अमेरिकी डॉलर में नरमी, कच्चे तेल के दाम घटने और सूचकांक में ज्यादा भार वाले शेयरों में लिवाली से शेयर बाजार में आज जोरदार तेजी देखी गई। दोनों प्रमुख सूचकांकों ने 5 दिन के दौरान चार साल में सबसे लंबी छलांग लगाई। इसके अलावा अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में प्रगति और शुल्क छूट के विस्तार से भी निवेशकों का हौसला बढ़ा है।
सेंसेक्स 855 अंक या 1.1 फीसदी चढ़कर 79,409 पर बंद हुआ। निफ्टी 274 अंक या 1.2 फीसदी बढ़त के साथ 24,126 पर बंद हुआ। निफ्टी जनवरी की शुरुआत से अब तक पहली बार 24,000 को लांघ पाया है। बीते 5 सत्र में सेंसेक्स 7.5 फीसदी और निफ्टी 7.7 फीसदी चढ़ा है, जो 5 फरवरी, 2021 के बाद सूचकांकों का सबसे अच्छा प्रदर्शन है। वित्तीय शेयरों में तेजी के कारण निफ्टी वित्तीय सूचकांक करीब 10 फीसदी उछलकर नई ऊंचाई पर पहुंच गया। बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 9 जनवरी के बाद पहली बार 5 लाख करोड़ डॉलर पार हुआ है।
सेंसेक्स की बढ़त में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले एचडीएफसी बैंक का शेयर 1.1 फीसदी चढ़ा है। इसके बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज, इन्फोसिस, कोटक महिंद्रा बैंक और ऐक्सिस बैंक ने भी सेंसेक्स की तेजी में अच्छा योगदान दिया। बचत जमा दरों में कटौती से बैंकों की आय सुधरने की आस में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने बैंकिंग शेयरों पर दांव लगाया। विदेशी निवेशकों ने 1,970 करोड़ रुपये की शुद्ध लिवाली की। घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 247 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, ‘एचडीएफसी बैंक में विलय के बाद जो ठहराव आया था वह कम हो गया है। मार्च तिमाही में इसने जोरदार वृद्धि दर्ज की है।’
उन्होंने कहा, ‘मुद्रास्फीति में नरमी, तेल के दाम घटने और ब्याज दरों में कटौती से इस वित्त वर्ष में निजी बैंक दो अंक में वृद्धि दर्ज कर सकते हैं। जमा पर ब्याज दर घटने और घरेलू बाजार पर बैंकों का ध्यान होने से शुल्क युद्ध का उन पर असर नहीं पड़ेगा। इन सब बातों से भी निवेशकों का हौसला बढ़ा है।’
इस बीच डॉलर इंडेक्स कमजोर होकर 98.2 पर आ गया जो मार्च 2022 के बाद इसका निचला स्तर है। डॉलर इंडेक्स में नरमी से भारत जैसे उभरते देशों में निवेशकों के जोखिम लेने की क्षमता बढ़ी है। एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स 11 से 18 अप्रैल के दौरान 2.2 फीसदी बढ़ा है। डॉलर में नरमी अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नेतृत्व में संभावित बदलाव की चिंता से जुड़ी थी क्योंकि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दरों में कटौती नहीं करने की फेड के निर्णय की आलोचना की थी।
इस बीच सोना 3,406 डॉलर प्रति औंस की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया और ब्रेंट क्रूड 3.3 फीसदी फिसलकर 66 डॉलर प्रति बैरल रह गया।
आगे बाजार की चाल तिमाही नतीजों और अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता के नतीजों पर निर्भर करेगी। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में शोध प्रमुख (वेल्थ मैनेजमेंट) सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की चार दिवसीय भारत यात्रा और द्विपक्षीय व्यापार समझौते की उम्मीद से बाजार में भी आशावादी रुख बना हुआ है।’