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पिछले वर्ष के दौरान गैर-अनुपालन की वजह से प्रवर्तकों के जब्त डीमैट खातों में वृद्धि हुई है। स्टॉक एक्सचेंजों ने ऐसे ज्यादा खाते जब्त
किए हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की 12 अगस्त को जारी 2024-25 की सालाना रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, बीएसई ने 457 कंपनियों के प्रवर्तकों के डीमैट खाते फ्रीज कर दिए। बीएसई में 5,452 कंपनियां सूचीबद्ध थीं, जिनमें से 4,463 में मार्च 2025 तक कारोबार हुआ। फ्रीज किए गए प्रवर्तक खाते साल के दौरान कारोबार वाली संस्थाओं के दसवें हिस्से से अधिक को कवर करते हैं।
सीमित संचालन वाली कुछ पुरानी विरासत वाली कंपनियों सहित सबसे बड़ी संख्या में कंपनियां बीएसई में सूचीबद्ध हैं। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज में 2,720 सूचीबद्ध कंपनियां हैं और एनएसई ने 73 कंपनियों के डीमैट खाते फ्रीज किए हैं। मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया ने 263 सूचीबद्ध कंपनियों में से 36 को फ्रीज कर दिया है। ये आंकड़े मोटे तौर पर पिछले साल से ज्यादा हैं, हालांकि यह 2022-23 से कम है।
12 अगस्त को जारी सालाना रिपोर्ट में कहा गया है, सेबी ने एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है, जिसमें सूचीबद्ध संस्थाओं द्वारा सेबी (एलओडीआर) विनियम, 2015 के प्रावधानों का पालन न करने की स्थिति में स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा उठाए जाने वाले दंडात्मक उपायों की रूपरेखा दी गई है। एसओपी स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा दंड लगाने और उसके बाद की कार्रवाई करते समय अपनाई जाने वाली एक सुपरिभाषित प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार करके बेहतर अनुपालन के चलन को प्रोत्साहित करता है। पिछले दो वर्षों में कुछ सूचीबद्ध कंपनियों ने भुगतान में चूक की है, जिसके लिए एक्सचेंजों द्वारा एसओपी परिपत्र के तहत विभिन्न तरह की कार्रवाई की गई है।
कंपनी सचिव गौरव पिंगले ने बताया कि स्टॉक एक्सचेंजों को गैर-अनुपालन का पता चलने पर प्रवर्तकों के डीमैट खातों को फ्रीज करना पहली कार्रवाई नहीं है। पिंगले के अनुसार, एक्सचेंज शुरुआत में जुर्माना लगा सकता है और एक्सचेंज की चेतावनियों के बावजूद लगातार गैर-अनुपालन के बाद ही खातों को फ्रीज किया जाता है। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि प्रवर्तक कुछ समय से लिस्टिंग के नियमों के उल्लंघन में लगे हुए हैं और नियामकीय चूक के पहले ही मामले में कार्रवाई नहीं की गई है।