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भ्रामक विज्ञापन, फिनफ्लुएंसर कंटेंट को ट्रैक करने के लिए AI का इस्तेमाल करेगा सेबी

सेबी ऐसी सामग्री और विज्ञापनों को हटाने और वित्तीय रूप से प्रभावित करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मेटा और गूगल जैसी कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहा है

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- October 07, 2025 | 10:18 PM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अवैध या भ्रामक विज्ञापनों और सोशल मीडिया सामग्री का पता लगाने और उनकी समीक्षा करने के लिए एक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस संचालित प्रणाली विकसित कर रहा है। मामले से परिचित लोगों के अनुसार, नियामक एआई-संचालित विज्ञापन समीक्षक आर (एआई) डीएआर नामक साधन का मकसद निवेशकों द्व‍ारा सामना किए जाने वाले संचार पर बाजार नियामक की निगरानी को मजबूत करना है।

हाल के वर्षों में सेबी ने ट्रेडिंग गतिविधियों की निगरानी, ​​आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) दस्तावेजों की प्रोसेसिंग, बाजार व्यवहार का विश्लेषण और निवेश सलाहकारों व अनुसंधान विश्लेषकों की जांच करने के लिए आंतरिक एआई उपकरणों के उपयोग का लगातार विस्तार किया है।

एक दिन पहले, सेबी के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडेय ने कहा था कि नियामक ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर संभावित रूप से भ्रामक सामग्री के 1,00,000 से ज्यादा मामले पकड़े हैं। सेबी ऐसी सामग्री और विज्ञापनों को हटाने और वित्तीय रूप से प्रभावित करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मेटा और गूगल जैसी कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

सूत्रों ने संकेत दिया है कि सेबी अभी चल रहे ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में अपने सुदर्शन मार्केट सर्विलांस टूल के साथ आर (एआई) डीएआर को भी प्रदर्शित करने की योजना बना रहा है। इस बारे में जानकारी के लिए सेबी को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।

पिछली टिप्पणियों में सेबी के अधिकारियों ने कहा था कि एआई-सक्षम प्रक्रियाओं ने म्युचुअल फंड जैसे मध्यस्थों के लिए अनुमोदन में तेजी लाने में मदद की है और आईपीओ दस्तावेजों की त्वरित जांच की अनुमति दी है, जिससे सिस्टम संभावित चिंताओं को अधिक कुशलता से चिह्नित हो पाए हैं।

First Published : October 7, 2025 | 10:08 PM IST