भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सोमवार को कहा कि अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट ने नियामक के 3 जुलाई के आदेश का पालन करते हुए 4,844 करोड़ रुपये एक एस्क्रो खाते में जमा किए हैं। इस हाई फ्रीक्वेंसी फर्म ने सेबी से अंतरिम आदेश के तहत लगाए गए ‘कुछ सशर्त प्रतिबंधों’ को हटाने का भी अनुरोध किया है। बाजार नियामक ने कहा कि अंतरिम आदेश के निर्देशों के अनुसार अनुरोध की पड़ताल की जा रही है।
जेन स्ट्रीट ने सेबी को बताया कि कंपनी ने उक्त राशि जमा करने का निर्णय किया है मगर इससे कानून और इक्विटी के क्षेत्र में उसके जो अधिकार और उपाय हैं, उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मामले से अवगत सूत्रों ने कहा कि जेन स्ट्रीट अभी ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू नहीं करने जा रही है। सूत्रों ने बिना कोई समयसीमा बताए यह भी कहा कि ट्रेडिंग फर्म अभी भी सेबी के अंतरिम आदेश को चुनौती देने की योजना बना रही है।
कानून के विशेषज्ञों ने कहा कि नियामक से इस तरह के मामलों में बड़ी छूट मिलना असामान्य है, खास तौर जब जांच अभी पूरी होनी बाकी है। उन्होंने कहा कि मामले में अधिक स्पष्टता तभी आ सकती है जब सेबी ट्रेडिंग फर्म को कारण बताओ नोटिस जारी करे और इसमें कुछ महीने लग सकते हैं। नियामक ने अपने शुरुआती आदेश में कहा था कि विकल्प, नकद और वायदा बाजार में फर्म के ट्रेड की जांच जारी रहेगी।
सूत्रों के अनुसार बाजार नियामक समूचे एक्सचेंज और सूचकांकों में संबंधित संस्थाओं और ट्रेडिंग रणनीतियों की जांच कर रहा है, जिससे वर्तमान जांच का दायरा बढ़ गया है। पहले यह जांच निफ्टी बैंक के 15 एक्सपायरी और निफ्टी 50 सूचकांक के तीन एक्सपायरी तक सीमित थी। सूत्रों के अनुसार नियामक द्वारा उन्नत टूल्स के उपयोग से जुड़ी जांच छह महीने से अधिक समय तक चल सकती है।
अनुमान है कि जेन स्ट्रीट ने जनवरी 2025 और मार्च 2025 के बीच इंडेक्स ट्रेडिंग के माध्यम से इक्विटी-ऑप्शन्स में 43,289 करोड़ रुपये कमाये हैं। हालांकि इनमें से सभी लाभों को अवैध नहीं माना गया है।
105 पृष्ठों के अंतरिम आदेश में सेबी ने एचएफटी दिग्गज को लोकप्रिय बैंक निफ्टी सूचकांक में कथित रूप से हेरफेर करने के आरोप में अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया था। साथ ही कथित हेरफेर द्वारा ‘अवैध रूप से’ कमाये गए 4,844 करोड़ रुपये की जब्ती का आदेश दिया था। सेबी द्वारा दी गई यह सबसे बड़ी जब्ती का आदेश है।
सेबी ने कंपनी को आरोपों का जवाब देने के लिए 21 दिन का समय दिया था। एक आंतरिक पत्र में ट्रेडिंग फर्म ने सेबी के आदेश को ‘बुनियादी रूप से गलत’ बताया था। न्यूयॉर्क की इस फर्म द्वारा सेबी के आदेश के खिलाफ जल्द ही प्रतिभूति अपीलीय पंचाट (सैट) में याचिका दायर करने की संभावना है।
सेबी ने फर्म पर धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं के निषेध (पीएफयूटीपी) के उल्लंघन का आरोप लगाया है, जो सेबी अधिनियम के तहत एक गंभीर उल्लंघन है। इस घटनाक्रम के बाद बीएसई का शेयर लगभग 4 फीसदी चढ़ गया। सूचीबद्ध इक्विटी एक्सचेंज के शेयर जेन स्ट्रीट पर सेबी के प्रतिबंध के तत्काल बाद 15 फीसदी गिर गए थे। इस रोक से वायदा और विकल्प कारोबार में 20 फीसदी से अधिक की गिरावट आई थी।
सूत्रों ने कहा कि अगर जेन स्ट्रीट को एक बार फिर भारतीय बाजार में पहुंच की अनुमति दी जाती है तो इस बार सेबी और एक्सचेंजों दोनों की ओर से फर्म पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।
बाजार नियामक ने स्टॉक एक्सचेंजों को जांच और आगे की कार्यवाही पूरी होने तक जेन स्ट्रीट समूह के भविष्य के सभी सौदों और स्थितियों पर निरंतर आधार पर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया है।
जेन स्ट्रीट की रणनीति में इंडेक्स को कृत्रिम रूप से बढ़ाने के लिए नकद और वायदा दोनों सेगमेंट में बैंक निफ्टी शेयरों को आक्रामक रूप से खरीदना शामिल था। बाद में वह दिन के दौरान इंडेक्स ऑप्शन्स में बड़ी शॉर्ट पोजीशन रखते हुए खरीदे गए पोजीशन को बेच देती थी जिससे इंडेक्स में गिरावट से लाभ होता था। जेन स्ट्रीट ने कहा कि ये ट्रेड मानक ‘इंडेक्स आर्बिट्राज’ रणनीति का हिस्सा थे।