दक्षिण एशिया में जेनेरेटिव आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (जेनएआई) तकनीकों जैसे चैटजीपीटी आदि का असर पेशेवर कार्यों (व्हाइट कॉलर जॉब) पर दिखने लगा है। विश्व बैंक ने मंगलवार को दक्षिण एशिया पर जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि इस क्षेत्र में कर्मचारियों का एआई से होने वाले बदलाव से बहुत अधिक वास्ता नहीं है मगर तब भी इनमें नौकरियों की मासिक उपलब्धता लगभग 20 प्रतिशत तक कम हो गई है। ये ऐसी नौकरियां (कॉल सेंटर एजेंट, सॉफ्टवेयर डेवलपर) हैं जिनमें साधारण पढ़े-लिखे लोग काम करते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जेनएआई के इस्तेमाल से पेशेवर कार्यों (प्रशासनिक, प्रबंधन या लिपिक से जुड़े कार्य) से जुड़ी मासिक नौकरियां लगभग 20 प्रतिशत कम हो गई है। औसत हुनर वाले और शुरुआती स्तर के कर्मचारियों पर अधिक असर हुआ है।’
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि यह प्रतिकूल असर कुछ दूसरी नौकरियों या पेशों में एआई के इस्तेमाल से हो रहे लाभों से बेअसर हो रहा है। ये नौकरियां ऐसी हैं जिनकी जगह एआई नहीं ले सकता है। इन नौकरियों में डॉक्टर और प्रबंधक शामिल हैं जिनके लिए उच्चतम स्तर के कौशल और अनुभव की आवश्यकता होती है। इन पेशों में आमने-सामने संवाद, निर्णय लेने की जिम्मेदारी और विशिष्ट ज्ञान की जरूरत होती है।
इस बीच, दक्षिण एशिया में एआई कौशल की मांग तेजी से बढ़ी है। एआई तकनीक की जरूरत वाली नौकरियों में अन्य नौकरियों की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत अधिक वेतन मिलता है। एआई अपनाने से दक्षिण एशिया के 15 प्रतिशत उन पेशेवरों के लिए उत्पादकता लाभ बढ़ सकता है जो काफी शिक्षित, अनुभवी पेशेवर हैं।
विश्व बैंक ने रोजगार के मासिक आंकड़े नौकरियों का विज्ञापन देने वाली कंपनी लाइटकास्ट से लिए हैं। दक्षिण एशिया की कुल आबादी में भारती की हिस्सेदारी लगभग तीन-चौथाई और अर्थव्यवस्था में 80 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘दक्षिण एशिया की केवल 7 प्रतिशत नौकरियां एआई से हो रहे बदलाव से अधिक जोखिम में हैं। एआई आने की वजह से इन नौकरियों में स्वचालन का खतरा बढ़ गया है। इसके मुकाबले दूसरे तेजी से उभरते बाजारों में 15 प्रतिशत नौकरियां एआई का शिकार हुई हैं।‘
इसके अलावा, विश्व बैंक ने यह भी कहा है कि दक्षिण एशिया में एआई से अधिकतम लाभ पाने के लिए जरूरी सुविधाओं का अभाव है। हुनरमंद कर्मचारियों की अधिक उपलब्धता, बिजली की उपलब्धता और तेज इंटरनेट एआई से अधिकतम लाभ हासिल करने में काफी मददगार हो सकते हैं।
रिपोर्ट में दक्षिण एशियाई देशों को व्यापक मुक्त व्यापार समझौतों के साथ शुल्क कम करने का भी आह्वान किया गया है जिससे विनिर्माण में युवा और उच्च-कौशल वाले श्रमिकों को विशेष रूप से लाभ होगा। रिपोर्ट में कहा गया है,’बड़े व्यापार सुधारों के दौरान समग्र रोजगार और उत्पादन में महत्त्वपूर्ण वृद्धि देखने को मिली है। अगर सरकार शुल्क कम करने का फैसला करती हैं तो ये रुझान दक्षिण एशिया में और अधिक बढ़ जाएंगे।