विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने शेयर कीमतों में खासी तेजी के बीच देसी धातु और खनन कंपनियों में इस साल अपनी शेयरधारिता में बढ़ोतरी की है। इस साल अब तक के लिहाज से एफपीआई की वेदांत में हिस्सेदारी 371 आधार अंक बढ़कर 11.9 फीसदी पर जा पहुंची।
अनिल अग्रवाल समूह की फर्म का शेयर इस कैलेंडर वर्ष में 84 फीसदी चढ़ा है। इसी तरह सरकारी कंपनी नालको और कोल इंडिया में एफपीआई की हिस्सेदारी 54-54 आधार अंक बढ़ी है, वहीं हिंदुस्तान कॉपर में उनकी हिस्सेदारी में 130 आधारअंकों का इजाफा हुआ है। हिंदुस्तान जिंक, जिंदल स्टील और हिंडाल्को इस क्षेत्र की अन्य कंपनियां हैं जहां एफपीआई की शेयरधारिता में इजाफा हुआ है।
एफपीआई की बढ़ी दिलचस्पी की वजह?
पहला, धातु व खनन क्षेत्र न सिर्फ देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर उम्दा प्रदर्शन करने वालों में शामिल है। वैश्विक खनन दिग्गज बीएचपी ग्रुप, रियो टिंटो और ग्लेनकोर के शेयर इस कैलेंडर वर्ष में चीन की अर्थव्यवस्था के अनिश्चित परिदृश्य के बीच 12-12 फीसदी गिरे हैं। देसी कंपनियों को इस वित्त वर्ष में मजबूत उत्पादन से फायदा पहुंचा है।
खनन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-जुलाई 2024 के दौरान लौह अयस्क का उत्पादन 9.8 करोड़ टन पर पहुंच गया, जो पिछले साल इसी अवधि में 9 करोड़ टन था।
मैंगनीज अयस्क का उत्पादन भी इस दौरान पहले के 11 लाख टन के मुकाबले 18.2 फीसदी बढ़कर 13 लाख टन पर पहुंच गया। देसी कंपनियों को यहां के खासे खनिज भंडार और लागत के फायदे का भी लाभ मिला है।