HDFC Bank Share: देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर के बैंक एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) के शेयर मंगलवार को अचानक 50 फीसदी से ज्यादा टूटते हुए नज़र आए। यह गिरावट पिछले बंद भाव की तुलना में थी। हालांकि, यह तेज़ गिरावट बैंक की फाइनेंशियल हेल्थ से जुड़ी नहीं थी। दरअसल, यह 1:1 बोनस शेयर इश्यू के कारण तकनीकी समायोजन (adjustment) का असर था। मंगलवार को बैंक के शेयर NSE और BSE पर एक्स-बोनस ट्रेड होने लगे।
बोनस इश्यू के तहत, हर शेयरहोल्डर को उसके पास मौजूद हर एक शेयर के बदले एक और शेयर मुफ्त में दिया जाता है। इससे बाजार में कुल शेयरों की संख्या बढ़ जाती है, लेकिन कंपनी की कुल वैल्यू या निवेशकों की वेल्थ पर कोई असर नहीं पड़ता। इस प्रक्रिया में शेयर का भाव उसी रेश्यो में घटा दिया जाता है। मंगलवार को इसी वजह से एचडीएफसी (HDFC Bank) का शेयर करीब 62% गिरकर ₹982.20–₹986.30 के दायरे में खुला। पिछले दिन का बंद भाव ₹2,600 के करीब था।
हालांकि, यह गिरावट स्क्रीन पर बहुत बड़ी दिखी, लेकिन यह सिर्फ एक मैथमेटिकल (mathematical) बदलाव था। इसका एचडीएफसी बैंक की परफॉर्मेंस या निवेशकों के भरोसे से कोई लेना-देना नहीं है।
आसान भाषा में बताये तो बोनस एक तरह से अतिरिक्त शेयर होते हैं। कंपनियां बोनस शेयर अपने मौजूदा शेयरहोल्डर्स को मुफ्त में देती हैं। ये शेयर सिर्फ उन्हीं निवेशकों को मिलते हैं जिनके पास पहले से कंपनी के शेयर होते हैं। कंपनियां अपने स्टॉक को रिटेल निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बनाने के लिए बोनस शेयर जारी करती हैं
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जब कोई कंपनी अच्छा मुनाफा कमाती है, लेकिन उसके पास नकद (कैश) कम होता है, तो वह अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड देने की जगह बोनस शेयर जारी करती है। इससे कंपनी की कैश फ्लो पर असर नहीं पड़ता और निवेशकों को भी फायदा मिलता है।
बोनस शेयर मौजूदा शेयरों के अनुपात (Ratio) में दिए जाते हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई कंपनी 2:1 के रेश्यो में बोनस देती है, तो इसका मतलब है कि हर दो शेयर पर एक बोनस शेयर मिलेगा। अगर किसी निवेशक के पास 1,000 शेयर हैं, तो उसे 500 बोनस शेयर (1,000 x 1/2) और मिलेंगे।