मुंबई में ‘ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025’ में उपस्थित लोगों का अभिवादन करती हुईं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि चुनिंदा क्षेत्रों में मालिकाना अधिकार प्राप्त कर चुकी कंपनियों को तकनीक का इस्तेमाल निश्चित रूप से हथियार के रूप में नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह टिप्पणी दो वैश्विक कंपनियों की हालिया गतिविधियों से उपजे विवाद के मद्देनजर कही।
सीतारमण ने मुंबई में ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 में कहा कि डिजिटल सार्वजनिक आधारभूत ढांचा (आधार, एकीकृत भुगतान प्रणाली और अकाउंट एग्रीगेटर) अनिवार्य रूप जनहित में कार्य करे। फिनटेक को उद्योग के बढ़ने के साथ वित्तीय प्रदर्शन और नियामकीय पालन पर निरंतर ध्यान रखना चाहिए।
उन्होंने बताया, ‘हमें स्वयं को यह बताते रहने की जरूरत है कि प्रौद्योगिकी पर पूरी तरह से महारत हासिल नहीं की जा सकती और इसके कुछ हिस्से पर कुछ स्वामित्व एवं अधिकार प्राप्त करने के बाद …हमें इसे हथियार बनाने से बचना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘हमने लगातार देखा है प्रौद्योगिकी प्रगति के साथ-साथ लोग आत्मकेंद्रित सोच अपना रहे हैं। वैश्विक प्रगति के विचार पर ही सवाल उठ रहे हैं क्योंकि इसे हथियार बनाया जा रहा है।’
रूस समर्थित भारत की रिफाइनरी नायरा एनर्जी ने जुलाई में माइक्रोसॉफ्ट पर कानूनी कार्रवाई की थी। दरअसल माइक्रोसॉफ्ट ने अचानक से महत्त्वपूर्ण सॉफ्टवेयर सेवाओं को रोक दिया था। इस रिफाइनरी ने सितंबर में सॉफ्टवेयर सेवा एसएपी को निलंबित करने के कारण न्यायालय का रुख किया था।
सैप इंडिया ने न्यायालय को बताया कि वह अपनी मूल कंपनी के समर्थन के बिना यह सेवा नहीं मुहैया करवा सकती है। सीतारमण ने कहा कि फिनटेक राजस्व वृद्धि, नवीन उत्पादों, लाभप्रदता, जोखिम और कानून पालन की क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करें। उन्होंने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक सैंडबॉक्स और स्व-नियामक संगठन ढांचे जैसे पर्यवेक्षक सेटिंग के जरिए जिम्मेदार नवाचार को प्रोत्साहित करता है।
उन्होंने कहा, ‘करोड़ों नागरिक औपचारिक वित्तीय सिस्टम में शामिल हो गए हैं। इसका विस्तार नवोन्मेष के बाद विश्वास, सुरक्षा और समावेश में अनिवार्य रूप से किया जाए। सुरक्षा के साथ गति व संख्या साथ साथ हाथ मिलाकर अनिवार्य रूप से आगे बढ़ें। विनियमन भी अनिवार्य रूप से बढ़ाया जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि फिनटेक क्रांति लंबे समय तक सुरक्षित, जिम्मेदार और टिकाऊ बनी रहे।’ कंपनियों को कुछ चुनौतियों का हल करना चाहिए। इन चुनौतियों में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) के लिए क्रेडिट कर, महिला व गिग वर्कर के लिए वित्तीय समावेशन शामिल हैं।