बाजार नियामक सेबी ने 1 अक्टूबर से बाजार मध्यस्थों के लिए वैध यूपीआई हैंडल शुरू करने की पहल की है लेकिन यह पहल परिचालन संबंधी बाधाओं का सामना कर रही है। बड़ी संख्या में ऐसे शोध विश्लेषक और निवेश सलाहकार हैं जो अभी तक अपने हैंडल सुरक्षित कर पाए हैं।
जून में सेबी ने धोखाधड़ी और छद्म पहचान रोकने के लिए सभी पंजीकृत मध्यस्थों के लिए @ वैलिड वाला नया यूपीआई प्रारूप अनिवार्य कर दिया था। इस पहल का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि निवेशक केवल अधिकृत संस्थाओं को ही धनराशि हस्तांतरित करें क्योंकि बैंक केवल सेबी के सिस्टम पर सत्यापित मध्यस्थों को ही हैंडल जारी करेंगे।
कई मध्यस्थों ने कुछ अहम मसलों को उठाया है : सेबी के मध्यस्थ पोर्टल (एसआई पोर्टल) और बैंक रिकॉर्ड में नामों के बीच तालमेल नहीं होना, प्रक्रिया के बारे में बैंक कर्मचारियों के बीच सीमित जागरूकता और अनुमोदित सूची में कई बैंकों का नाम नहीं होना।
एक शोध विश्लेषक ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, सेबी के मध्यस्थ पोर्टल पर हमारी इकाई का नाम अलग है। चूंकि बैंक हैंडल जारी करने से पहले उस पोर्टल से नामों का सत्यापन करते हैं, इसलिए हमारा आवेदन अटका हुआ है। हमने यह मसला सेबी के पास उठाया है। उद्योग जगत के एक प्रतिभागी का अनुमान है कि करीब 25 फीसदी निवेश सलाहकारों ने अभी तक अपने यूपीआई हैंडल को सत्यापित नहीं कराया है।
एक निवेश सलाहकार ने कहा, निवेश सलाहकार बीएसई की निगरानी में आते हैं और उनके नाम सेबी के एसआई पोर्टल पर नहीं दिखते। बीएसई ने हमें सीधे अपने बैंकों से संपर्क करने की सलाह दी थी, लेकिन ज्यादातर शाखाओं में इस बारे में स्पष्टता नहीं थी। आवेदन लंबित हैं और बैंकों को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि एक्सचेंज की स्वीकृत सूची से कई बैंकों के नाम गायब हैं। एक अन्य सलाहकार के अनुसार, बीएसई ने इस मामले को बड़े पैमाने पर उठाया है तथा वह मध्यस्थों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर रहा है।
सेबी ने इन चिंताओं के समाधान के लिए करीब 600 प्रतिभागियों के साथ हाल में एक वेबिनार किया था। हालांकि कई मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं और नियामक ने मध्यस्थों से आगे स्पष्टीकरण के लिए ईमेल के माध्यम से अपने प्रश्न भेजने को कहा है। उद्योग जगत के कुछ जानकारों का कहना है कि वैध यूपीआई हैंडल की कमी से तत्काल कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं हो सकता है क्योंकि कई ग्राहक सलाहकारों के साथ लेन-देन करते समय अन्य भुगतान विधियों को प्राथमिकता देते हैं।
नए यूपीआई आईडी एबीसी डॉट बीकेआर @वैलिडएचडीएफसी या एक्सवाईजेड डॉट एमएफ @ वैलिडएचडीएफसी जैसे प्रारूपों में होंगे। आसान पहचान के लिए इनमें हरे त्रिकोण के अंदर एक सफेद थम्स अप चिह्न भी होगा। बैंकों को सेबी के पोर्टल से मध्यस्थ विवरण का मिलान करने के बाद ही हैंडल जारी करने होंगे।
जून के सर्कुलर के तहत बैंकों को 90 दिनों के भीतर आवंटन पूरा करने को कहा गया था। इसके बाद पुराने यूपीआई आईडी बंद कर दिए जाएंगे। इस बारे में जानकारी के लिए सेबी और बीएसई को भेजे गए सवालों का जवाब नहीं मिला।