains Tax कम करने से FIIs भारतीय शेयर बाजार में लौटेंगे?

Helios Capital के फाउंडर एंड CIO समीर अरोड़ा का मानना है कि कैपिटल गेन टैक्स खत्म करने से FIIs के लिए भारतीय मार्केट ज्यादा स्टेबल और आकर्षक बनेगा।

Last Updated- March 03, 2025 | 1:28 PM IST
Samir Arora
Samir Arora at BS Manthan

Capital Gains Tax: सिर्फ कैपिटल गेन टैक्स में कटौती करने या इसे खत्म कर देने, चाहे वह लॉन्ग टर्म हो या शॉर्ट टर्म, से विदेशी निवेशकों (FIIs) को भारतीय शेयर बाजार में वापस लाने के लिए काफी नहीं होगा। एनॉलिस्ट्स का मानना है कि यह सही दिशा में एक कदम जरूर है, लेकिन विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए अतिरिक्त नीतिगत उपायों की जरूरत होगी।

कोटक महिंद्रा एएमसी के मैनेजिंग डायरेक्टर नीलेश शाह ने कहा, “कैपिटल गेन टैक्स में कटौती से निवेशकों का टैक्स के बाद रिटर्न बढ़ेगा,लेकिन सिर्फ टैक्स कम करने से विदेशी निवेशकों की वापसी सुनिश्चित नहीं होती। हमें अन्य उपायों पर भी ध्यान देना होगा।”

शाह का कहना है, सरकार कुछ अतिरिक्त नीतिगत उपाय लागू कर विदेशी निवेशकों को आक​र्षित कर सकती है। जैसेकि आरं​भिक सार्व​जनिक निर्गम (IPOs) और ऑफर फार सेल (OFS) में विदेशी निवेशकों (FPIs) के लिए विशेष कोटा और छूट, सेकेंडरी मार्केट में एफपीआई को प्राथमिकता,एफपीआई निवेश पर सरकार की ओर से गारंटीउ रिटर्न और KYC और ITR फाइलिंग से छूट।

उन्होंने कहा कि अगर इनमें से कुछ उपाय लागू किए जाते हैं, तो यह ग्लोबल लेवल पर पहली बार होगा और अन्य देशों में यह सुविधाएं नहीं मिलतीं। इससे निश्चित रूप से भारत में एफपीआई निवेश को बढ़ावा मिलेगा।”

समीर अरोड़ा ने की कैपिटल गेन टैक्स हटाने की वकालत

बहरहाल, हेलिओस कैपिटल के फाउंडर और मुख्य निवेश अधिकारी (CIO) समीर अरोड़ा का मानना है कि विदेशी निवेशकों के लिए कैपिटल गेन टैक्स खत्म करने से भारतीय कैपिटल मार्केट ज्यादा स्टेबल और आकर्षक बनेगा। बिजनेस स्टैंडर्ड मंथन समिट 2025 (Business Standard Manthan Summit 2025) में उन्होंने कहा, ”दुनिया के 200 में से 199 देशों में विदेशी निवेशकों के लिए स्टॉक मार्केट में कोई टैक्स नहीं लगता है।”

अरोड़ा ने बताया कि विदेशी निवेशकों को मुद्रा विनिमय दर (currency fluctuations) से भी नुकसान होता है, क्योंकि वे टैक्स भारतीय रुपये में चुकाते हैं, जिसे डॉलर में बदलकर वापस भेजा जाता है।

उन्होंने कहा, ”पिछले 7 सालों में भारतीय बाजार की औसत सालाना ग्रोथ 12 फीसदी रही है। डॉलर के लिहाज से यह रिटर्न सिर्फ 7-8% सालाना रहा। 2022-23 में भारत ने कैपिटल गेन टैक्स से 99,000 करोड़ रुपये ( करीब 10 अरब डॉलर) जुटाए। लेकिन यह आंकड़ा केवल बाजार के पीक पर आता है, आमतौर पर यह सिर्फ 2-3 अरब डॉलर होता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को मूल्यांकन (valuation) को ध्यान में रखते हुए विदेशी निवेशकों को टैक्स राहत देनी चाहिए।

