वित्त वर्ष 2023 की जनवरी-मार्च तिमाही में एचडीएफसी बैंक के नतीजे ने निवेशकों को उत्साहित नहीं किया है, क्योंकि ऊंची लागत, विलय से जुडी अनिश्चितताओं से धारणा लगातार प्रभावित हुई है।
इसके अलावा विश्लेषकों को आशंका है कि विलय संबंधित लागत से अल्पावधि में मार्जिन और लागत-आय अनुपात पर दबाव पड़ सकता है, जबकि पूंजी पर प्रतिफल पैतृक के कम लाभ की वजह से नरम रह सकता है। इसलिए विश्लेषक यह मान रहे हैं कि शेयर की रेटिंग में बदलाव में अभी कुछ समय लग सकता है।
शेयरखान की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हालांकि स्टैंडएलॉन आधार पर रेटिंग में कमी की आशंका काफी कम दिख रही है, क्योंकि व्यावसायिक प्रदर्शन मजबूत बना हुआ है, लेकिन हमारा मानना है कि शेयर की रेटिंग में सुधार तभी होगा जब विलय को लेकर स्थिति और ज्यादा स्पष्ट हो जाएगी।’
एचडीएफसी बैंक का शेयर दिन के कारोबार में 2.3 प्रतिशत गिर गया और आखिर में 1.5 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 1,667 रुपये पर बंद हुआ, जबकि सेंसेक्स में 0.86 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही के दौरान, निजी क्षेत्र में देश के सबसे बड़े ऋणदाता एचडीएफसी बैंक का शुद्ध लाभ 19.8 प्रतिशत बढ़कर 12,047 करोड़ रुपये हो गया, क्योंकि उसे मजबूत ऋण वृद्धि से मदद मिली।
शुद्ध ब्याज आय (NII) 23.7 प्रतिशत तक बढ़कर 23,351.8 करोड़ रुपये रही और प्रमुख शुद्ध ब्याज मार्जिन कुल परिसंपत्तियों का 4.1 प्रतिशत रहा, और ब्याज-आय परिसंपत्तियों के आधार पर 4.3 प्रतिशत रहा।
हालांकि मजबूत एनआईआई वृद्धि के बावजूद एचडीएफसी बैंक ने कमजोर प्रमुख प्रावधान-पूर्व परिचालन लाभ (PPOP) वृद्धि दर्ज की, क्योंकि इस पर ऊंचे परिचालन खर्च से दबाव पड़ा।
परिचालन खर्च सालाना आधार पर 32.6 प्रतिशत तक बढ़ा, क्योंकि बैंक ने 1,479 शाखाएं खोलीं, और पिछले एक साल में 32,478 कर्मचारी अपने साथ जोड़े। लागत-आय अनुपात बढ़कर 42 पर पहुंच गया, जो तिमाही आधार पर 238 आधार अंक तक की वृद्धि है।
कर्मचारी खर्च भी सालाना आधार पर 38.7 प्रतिशत तक बढ़कर 4,360 करोड़ रुपये हो गया, खासकर इसमें 300 करोड़ रुपये के ईसॉप खर्च की वजह से वृद्धि दर्ज की गई। इसकी वजह से लागत-आय अनुपात भी वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही के 38.3 प्रतिशत के मुकाबले बढ़कर 42 प्रतिशत हो गया।
बैंक प्रबंधन ने महानगरीय बाजारों से अलग भी अपना फ्रैंचाइजी आधार बढ़ाने पर जोर दिया है। हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि मजबूत राजस्व वृद्धि आधारित ये निवेश बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगे।
विश्लेषक मान रहे हैं कि आक्रामक तौर पर शाखा विस्तार से परिचालन खर्च अनुपात अल्पावधि से मध्यावधि में ऊंचा बना रहेगा।
वैश्विक ब्रोकरेज HSBC का मानना है कि अल्पावधि लागत ऋणदाता की दीर्घावधि वृद्धि की रफ्तार मजबूत बना सकती है, क्योंकि एचडीएफसी बैंक जमाओं के लिए बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बावजूद उन प्रमुख बैंकों में शामिल हैं जिनमें जमा वृद्धि की रफ्तार ऋण वृद्धि से ज्यादा है।
उसने कहा है, ‘भले ही इन जरूरी निवेश से अल्पावधि में ईपीएस वृद्धि में नरमी को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन इससे प्रतिस्पर्धियों के बीच एचडीएफसी बैंक की मध्यावधि-दीर्घावधि स्थिति मजबूत होगी।’