Indian IPO Market 2025: भारत का प्राइमरी बाजार यानी IPO मार्केट साल 2025 में अपने सबसे मजबूत दौर में रहा। PRIME Database के मुताबिक, 15 दिसंबर 2025 तक देश में कुल 101 मेनबोर्ड IPO और 254 SME IPO आए, जिनके जरिए कुल ₹1.85 लाख करोड़ की रिकॉर्ड रकम जुटाई गई। यह किसी भी कैलेंडर वर्ष में IPO के जरिए जुटाया गया अब तक का सबसे बड़ा फंड है। इसमें से ₹1.74 लाख करोड़ मेनबोर्ड IPO से आए, जबकि SME IPO के जरिए ₹10,853 करोड़ जुटाए गए।
साल 2024 में IPO से कुल ₹1.6 लाख करोड़ जुटाए गए थे, यानी IPO बाजार में लगातार दूसरे साल भी मजबूती और तेजी बनी रही। इस रिकॉर्ड फंडरेजिंग में टाटा कैपिटल, LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया, HDB फाइनेंशियल सर्विसेज, ICICI प्रूडेंशियल AMC, लेंसकार्ट, ग्रो, NSDL, मीशो, फिजिक्सवाला और केनरा HSBC लाइफ इंश्योरेंस जैसी कई बड़ी और जानी-मानी कंपनियों की अहम भूमिका रही।
PRIME Database के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रणव हल्दिया ने 2025 को भारत के IPO बाजार के लिए एक ऐतिहासिक साल बताया और कहा कि लगातार दो साल रिकॉर्ड फंड जुटना बाजार की गहराई और मैच्योरिटी को दिखाता है।
साल 2025 ने IPO निवेशकों को कई अहम सबक भी दिए। सबसे बड़ी बात यह सामने आई कि किसी IPO का ज्यादा सब्सक्राइब होना या उसमें भारी भीड़ जुटना, लिस्टिंग के दिन मुनाफे की गारंटी नहीं देता। 101 मेनबोर्ड IPO में से 29 IPO ऐसे रहे जो इश्यू प्राइस से नीचे लिस्ट हुए। इनमें JSW Cement, Dr Agarwal’s Healthcare, Ather Energy, WeWork India, Orkla India और Fujiyama Power Systems जैसी कंपनियां शामिल थीं, जबकि इनमें से कई IPO एक से लेकर 49 गुना तक सब्सक्राइब हुए थे। यहां तक कि 2025 में ऐसे सात IPO भी आए जो 100 गुना से ज्यादा सब्सक्राइब हुए, लेकिन उनमें से ज्यादातर ने लिस्टिंग के बाद अपनी शुरुआती बढ़त गंवा दी।
SME सेगमेंट में जोखिम और ज्यादा देखने को मिला, जहां 238 में से 85 IPO लिस्टिंग के दिन नुकसान में आए और कुछ में 45 फीसदी तक की गिरावट देखी गई। अंबिट प्राइवेट लिमिटेड के एमडी और को-हेड (इनवेस्टमेंट बैंकिंग) विकास खट्टर ने कहा कि भले ही करीब दो-तिहाई IPO लिस्टिंग के दिन बढ़त के साथ आए हों, लेकिन उनमें से सिर्फ आधे ही अभी अपने इश्यू प्राइस से ऊपर कारोबार कर रहे हैं।
विश्लेषकों ने यह भी बताया कि जो IPO बहुत ज्यादा कीमत यानी ऊंचे वैल्यूएशन पर लाए गए, उनमें निवेशकों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। Arisinfra Solutions इसका बड़ा उदाहरण रहा, जो लिस्टिंग के दिन 21 फीसदी से ज्यादा गिर गया। कंपनी का वैल्यूएशन अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले काफी ऊंचा था, जिससे निवेशकों को झटका लगा। इसी तरह Ajax Engineering, Ather Energy, Om Freight Forwarders, Glottis और Fujiyama Power जैसे IPO भी ज्यादा कीमत की वजह से लिस्टिंग के दिन गिर गए।
इसके अलावा 2025 में IPO से जुटाई गई कुल रकम का 60 फीसदी से ज्यादा हिस्सा ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए आया, यानी इसमें कंपनियों को नया पैसा कम और पुराने शेयरधारकों को बाहर निकलने का मौका ज्यादा मिला। LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया, ICICI प्रूडेंशियल AMC, Groww, Lenskart, NSDL, HDB Financial Services, WeWork India और केनरा HSBC लाइफ इंश्योरेंस जैसे IPO में OFS का हिस्सा ज्यादा था। मेहता इक्विटीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) प्रशांत तापसे ने रिटेल निवेशकों को सलाह दी कि ऐसे IPO में जल्दबाजी से बचें और लिस्टिंग के बाद प्रदर्शन देखकर ही निवेश का फैसला करें।
2025 में IPO Market में यह भी साफ दिखा कि निवेशकों का रुझान अब सिर्फ कहानी, हाइप या ग्रे मार्केट प्रीमियम की तरफ नहीं रहा। निवेशक अब कंपनी की कमाई, मुनाफा, बिजनेस मॉडल और गवर्नेंस पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं। LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया और Rubicon Research जैसे IPO इसका अच्छा उदाहरण रहे, जिन्होंने लिस्टिंग के बाद मजबूत प्रदर्शन किया और अपने इश्यू प्राइस से 30 फीसदी से ज्यादा की बढ़त दिखाई। एंजल वन के सीनियर फंडामेंटल एनालिस्ट वकारजावेद खान ने कहा कि 2025 में IPO निवेश में साफ तौर पर क्वॉलिटी पर फोकस बढ़ा और निवेशकों ने हाइप से ज्यादा मजबूत बिजनेस को तरजीह दी।
विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रे मार्केट प्रीमियम और शुरुआती जोश लंबे समय के रिटर्न का भरोसेमंद संकेत नहीं है। मेहता इक्विटीज के प्रशांत तापसे ने कहा कि ऐसे संकेतक अक्सर निवेशकों को गुमराह करते हैं। वहीं, PRIME Database के प्रणव हल्दिया के मुताबिक, जो निवेशक सिर्फ लिस्टिंग गेन के मकसद से IPO में पैसा लगाते हैं, उन्हें लिस्टिंग के दिन ही बाहर निकल जाना चाहिए, जबकि जिन कंपनियों का बिजनेस मजबूत है और वैल्यूएशन सही है, उनमें लंबे समय तक निवेश करना बेहतर रणनीति हो सकती है।