अर्थव्यवस्था

सरकार की महत्त्वपूर्ण खनिज के गहन अन्वेषण की तैयारी, निवेशकों को लुभाने की कोशिश

मंजूरियों में तेजी लाने के लिए दिसंबर तक एकल खिड़की मंजूरी पोर्टल पेश करने की योजना

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साकेत कुमार   
Last Updated- October 13, 2025 | 10:49 PM IST

भारत के महत्त्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में निवेशकों का भरोसा बढ़ाने और परियोजनाओं को लागू करने की रफ्तार में तेजी लाने के लिए सरकार ने खदानों की नीलामी के पहले खनिज ब्लॉकों के उन्नत स्तर के अन्वेषण और दिसंबर तक एकल खिड़की मंजूरी पोर्टल पेश करने की योजना बनाई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। इस कदम का मकसद नीलामी के लिए रखे जा रहे ब्लॉकों की सीमित खोज के बारे में कंपनियों की चिंता दूर करना है।

अपनी पहचान सार्वजनिक न करने की इच्छा जताते हुए अधिकारी ने कहा, ‘ब्लाकों के निचले स्तर के अन्वेषण को लेकर उद्योग जगत को विश्वास की कमी हो सकती है। सरकार इस तथ्य से अवगत है। खान मंत्रालय महत्त्वपूर्ण खनिज ब्लॉकों की नीलामी से पहले एक उन्नत स्तर का अन्वेषण (जी-2) सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘उच्च स्तर का अन्वेषण एक महंगी कवायद है, लेकिन महत्त्वपूर्ण खनिजों की उपलब्धता में उद्योग के विश्वास को बढ़ाने के लिए यह किया जाएगा।’

खनिज की जमा मात्रा के अन्वेषण के 4 चरण होते हैं। इसमें टोही (जी-4), प्रारंभिक (जी-3), सामान्य (जी-2) और विस्तृत (जी-1) चरण शामिल हैं। हर चरण में खनिज की मात्रा व गुणवत्ता के बारे में अतिरिक्त जानकारी और भरोसा मिलता है, जो 4 संसाधन श्रेणियों टोही (कम विश्वास), अनुमानित (कम लेकिन सुधार योग्य), संकेतित (मध्यम) और मापा गया (उच्च विश्वास) शामिल हैं।

अन्वेषण के आधार पर सरकार लाइसेंस देती है। एक मिश्रित लाइसेंस की नीलामी कम से कम जी-4 स्तर पूरा होने के बाद एक बार की जा सकती है ताकि टोही खनिज संसाधन का अनुमान लगाया जा सके या खनिज क्षमता की पहचान की जा सके। खनन पट्टा केवल जी-2 के बाद दिया जाता है, जो संकेतित खनिज संसाधन स्थापित करता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि उद्योग को लगता है कि महत्त्वपूर्ण खनिज के मामले में सरकार द्वारा दिए गए अन्वेषण डेटा सीमित हैं। पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर और लीडर-मैन्युफैक्चरिंग, विनोद कुमार ने कहा, ‘जी-3 या जी-4 स्तर का अन्वेषण प्रमुख निजी फर्मों की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर सकती है, जो आमतौर पर निवेश संबंधी निर्णय लेने के लिए जी-1 या जी-2 स्तर की रिपोर्ट चाहते हैं।’

एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि यह बदलाव भारत की महत्त्वपूर्ण खनिज रणनीति के लिए एक अहम मोड़ हो सकता है। अब तक इस क्षेत्र में तकनीकी और आर्थिक रूप से सक्षम और बड़े उद्योगों को आकर्षित करने में भारत को संघर्ष करना पड़ रहा है। केपीएमजी इंडिया के नैशनल लीडर (मेटल्स ऐंड माइनिंग) अमित भार्गव ने कहा, ‘जी-3 चरण एक पूर्वेक्षण चरण है, इसलिए महत्त्वपूर्ण खनिजों के संसाधन अनुमान और संबंधित आर्थिक व्यवहार्यता पर कम विश्वास है।’

अन्वेषण में सुधारों के साथ-साथ खनन मंत्रालय एकल खिड़की ऑनलाइन मंजूरी प्रणाली विकसित कर रहा है। इससे खनन कार्यों के लिए आवश्यक सभी मंजूरियां एक जगह मिल सकेंगी, जिनमें राज्य सरकारों द्वारा नीलाम की गई खदानें भी शामिल होंगी।
अधिकारी ने कहा, ‘खनन क्षेत्र की सभी तरह की मंजूरियों के लिए मंत्रालय एकल खिड़की मंजूरी पोर्टल पेश कर रहा है।’

First Published : October 13, 2025 | 10:34 PM IST