रिजर्व बैंक (RBI) लिस्टेड कंपनियों में व्यक्तिगत विदेशी निवेशकों के निवेश की सीमा को दोगुना करके 10 फीसदी करने वाला है। इसका मकसद कैपिटल इनफ्लो को बढ़ावा देना है। दो सीनियर सरकारी अधिकारियों और रायटर द्वारा रिन्यू किए गए दस्तावेजों के आधार पर यह जानकारी सामने आई है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) कमजोर अर्निंग्स, हाई वैल्यूएशन और अमेरिकी टैरिफ के संभावित असर से दबाव में हैं। उन्होंने बेंचमार्क एनएसई निफ्टी 50 (NSE Nifty 50) में सितंबर के रिकॉर्ड उच्च स्तर के बाद से भारतीय शेयरों से 28 अरब डॉलर से ज्यादा की निकासी की है।
अधिकारियों ने कहा कि विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए भारत उन सभी विदेशी निवेशकों के लिए लाभों का विस्तार कर रहा है जो अब तक केवल प्रवासी भारतीयों तक ही सीमित थे। साथ ही लागू निवेश सीमाओं को भी बढ़ा रहा है।
रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह सरकार को एक लेटर में कहा, “ऐसा महसूस होता है कि इन प्रस्तावों को जल्द से जल्द लागू किया जा सकता है”। लेटर में एक्सटर्नल सेक्टर के हाल के घटनाक्रमों के बीच कैपिटल इनफ्लो में रुकावट की ओर इशारा किया गया है।
वित्त मंत्रालय, केंद्रीय बैंक और बाजार नियामक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से ईमेल के जरिए इस पर टिप्पणी मांगी गई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
दस्तावेज से पता चला है कि योजनाओं में सभी विदेशी व्यक्तिगत निवेशकों को लिस्टेड कंपनी में अधिकतम 10 फीसदी निवेश करने की अनुमति देने का प्रस्ताव किया है।
यह विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के अंतर्गत विशेष नियमों के तहत प्रवासी भारतीय नागरिकों को भारतीय कंपनी में 5 फीसदी हिस्सेदारी रखने की अनुमति से ज्यादा है।
दूसरे सरकारी अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, “फिलहाल विदेशी मुद्रा प्रबंधन नियमों में केवल गैर-निवासी भारतीयों (NRIs) और भारत के प्रवासी नागरिकों (OICs) का उल्लेख अनुसूची III के तहत किया गया है।” “हम इसे सभी व्यक्तिगत विदेशी निवेशकों को शामिल करने के लिए व्यापक बना रहे हैं।”
अधिकारियों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) किसी भारतीय लिस्टेड कंपनी में सभी विदेशी व्यक्तिगत निवेशकों के लिए संयुक्त होल्डिंग सीमा को भी मौजूदा 10 फीसदी से बढ़ाकर 24 फीसदी कर देगा। अधिकारियों ने कहा कि भारतीय लिस्टेड कंपनियों में विदेशी निवेशक सीमा बढ़ाने की योजना सरकार, RBI और सेबी के बीच चर्चा के अंतिम चरण में है।
सरकार और RBI इस कदम के पक्ष में हैं। जबकि बाजार नियामक ने विदेशी निवेश सीमाओं के अनुपालन की निगरानी में कुछ चुनौतियों को चिह्नित किया है। इसने चेतावनी दी है कि सहयोगियों के साथ एक विदेशी निवेशक की 10 फीसदी की सिंगल होल्डिंग 34 फीसदी से ज्यादा हो सकती है, जिससे अधिग्रहण के नियम लागू हो सकते हैं।
सेबी ने पिछले महीने RBI को लिखे एक पत्र में चेतावनी दी, “अलग-अलग फ्रेमवर्क में प्रभावी निगरानी के बिना ऐसे अधिग्रहणों का पता नहीं चल सकता है।”
भारतीय नियमों के अनुसार, अगर कोई निवेशक किसी कंपनी में 25 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी खरीदता है तो उसे खुदरा निवेशकों के पास मौजूद शेयरों के लिए खुली पेशकश करनी पड़ती है। सरकार और नियामक अब सुधारों को अंतिम रूप देने से पहले इन चिंताओं पर विचार कर रहे हैं।
दूसरे अधिकारी ने कहा, “हम विदेशी निवेशकों द्वारा विनियमों में इस तरह के आर्बिट्राज की संभावना को रोकने के लिए नियमों को युक्तिसंगत बनाने के लिए काम कर रहे हैं।”