Adani Enterprises enters wire market: अदाणी ग्रुप की वायर और केबल कारोबार में एंट्री से इस सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में खलबली मच गई है। वायर और केबल बनाने वाली बड़ी कंपनियों के शेयरों में गुरुवार (20 मार्च) को भारी गिरावट आई। इस सेक्टर में अदाणी ग्रुप की एंट्री से प्रतिस्पर्धा बढ़ जायेगी।
इस खबर के बाद निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई और बीएसई पर केईआई इंडस्ट्रीज, पॉलीकैब इंडिया, आरआर केबल, फिनोलेक्स केबल्स और हैवेल्स इंडिया के शेयरों में 15 फीसदी तक की गिरावट आई। इसकी तुलना में बेंचमार्क बीएसई सेंसेक्स इंडेक्स सुबह 11 बजे 464 अंक या 0.61 प्रतिशत बढ़कर 75,913 के स्तर पर था।
अदाणी एंटरप्राइजेज ने बुधवार को स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि कंपनी की मालिकाना हक वाली सब्सिडियरी कंपनी कच्छ कॉपर लिमिटेड ने प्रणीता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ 50:50 हिस्सेदारी वाली जॉइंट वेंचर कंपनी…प्रणीता इकोकेबल्स लिमिटेड का गठन किया है। जॉइंट वेंचर के जरिए अदाणी ग्रुप ने मेटल उत्पादों, केबलों और तारों की मेन्यूफेक्चरिंग, मार्केटिंग, खरीद और बिक्री के कारोबार में प्रवेश किया है।
शेयर बाजारों में केईआई इंडस्ट्रीज के शेयर की कीमत इंट्राडे में 14.55 प्रतिशत गिरकर 2,802.10 रुपये प्रति शेयर पर आ गई। बीएसई पर इस शेयर के लगभग 1.06 लाख शेयरों का कारोबार हुआ है, जबकि इस शेयर के दो सप्ताह के औसत कारोबार की मात्रा 14,000 शेयरों की है।
इस बीच, पॉलीकैब इंडिया का शेयर प्राइस इंट्राडे में 9.58 प्रतिशत गिरकर 4,920 रुपये प्रति शेयर पर आ गया। हैवेल्स इंडिया का शेयर प्राइस 5.5 प्रतिशत गिरकर 1,470.8 रुपये और फिनोलेक्स केबल्स का शेयर 4.7 प्रतिशत गिरकर 827 रुपये प्रति शेयर पर आ गया। दूसरी ओर, अदाणी एंटरप्राइजेज का शेयर इंट्राडे ट्रेड में 1.6 प्रतिशत बढ़कर कारोबार कर रहा था।
वायर और केबल क्षेत्र में अदाणी की एंट्री बिरला ग्रुप के अल्ट्राटेक सीमेंट के जरिये उद्योग में प्रवेश करने के एक महीने से भी कम समय बाद हुई है। अल्ट्राटेक सीमेंट ने 25 फरवरी को स्टॉक एक्सचेंजों को सूचित किया कि निदेशक मंडल ने वायर और केबल सेगमेंट के जरिये इस क्षेत्र में कंपनी की एंट्री के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
एनालिस्ट्स के अनुसार, इस क्षेत्र में बड़ी कंपनियों के प्रवेश से असंगठित बाजार हिस्सेदारी संगठित हो जाएगी। जबकि संगठित कंपनियों के बीच और अधिक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पैदा होगी। संगठित बाजार कंपनियों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2018-19 में 68 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 73 प्रतिशत हो गई है।
इसके अलावा, वायर और केबल उद्योग की मौलिक प्रकृति, जिसके लिए नए वितरण चैनलों और ग्राहकों की स्वीकृति की आवश्यकता होती है, किसी भी नए खिलाड़ी के मौजूदा खिलाड़ियों पर प्रतिकूल प्रभाव को सीमित करती है,
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के एक्सपर्ट्स के अनुसार, वायर और केबल इंडस्ट्री की मौलिक स्वाभाव किसी भी नयी कंपनी के मौजूदा कंपनियों पर प्रतिकूल प्रभाव को सीमित करती है। उन्होंने कहा कि इस सेक्टर में एंट्री करने पर किसी भी कंपनी को नए डिस्ट्रीब्यूशन चैनल और ग्राहक के अपनाने जैसी चुनोतियों का सामना करना पड़ता है।