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एल्गो ट्रेडिंग पर सेबी की सख्ती

भारतीय बाजार में संस्थागत और खुदरा निवेशकों के बीच एल्गो ट्रेडिंग पहले से ही चलन में है। हालांकि मौजूदा नियमों में कई खामियां थीं जिससे निवेशकों के लिए जोखिम पैदा हो गया था।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- February 04, 2025 | 10:34 PM IST

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने स्टॉक एक्सचेंजों के साथ एल्गोरिदम (एल्गो) ट्रेडिंग मुहैया कराने वाला पैनल अनिवार्य कर दिया है। उसने ऐप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) का उपयोग करने के नियमों को भी परिभाषित किया है। नए नियमों का मकसद नियामकीय खामियों को दूर करना और निवेशकों की सुरक्षा में इजाफा करना है।

भारतीय बाजार में संस्थागत और खुदरा निवेशकों के बीच एल्गो ट्रेडिंग पहले से ही चलन में है। हालांकि मौजूदा नियमों में कई खामियां थीं जिससे निवेशकों के लिए जोखिम पैदा हो गया था। द ब्रोकर्स इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स फोरम 1 अप्रैल, 2025 से पहले क्रियान्वयन के मानक तैयार करेगा और नए नियम 1 अगस्त से लागू होंगे। उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि नया ढांचा अधिक पारदर्शी तरीके से निवेशकों के बड़े वर्ग के लिए एल्गो को ज्यादा सुलभ बना देगा।

एल्गो ट्रेडिंग मुहैया कराने वालों का सेबी सीधे नियमन नहीं करेगा। नए नियमों को एक्सचेंजों के माध्यम से लागू किया जाएगा। एक्सचेंज एल्गो ट्रेडिंग की निगरानी रखेंगे और पैनल में शामिल होने के मानदंड तय करेंगे।

ब्रोकर केवल उन एल्गो ट्रेडिंग मुहैया कराने वालों को शामिल करने में सक्षम होंगे जो एक्सचेंजों के पैनल में होंगे। उन्हें एक्सचेंज से मंजूरी प्राप्त करने और शिकायतों का समाधान करने के साथ-साथ पाबंदी वाली गतिविधियों की निगरानी की भी जरूरत होगी। नए नियमों के तहत ओपन एपीआई की अनुमति नहीं दी जाएगी। पहचान और पता लगाने की क्षमता सुनिश्चित करने के लिए केवल एक यूनीक वेंडर क्लाइंट के माध्यम से ही पहुंच मुहैया कराई जाएगी।

जो निवेशक अपना खुद का एल्गो विकसित करते हैं, उन्हें प्रति सेकंड सीमा से निर्धारित ऑर्डर अधिक होने पर अपने ब्रोकर के माध्यम से एक्सचेंज के साथ पंजीकरण कराना होगा। इन निवेशकों को निकटतम परिवार के सदस्यों द्वारा अपने एल्गो के उपयोग की अनुमति दी जाएगी।

इसके अतिरिक्त ब्लैकबॉक्स एल्गो, जो नहीं बताते कि नतीजा कैसा आया- को बाजार नियामक के साथ अनुसंधान विश्लेषक के रूप में पंजीकरण करने की जरूरत होगी। तर्क में किसी भी बदलाव के लिए दोबारा पंजीकरण और विस्तृत शोध रिपोर्ट बरकरार रखने की जरूरत होगी।

एल्गो ट्रेडिंग में कीमतों में परिवर्तन और वॉल्यूम जैसे वेरिएबल से जुड़े पहले से प्रोग्राम किए गए निर्देशों के आधार पर ट्रेड को पूरा करना शामिल है। ये टूल अपनी प्रोग्रामिंग के आधार पर प्रतिभूतियों को स्वत: खरीदने या बेचने के लिए तर्क का उपयोग करते हैं।

एल्गो के परीक्षण के लिए एक्सचेंज मानक परिचालन प्रक्रिया जारी करेंगे और सभी एल्गो ऑर्डर के व्यवहार की निगरानी करेंगे। एल्गो ट्रेड मुहैया कराने वालों को जोड़ने से पहले ब्रोकरों को उचित ड्यू डिलिजेंस यानी जांच परख करने का निर्देश दिया गया है।

सेबी ने कहा कि एल्गो ट्रेड मुहैया कराने वालों और ब्रोकर ग्राहकों से एकत्र किए गए सदस्यता शुल्क और ब्रोकरेज को साझा कर सकते हैं। हालांकि उन्हें सभी शुल्कों का पूरी तरह से खुलासा ग्राहकों को करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि हितों का कोई टकराव न हो।

First Published : February 4, 2025 | 10:34 PM IST