अल्पांश शेयरधारकों को फिर से आश्वस्त करने के मकसद से रामकृष्ण फोर्जिंग्स के प्रवर्तक वॉरंट के जरिये कंपनी में पूंजी डालेंगे। वॉरंट की कीमत बाजार से करीब तीन गुना होगी। कंपनी के विनिर्माण संयंत्रों में इन्वेंट्री बैलेंस और स्टॉक के हिसाब में खामियों के कारण यह कदम उठाया जा रहा है। इन कारणों से कंपनी की नेटवर्थ में नोशनल नुकसान हुआ था।
रामकृष्ण फोर्जिंग्स के प्रबंध निदेशक नरेश जालान ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, नैतिक जिम्मेदारी के तौर पर हम यह कदम उठा रहे हैं ताकि अल्पांश शेयरधारकों के हितों का ध्यान रखा जा सके। उन्होंने कहा कि जिस कीमत पर वॉरंट जारी किए जाएंगे, वह मौजूदा बाजार मूल्य से तीन गुना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कुल इक्विटी में न्यूनतम कमी आए। अगर हमने इसे मौजूदा बाजार मूल्य पर किया होता तो कमी बहुत अधिक होती, जिसका असर अल्पांश शेयरधारकों पर पड़ता।
5 जून को कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंजों को सूचित किया था कि कंपनी के प्रवर्तकों को वॉरंट जारी किए जाएंगे। ये 2 रुपये के अंकित मूल्य की इक्विटी में बदले जाएंगे या इसका विनिमय हो सकेगा। शेयरधारकों की मंजूरी के लिए 28 जून को असाधारण आम बैठक (ईजीएम) बुलाई गई है। इश्यू प्राइस 2,100 रुपये है।सोमवार को बीएसई पर कंपनी का शेयर मामूली गिरावट के साथ 648.35 रुपये पर बंद हुआ। प्रवर्तक कंपनी में 204.75 करोड़ रुपये लगा रहे हैं। लेखा में अंतर के कारण कंपनी की नेटवर्थ में हुआ नोशनल नुकसान भी इतना ही है।
जालान ने कहा, जब एक महीने पहले यह हुआ था तब प्रवर्तक के तौर पर हमने निवेशकों से बातचीत के दौरान नोशनल पूंजीगत नुकसान की भरपाई का वादा किया था। यह सुनिश्चित करने के लिए है कि कंपनी की नेटवर्थ बरकरार रहे।
26 अप्रैल को कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंजों को सूचित किया था कि 31 मार्च, 2025 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए कंपनी की इन्वेंट्री के वार्षिक सत्यापन के दौरान (जो 6 अप्रैल, 2025 से शुरू हुआ) पाया गया कि इन्वेंट्री के कुछ मामलों में विसंगतियां थीं। इसके बाद ऑडिट कमेटी ने इन्वेंट्री में विसंगति का पता लगाने के लिए स्वतंत्र बाह्य एजेंसियों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी थी।
कंपनी ने यह भी उल्लेख किया था कि भौतिक सत्यापन प्रक्रिया जारी रहने के बावजूद कंपनी के आंतरिक अनुमान के अनुसार कंपनी की नेट वर्थ पर 4-5 फीसदी का प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।
चौथी तिमाही और वित्त वर्ष 25 के परिणामों की घोषणा करते हुए कंपनी ने खुलासा किया कि उसे संयुक्त तथ्य-खोज की अंतरिम रिपोर्ट मिल गई है। रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई कि संयंत्रों में कुछ गलत प्रविष्टियों/अस्वीकृतियों को दर्ज नहीं किया गया।
इसके परिणामस्वरूप 31 मार्च, 2025 और 31 मार्च, 2024 तक क्रमशः 220.52 करोड़ रुपये और 50.22 करोड़ रुपये को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया। कंपनी की नेट वर्थ पर अनुमानित प्रतिकूल प्रभाव (कर के बाद) लगभग 202.60 करोड़ रुपये (31 मार्च, 2025 तक कंपनी की शुद्ध संपत्ति का 6.73 फीसदी) होगा।
31 मार्च, 2025 और 31 मार्च, 2024 को समाप्त तिमाही और वित्त वर्ष के वित्तीय परिणामों में यह कमी दर्ज की गई। संयुक्त तथ्य-खोजी रिपोर्ट सलारपुरिया ऐंड पार्टनर्स चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और सीएलए आईवीसी एलएलपी (पूर्व में बेकर टिली प्राइवेट लिमिटेड) ने तैयार की थी।
14 जून को रामकृष्ण के निदेशक मंडल ने अंतिम रिपोर्ट पर नजर डाली। एक्सचेंज फाइलिंग में कंपनी ने कहा किया कि अंतिम संयुक्त तथ्य खोज की अंतिम रिपोर्ट के कारण किसी और वित्तीय असर की संभावना नहीं है।
अगले कदम के बारे में जालान ने कहा कि ऑडिट कमेटी ने रिपोर्ट तैयार करने वाली दो एजेंसियों को सिफारिशों को लागू करने के लिए नियुक्त किया है ताकि भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति न हो। उन्होंने यह भी कहा कि सैप सिस्टम को दुरुस्त कर लिया गया है।
शनिवार को एक्सचेंज फाइलिंग में उल्लेख किया गया था कि प्रबंधन सैप में मौजूदा उत्पादन प्रक्रिया की समीक्षा करने और नियंत्रण को मजबूत करने व प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की दिशा में उठाए जाने वाले कदमों की सिफारिश के लिए एक बाहरी सैप सलाहकार/अन्य सलाहकार नियुक्त करने की प्रक्रिया में है। इसके अगले 4-6 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है।