बाजार में तेजी आने के साथ ही ट्रेडिंग भी बढ़ गई है। मई में नकद श्रेणी में रोजाना औसतन 63,774 करोड़ रुपये की ट्रेडिंग हुई, जो सितंबर के बाद सबसे अधिक है। इसमें पिछले महीने के मुकाबले 16.5 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई, जो अगस्त के बाद से सबसे अधिक है।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर वायदा एवं विकल्प (F&O) श्रेणी में औसत दैनिक ट्रेडिंग की मात्रा यानी वॉल्यूम भी काफी बढ़ी है। मई में F&O ट्रेडिंग 252 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड छू आई, जो अप्रैल के 242 लाख करोड़ रुपये से 4 फीसदी अधिक है।
उद्योग भागीदारों के मुताबिक ट्रेडिंग वॉल्यूम का शेयर भाव में उतार-चढ़ाव के साथ करीबी संबंध होता है। उन्होंने कहा कि इस समय ट्रेडिंग बाजार चढ़ने की वजह से बढ़ी है। निफ्टी मिडकैप सूचकांक अपनी सर्वकालिक ऊंचाई पर पहले ही पहुंच चुका है और सेंसेक्स तथा निफ्टी 1 दिसंबर की अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई के करीब हैं। 5पैसा के सीईओ प्रकाश गगदानी ने कहा, ‘नकद बाजार के वॉल्यूम में हो रही वृद्धि की मुख्य वजह शेयर बाजार की तेजी है।’
मई में सेंसेक्स और निफ्टी में 2-2 फीसदी से अधिक बढ़त दर्ज की गई। इससे उनका तीन महीने का लाभ बढ़कर 5 फीसदी हो गया। महीने के दौरान व्यापक बाजार का दमदार प्रदर्शन भी जारी रहा। निफ्टी मिडकैप 100 सूचकांक में 6.2 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई जबकि निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांक 5.1 फीसदी चढ़ गया। इससे निफ्टी मिडकैप 100 सूचकांक का तीन महीने के लाभ 10 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांक का तीन महीने में वे 5-5 फीसदी ऊपर चले गए।
उद्योग भागीदारों का कहना है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की लिवाली के बीच बाजार में तेजी रहने से खुदरा खरीद भी बढ़ रही है। FPI ने मई में 43,838 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जो पिछले अगस्त के बाद सबसे अधिक हैं। पिछले तीन महीनों में FPI ने देसी शेयर बाजार में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।
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एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक (MD) एवं मुख्य कार्याधिकारी (CEO) धीरज रेली ने कहा, ‘जब बाजार तेज होता है तो धनाढ्य निवेशकों (HNI) के साथ-साथ खुदरा निवेशक भी पैसा लगाते हैं। म्युचुअल फंडों के पास भी पर्याप्त नकदी उपलब्ध है और वे भी निवेश के अवसर तलाश रहे थे।’
रेली ने कहा, ‘कुछ क्षेत्रों को छोड़ दिया जाए तो मार्च तिमाही का आय सीजन कुल मिलाकर अच्छा रहा। इसके अलावा वृहद आर्थिक परिदृश्य भी सुधरा है और और उतार-चढ़ाव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील रहने वाले संकेतक भी अच्छे दिख रहे हैं।’
नकद श्रेणी में वॉल्यूम बढ़ना ब्रोकरेज उद्योग के लिए अच्छा संकेत है क्योंकि F&O के मुकाबले इस श्रेणी में उनका कमीशन ज्यादा होता है। नकद वॉल्यूम में तेजी का मतलब यह भी है कि अटकी हुई पूंजी शेयरों में आ रही है।
उद्योग भागीदारों के हिसाब से 31 मई से लागू एमएससीआई के पुनर्संतुलन से भी ट्रेडिंग का कारोबार बढ़ गया है। सैमको के संस्थापक एवं सीईओ जिमीत मोदी ने कहा, ‘हमने देखा कि सूचकांकों के पुनर्संतुलन के कारण मई के अंतिम कारोबारी सत्र में नकद वॉल्यूम 1.4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। वॉल्यूम इससे ऊपर तभी जाएगा, जब बाजार का दायरा ज्यादा अनुकूल होगा।’
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विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में ट्रेडिंग वॉल्यूम पर मॉनसून की चाल और एफपीआई निवेश का असर पड़ेगा। गगदानी ने कहा, ‘मॉनसून सामान्य रहा तो बाजार नई ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं तथा नकद बाजार का वॉल्यूम भी और बढ़ सकता है।’
रेली ने कहा, ‘यदि जून में एफपीआई का निवेश 30,000 से 40,000 करोड़ रुपये के बीच रहा तो सूचकांक नई ऊंचाई पर चले जाएंगे।’