निफ्टी 50 सूचकांक को पिछले सप्ताह 25,000 पर प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। सूचकांक इस स्तर को निर्णायक रूप से तोड़ने में विफल रहा। इस मनोवैज्ञानिक सीमा के पास बिकवाली का दबाव तेज होने से बेंचमार्क 0.4 प्रतिशत गिरकर 24,751 पर बंद हुआ। विश्लेषकों का मानना हैकि बाजार नए सकारात्मक कारकों के अभाव में इसके आस पास ठहरा रहेगा।
सैमको सिक्योरिटीज में डेरिवेटिव रिसर्च एनालिस्ट धूपेश धमीजा ने कहा कि बाजार तब तक ऊपर की ओर बना रहेगा जब तक वह अपने 20-दिन के एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज से ऊपर रहता है, लेकिन 25,100 के स्तर को तोड़ना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘इससे ऊपर एक निर्णायक ब्रेकआउट तेजी की गति बढ़ा सकता है जबकि 24,700 से नीचे गिरने पर बिकवाली का खतरा बढ़ जाएगा। जब तक कोई स्पष्ट रुझान सामने नहीं आते, तब तक ज्यादा उतार-चढ़ाव रह सकते हैं।’
कंप्यूटर एज मैनेजमेंट सर्विसेज (कैम्स) और केफिन टेक्नोलॉजीज दो प्रमुख सूचीबद्ध रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट हैं और इनमें प्रत्येक का बाजार पूंजीकरण लगभग 19,000 करोड़ रुपये है। दोनों पर विचार की बात की जाए तो ब्रोकरेज फर्म इन्वेस्टेक ने कैम्स की तुलना में केफिन पर ज्यादा जोर दिया है। कैम्स के मुकाबले केफिन प्रीमियम (2026-27/वित्त वर्ष 2026 पीई) पर कारोबार कर रहा है।
वहीं कैम्स का शेयर वित्त वर्ष 2027 के 36 गुना पीई पर है। लेकिन इन्वेस्टेक का कहना है कि केफिन की मजबूत आय वृद्धि 50 प्रतिशत मूल्यांकन बढ़त का समर्थन करती है। कैम्स के वित्त वर्ष 2025 से वित्त वर्ष 2027 के बीच ईपीएस में 8 प्रतिशत सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से तेजी दर्ज किए जाने की संभावना है। इसके विपरीत केफिन द्वारा 18 फीसदी की ईपीएस सीएजीआर दर्ज किए जाने का अनुमान है। इन्वेस्टेक ने कैम्स के लिए 4,100 रुपये और केफिन के लिए 1,600 रुपये का कीमत लक्ष्य तय किया है।
प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) तीन सप्ताह की गर्मियों की छुट्टी के बाद सोमवार को कार्यवाही फिर से शुरू करेगा। कानूनी विशेषज्ञों को उम्मीद है कि न्यायाधिकरण के फिर से खुलने पर भारी संख्या में मामले दर्ज होंगे। सैट भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण और पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण की ओर से जारी आदेशों के खिलाफ अपीलों पर निर्णय सुनाता है।
न्यायाधिकरण के समक्ष केवल कुछ ही हाई-प्रोफाइल मामले लंबित हैं। हालांकि, अगर इंडसइंड बैंक के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी भेदिया कारोबार मामले में सेबी के अंतरिम आदेश का विरोध करते हैं तो यह मामला ध्यान आकर्षित कर सकता है।