पिछले तीन महीनों में देसी शेयर बाजार में अच्छी तेजी देखी गई। इस दौरान बीएसई सेंसेक्स में करीब 7 फीसदी और निफ्टी 50 में 7.5 फीसदी की वृद्धि हुई है। विश्लेषकों का कहना है कि कंपनियों की कमाई में बढ़ोतरी के दम पर अगली कुछ तिमाहियों में बाजार में तेजी का रुख रहेगा। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में चुनौतियों के बावजूद भारतीय उद्योग जगत की आय में ज्यादा कमी आने के आसार नहीं हैं।
एचएसबीसी में एशिया पैसिफिक के इक्विटी स्ट्रैटजी प्रमुख हेरल्ड वैन डर लिन्डे ने अमित सचेदवा और अनुराग दयाल के साथ लिखे एक नोट में कहा है, ‘हमारा मानना है कि साल की कमजोर शुरुआत के बाद बाजार अब दो कदम आगे है। वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में कंपनियों की अच्छी कमाई से हमारी धारणा को बल मिला है। हालांकि, कमाई में थोड़ी कमी आ सकती है, लेकिन तेज गिरावट के आसार कम ही है।’
एचएसबीसी ने कहा है कि वित्त वर्ष 2023 में निफ्टी 50 की आय में साल की शुरुआत में 11 फीसदी से ज्यादा बढ़ने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन यह गिरकर 8.6 फीसदी रही। वित्त वर्ष 2024 में पिछले साल के मुकाबले आय में 19.2 फीसदी का अनुमान बरकरार है। ब्लूमबर्ग के अनुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में निफ्टी 50 की प्रति शेयर आय 827.90 रुपये रही, जो वित्त वर्ष 2024 में पिछले साल के मुकाबले 14.5 फीसदी बढ़कर 947.81 रह सकती है। यह वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 1101.11 रुपये और वित्त वर्ष 2026 में 1156,48 रुपये प्रति शेयर रह सकती है।
एंबिट के विश्लेषकों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में कंपनियों की आय मजबूत बनी रहेगी। एनएसई 500 कंपनियों की आय 51 फीसदी बढ़ी।
एंबिट के विश्लेषकों के अनुसार मार्च 2024 में प्रति शेयर आय का अनुमान 940 रुपये है और 10 साल का प्रतिफल 7.1 फीसदी रहा, जो निफ्टी 50 के 29,889 को टिकाऊ स्तर के तौर पर इंगित करता है। यह मौजूदा स्तर से करीब 12 फीसदी अधिक है। प्रभुदास लीलाधर के शोध निदेशक अमनीश अग्रवाल ने हालिया नोट में कहा कि निफ्टी 50 मौजूदा समय में एक साल आगे के आय के अनुमान पर 18.2 गुना पर कारोबार कर रहा है, जो 10 साल के औसत 20.7 से 12.1 फीसदी कम है। ऐसे में निफ्टी का लक्ष्य अप्रैल 2024 में 20,551 के स्तर पर पहुंचने का है। तेजी की स्थिति बनती है तो निफ्टी 50 का लक्ष्य 23,354 किया जा सकता है।
हालांकि इस साल अल नीनो के कारण मॉनसूनी बारिश कम होने की आशंका है और ऐसा होने पर बाजार पर भी असर पड़ सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि आय वृद्धि के अनुमान में इसके असर को पूरी तरह शामिल नहीं किया गया है। वास्तविक बारिश में किसी तरह की कमी से मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम हो सकता है जो न केवल भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति को प्रभावित करेगा बल्कि कंपनियों की आय वृद्धि पर भी असर पड़ सकता है तथा बाजार की धारणा को भी प्रभावित कर सकता है।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के शोध प्रमुख एवं संस्थापक जी चोकालिंगम के अनुसार बाजार दीर्घावधि की औसत से 10 फीसदी कम बारिश के प्रभाव को झेल सकता है लेकिन इससे कम बारिश से बाजार को झटका लग सकता है।