मॉर्गन स्टैनली में मुख्य इक्विटी रणनीतिकार (इंडिया) रिधम देसाई ने समी मोडक को इंटरव्यू में बताया कि इंडिया गठबंधन सरकार बनने से सुधार एजेंडे में कोई बाधा नही आएगी।
मॉर्गन स्टैनली इंडिया इन्वेस्टमेंट फोरम के मौके पर देसाई ने कहा कि वित्तीय समेकन और इन्फ्रास्ट्रक्चर,विनिर्माण को बढ़ावा देने के प्रयासों पर आम बजट में नजर बनी रहेगी। बातचीत के मुख्य अंश:
पिछले सप्ताह हमने काफी उतार-चढ़ाव देखा। क्या बाजार अब स्थिर होंगे?
चुनावी नतीजों के दिन निवेशक थोड़े परेशान थे क्योंकि वे सोच रहे थे कि गठबंधन सरकार बनने से समस्या हो सकती है। लेकिन पिछले कुछ दिनों में आपने जो संकेत देखे हैं, उससे अब यह बात नहीं रह गई है। हकीकत में तो यह मोदी 2.0 का ही विस्तार है।
गठबंधन सरकार वास्तव में आर्थिक एजेंडे में बहुत बाधक नहीं बनती है क्योंकि इसके लिए संसद में बहुमत की आवश्यकता नहीं होती है। संसद से जुड़े कुछ एजेंडे में थोड़ा वक्त लग सकता है। ‘एक राष्ट्र, एक वोट’ या समान नागरिक संहिता जैसी चीजें सीधे तौर पर अर्थशास्त्र से नहीं जुड़ी हैं।
आम बजट से आपको क्या उम्मीदें हैं?
हमें फरवरी के संदेश की इस पुनरावृत्ति की उम्मीद करनी चाहिए कि सरकार मजबूत वित्तीय समेकन की ओर बढ़ रही है, और हम पिछले साल की तुलना में कम कर्ज लेंगे। हम एक बार फिर इस बात की पुष्टि देखेंगे कि यह रेलवे जैसे चुनिंदा बुनियादी ढांचे वाले क्षेत्रों पर केंद्रित होगा, जहां अभी और काम किया जाना बाकी है।
हमें विनिर्माण को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में कुछ संकेत मिलेंगे। मुझे यह भी लगता है कि डीप टेक के प्रति सरकार अपनी प्रतिबद्धता दोहराएगी।
सरकार के बढ़ावे से किन थीमों को फायदा होगा?
पहली है निजी क्षेत्र के ऋणदाता। उन्हें मजबूत ऋण वृद्धि का लाभ मिलेगा। दूसरी थीम है कॉरपोरेट क्षेत्र जिसके पास निवेश शुरू करने की गुंजाइश होगी जिसका मतलब है कि औद्योगिक क्षेत्र अच्छा करेगा। हमें उम्मीद है कि वैश्विक निर्यात में भारत की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार लगातार प्रयास करेगी। इससे अगले 5 से 10 वर्षों में अर्थव्यवस्था में विनिर्माण की भागीदारी बढ़ेगी।
कई क्षेत्र सरकार के फोकस में हैं। इनमें पीएलआई या जीएसटी को तर्कसंगत बनाना या मंजूरियों में तेजी लाना शामिल हो सकता है। इनमें रक्षा, इलेक्ट्रानिक्स, फूड प्रोसेसिंग, लैब डायमंड और अक्षय ऊर्जा शामिल है। सरकार सामाजिक बुनियादी ढांचे पर लगातार जोर देगी, जिसमें गरीबों को नए घर दिलाना, पानी की व्यवस्था या और अधिक शौचालय बनवाना शामिल है। इसलिए यह खपत के लिए अच्छा है। ग्रामीण भारत में वास्तव में बड़ा सुधार आ रहा है। भारत की ऊर्जा खपत भी अगले 10 साल में तेजी से बढ़ेगी।
क्या इन क्षेत्रों, खासकर रक्षा क्षेत्र का मूल्यांकन ज्यादा बढ़ गया है?
हां, हमेशा ऐसे कुछ शेयर रहे हैं जो जरूरत से ज्यादा बढ़ते हैं। बाद में उनमें गिरावट आती है और आपको नया अवसर मिलता है। हम थीम पर ध्यान केंद्रित करते हैं और फिर शेयर चयन पर ध्यान देते हैं।
आपको निश्चित रूप से यह समझना होगा कि कीमत में ऐसा क्या है। अगले चार या पांच साल में आय 20 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। इसमें अभी बहुत गुंजाइश है। कुछ शेयर अपनी आय के अनुमान से थोड़ा आगे हो सकते हैं, जबकि अन्य पीछे रह सकते हैं। इसलिए कब खरीदना चाहिए, इसका फैसला पोर्टफोलियो प्रबंधकों पर छोड़ देना ही बेहतर है।
क्या आपने सेंसेक्स के लिए कोई लक्ष्य तय किया है?
अगले जून तक हमने सेंसेक्स के लिए 82,000 का लक्ष्य तय किया है। दरअसल, सेंसेक्स आय वृद्धि के मुकाबले कम रिटर्न देगा। दुनिया से जुड़ी हमारी इक्विटी रणनीतियां इक्विटी परिसंपत्ति वर्ग पर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं और भारतीय बाजार भी इससे अलग थलग नहीं हैं। लेकिन मेरा पक्का मानना यह है कि भारत शेष दुनिया की तुलना में लगातार बेहतर प्रदर्शन करेगा।
आप किन क्षेत्रों पर अंडरवेट हैं?
हम आमतौर पर वैश्विक से जुड़े क्षेत्रों पर कम भरोसा करते हैं और रक्षात्मक रुख अपनाते हैं, क्योंकि हमें लगता है कि स्थानीय चक्रीयता आधारित क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