भारत में कैपिटल गेन टैक्स का इतिहास

साल 1946-47 में पहली बार कैपिटल गेन टैक्स लागू किया गया। लेकिल, 1956 में तत्कालीन वित्त मंत्री टी.टी. कृष्णमाचारी ने इसे स्थायी कर दिया गया। उस समय, 15 हजार रुपये तक का कैपिटल गेन टैक्स फ्री था। 15,000 रुपये से ज्यादा की राशि पर एक प्रोग्रेसिव, स्लैब के आधार पर टैक्स रेट लागू था, जिसमें हाइएस्ट कैटेगरी पर 31.3 फीसदी टैक्स लगाया गया, जिसमें 10 लाख रुपये से अधिक की राशि शामिल थी।

बजट 2024 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैपिटल गेन्स, फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) और नए टैक्स रिजीम पर टैक्सेशन में बदलाव किया। शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स रेट 15% से बढ़ाकर 20% किया गया। सभी फाइनें​शियल और नॉन-फाइनें​शियल एसेट्स पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स रेट 10% से बढ़ाकर 12.5% किया गया। साथ ही LTCG की छूट सीमा 1.25 लाख रुपये सालाना की गई। F&O पर सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) बढ़ाया गया। इसे फ्यूचर्स के लिए 0.01 फीसदी से बढ़ाकर 0.02 फीसदी और ऑप्शंस के लिए 0.06 फीसदी से बढ़ाकर 0.1 फीसदी किया गया।

बाजार में क्यों है बिकवाली?

कोटक अल्टरनेट एसेट मैनेजर्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार जितेंद्र गोहिल के मुताबिक, भारतीय बाजार में हालिया बिकवाली सिर्फ टैक्स की वजह से नहीं हो रही है। जबकि इसकी बड़ी वजह भारतीय शेयरों की ऊंची वैल्यूएशन (high valuations), डॉलर की मजबूती और ग्रोथ को रफ्तार देने वाले बड़े रिफॉर्म्स में कमी है।

उन्होंने कहा, “भारत में राजनीतिक और वित्तीय जोखिम घट रहा है। विदेशी निवेशकों को दीर्घकालिक निवेश के लिए सुधार-आधारित नीतियों की जरूरत है – खासतौर पर भूमि, श्रम और कृषि सुधारों में।”

उन्होंने कहा, “भारत में राजनीतिक और वित्तीय जोखिम घट रहा है। विदेशी निवेशकों को दीर्घकालिक निवेश के लिए सुधार-आधारित नीतियों की जरूरत है – खासतौर पर भूमि, श्रम और कृषि सुधारों में।” उन्होंने कहा, सरकार ने निजीकरण (privatisation) और विनिवेश (disinvestment) को धीमा कर दिया है। ग्रोथ को सपोर्ट देने वाली नीतियों की कमी नजर आ रही है। हालांकि, मोदी सरकार को अब कम राजनीतिक बाधाओं का सामना करना पड़ेगा, जिससे सुधारों की प्रक्रिया फिर से तेज हो सकती है।

आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय बाजारों में जब से करेक्शन (अक्टूबर 2024 से) शुरू हुआ है, FIIs ने 2 लाख करोड़ से ज्यादा के भारतीय शेयर बेचे हैं। सेंसेक्स 13% और निफ्टी 14% गिरा है। जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में क्रमशः 19% और 23% की गिरावट आई।

ASK हेज सॉल्यूशंस के सीईओ वैभव सांघवी का कहना है, “जब कोई विदेशी निवेशक भारत में आता है या बाहर जाता है, तो उसे दूसरे देशों खासक इमर्जिंग या कैपिटल की कमी झेल रही अर्थव्यवस्थाओं, के निवेशकों के बराबर सुविधाएं मिलनी चाहिए। हमें तब तक विदेशी कैपिटल की जरूरत है जब तक हम एक विकसित अर्थव्यवस्था नहीं बन जाते। उसके बाद ही हम विकसित देशों की तरह टैक्स सिस्टम लागू कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स में कटौती करने से भारत विदेशी निवेश के लिए ज्यादा आकर्षक बनेगा, जिससे निवेश और रिटर्न दोनों बढ़ सकते हैं।”

First Published - March 3, 2025 | 1:27 PM IST

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