Stock Market Crash: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का असर घरेलू शेयर बाजारों पर भी देखने को मिला। केंद्र सरकार के शिमला समझौते रद्द करने से जैसे कदम उठाने के बाद निवेशकों में घबराहट देखी जा रही है। बीएसई सेंसेक्स शुक्रवार को इंट्रा-डे में 1000 अंक से ज्यादा फिसल गया। जबकि निफ्टी-50 आज 24 हजार के नीचे फिसल गया। एनालिस्ट्स का मानना है कि पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ सकता है। मगर इस समय दोनों देशों के बीच एक पूर्ण युद्ध की संभावना नहीं है।
अल्फानिति फिनटेक के को-फाउंडर और निदेशक यू आर भट के अनुसार, पहलगाम में हुई घटना के बाद बाजार में थोड़ी घबराहट है। उन्होंने कहा कि बाजारों में हाल ही में अमेरिकी टैरिफ की आशंका से हुई गिरावट के बाद तेजी आई थी। लेकिन अब निवेशक मुनाफा बुक कर रहे हैं। भारत-पाकिस्तान के भू-राजनीतिक स्थिति पर स्पष्टता आने तक सतर्क रुख अपना रहे हैं।
भट ने कहा, “निवेशक पाकिस्तान के साथ बढ़ रहे भू-राजनीतिक हालात के कारण चिंतित हैं। खासकर पहलगाम हमले के बाद। बाजारों को आशंका है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ेगा और इसमें कोई संदेह नहीं है। अब यह देखना होगा कि भारत इस घटनाक्रम का किस प्रकार और कितनी जल्दी जवाब देगा। हालांकि, इसका कोई भी अनुमान नहीं लगा सकता। इस कारण निवेशक अपनी पोजीशन हल्की रख रहे हैं।”
पहलगाम हमले में आतंकवादियों ने 26 भारतीयों की हत्या की है। भारत ने पाकिस्तान के कूटनीतिक और रणनीतिक हितों को लक्षित करते हुए कई प्रतिशोधी कदम उठाए हैं। इनमें पाकिस्तानी सैन्य अटैचियों को निष्कासित करना, अटारी सीमा को बंद करना और सिंधु जल संधि को निलंबित करना शामिल है। रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान सेना के सैनिकों ने गुरुवार रात जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) पर कई स्थानों पर गोलीबारी की।
वहीं, बाजार में शुक्रवार को बीएसई सेंसेक्स 1000 अंक से अधिक गिरकर 78,605.81 पर पहुंच गया। 25 मार्च 2025 को 78,017.19 के स्तर से यह 7,236 अंक गिरकर 71,425 पर आ गया था, जो 8.4% की गिरावट दर्शाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ की 90 दिनों की अवधि बढ़ाने से बाजारों में तेजी आई और सेंसेक्स 12.4% बढ़कर 80,254.55 पर पहुंच गया था।
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इतिहास में देखा गया है कि राजनीतिक जोखिमों के कारण शेयर बाजारों में आमतौर पर तत्काल प्रतिक्रिया होती है, लेकिन वे जल्दी संभल भी जाते हैं। उदाहरण के तौर पर 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल वार के दौरान भी बाजारों में तेज गिरावट आई थी। हालांकि, जल्द ही यह महसूस हुआ कि संघर्ष लंबा नहीं चलेगा, जिसके बाद बाजारों में तेज़ रैली देखी गई।
एक्विनोमिक्स रिसर्च के संस्थापक और प्रमुख ग चोकलिंगम ने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच हाल की घटनाओं के कारण बाजारों में अस्थिरता बनी रहेगी और इससे गिरावट की और संभावना हो सकती है।
चोकलिंगम ने कहा, “निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और घटनाक्रम पर नजर रखनी चाहिए। लेकिन इस समय घबराने की कोई जरूरत नहीं है। एक पूर्ण युद्ध की संभावना नहीं है। मगर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ेगा। ऐसा बाजारों का मानना है। बाजार इस स्थिति से निपटने में सक्षम होंगे और जैसे पहले भी देखा गया है, अंत में वे फिर से उबर जाएंगे। एक निवेश रणनीति के रूप मे निवेशकों को लंबी अवधि की दृष्टि से गिरावट के दौरान खरीदारी करनी चाहिए। मैं बैंकिंग सेक्टर को लेकर सकारात्मक हूं।”