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SME IPO पर सख्ती: सेबी के नए प्रस्तावों से बढ़ेगी छोटी कंपनियों की चुनौतियां

सभी बैंक बढ़त वाली पूंजी एसएमई को देने के लिए तैयार नहीं होते और ऐसे में सार्वजनिक बाजार काफी मददगार था।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- November 20, 2024 | 9:41 PM IST

इस साल अब तक सूचीबद्ध 199 एसएमई कंपनियों में से 22 के इश्यू का आकार 10 करोड़ रुपये से कम था। बाजार नियामक के हालिया परामर्श पत्र के अनुसार उसकी इस आकार के इश्यू को मंजूरी देने की योजना नहीं है। मंगलवार को नियामक ने एसएमई के आईपीओ और सूचीबद्ध एसएमई के कॉरपोरेट संचालन के नियमों में बदलाव का प्रस्ताव रखा। रकम की हेराफेरी और कीमत के सांठगांठ के उदाहरण सामने आने से व्यवस्थित जोखिम की आशंका बढ़ी है। इसी के बाद सेबी अपने कदम बढ़ा रहा है।

उद्योग की कंपनियों ने हालांकि कॉरपोरेट संचालन और पारदर्शिता की समीक्षा का स्वागत किया है, लेकिन कई एसएमई फर्मों ने ​इस बात पर चिंता जताई है कि ये कदम एसएमई के लिए फंड जुटाना बेहद मुश्किल बना देंगे और उन पर अनुपालन का बोझ बढ़ जाएगा।

इंडिया एसएमई फोरम के अध्यक्ष विनोद कुमार ने कहा कि खराब कंपनियों को हटाने के बजाय सेबी ने हर किसी के लिए मानकों में इजाफे का विकल्प चुना है। जब विवरणिका का मसौदा जमा कराया जाता है तो आवेदन की जांच करना और धोखाधड़ी वाली कंपनियों को पकड़ने का काम एक्सचेंजों का है।

प्रस्तावित बदलाव छोटी कंपनियों के लिए मुश्किलें पैदा करेगा जो आम लोगों से रकम जुटाना चाहती हैं। सभी बैंक बढ़त वाली पूंजी एसएमई को देने के लिए तैयार नहीं होते और ऐसे में सार्वजनिक बाजार काफी मददगार था।

फोरम का दावा है कि एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध 100 से ज्यादा एसएमई कंपनियां इन प्रस्तावों पर जल्द ही अपनी चिंता से अवगत कराएंगी। कई कंपनियों ने कहा है कि बाजार नियामक को एसएमई कंपनियों से इन प्रस्तावों को तैयार करते समय व्यापक राय लेनी चाहिए थी। बाजार नियामक ने एक्सचेंजों और मर्चेंट बैंकरों से संपर्क के बाद बदलाव का प्रस्ताव रखा है।

सेबी के समीक्षा नियमों में सख्त पात्रता शर्तें, निवेशकों के लिए उच्च आवेदन राशि, न्यूनतम आवंटियों की संख्या बढ़ाना, प्रमोटरों के लिए उच्च लॉक-इन जरूरतें, संबंधित पक्षकार लेनदेन पर रोक सहित दर्जनों अन्य प्रस्ताव शामिल हैं। कई लीगल कंपनियों ने उन्माद और दुरुपयोग को रोकने के लिए व्यापक बदलावों को पारदर्शिता की दिशा में एक सही कदम बताया है।

हालांकि कई अन्य लोगों की राय है कि 20 करोड़ रुपये से अधिक के इश्यू आकार के लिए एक निगरानी एजेंसी की जरूरत को अनिवार्य करना, शेयरधारिता पैटर्न और विविधताओं पर एक वर्ष में अधिक संख्या में खुलासे और संबंधित पक्षकार लेनदेन की जांच से अनुपालन लागत में वृद्धि होगी।

कॉर्पोरेट अनुपालन फर्म एमएमजेसी ऐंड एसोसिएट्स के संस्थापक मकरंद एम जोशी ने कहा कि सख्त अनुपालन आवश्यकताओं से यह सुनिश्चित होगा कि अवांछित हेरफेर का पता लगाने के लिए जांच की व्यवस्था है। सेबी ने दिसंबर 2023 में अनुचित व्यापार व्यवहारों पर निगरानी बढ़ाने के लिए एसएमई सेगमेंट पर अतिरिक्त निगरानी उपाय लागू किए थे। इन अनुपालन आवश्यकताओं से एसएमई के लिए अनुपालन लागत बढ़ सकती है।

बाजार नियामक ने उन मामलों में कार्यशील पूंजी में धन के उपयोग की पुष्टि के लिए अर्ध-वार्षिक आधार पर वैधानिक लेखा परीक्षक प्रमाण पत्र अनिवार्य करने का भी प्रस्ताव दिया है। यह उनके लिए है जहां आईपीओ के माध्यम से धन जुटाने के उद्देश्य से 5 करोड़ रुपये से अधिक इस मद में रखे गए हों।

सेबी ने लगभग आधा दर्जन एसएमई के साथ गंभीर मुद्दों की ओर इशारा किया है और उन पर कार्रवाई की है। उसने इस क्षेत्र में निवेशकों की भागीदारी में असामान्य वृद्धि की ओर भी इशारा किया है। यह आवेदक और आवंटित निवेशक के अनुपात में दिखता है। यह अनुपात वित्त वर्ष 2012 में 4 गुना था जो बढ़कर वित्त वर्ष 2013 में 46 गुना हो गया है। वित्त वर्ष 2024 में तो यह कई गुना बढ़कर 245 गुना हो गया है। इस अनुपात से आवंटन की तुलना में आवेदनों की संख्या का पता चलता है।

मसौदा दस्तावेज दाखिल करने से पहले तीन वित्तीय वर्षों में से दो में 3 करोड़ रुपये के परिचालन लाभ पर सेबी के आदेश के बारे में कुछ कंपनियों का मानना ​​​​है कि छोटी कंपनियों के लिए पूंजी जुटाना मुश्किल हो सकता है।

First Published : November 20, 2024 | 9:41 PM IST