facebookmetapixel
L Catterton ने हल्दीराम में किया निवेश, ब्रांड और विस्तार पर मिलेगा फोकससबसे बुरा दौर बीता, 19 साल की मेहनत को 3 दिन से न आंके: इंडिगो CEO ने वीडियो संदेश में कहाStock To Buy: लिस्टिंग से पहले ही इस स्टॉक ब्रोकरेज हुआ बुलिश, BUY रेटिंग के साथ 39% अपसाइड का दिया टारगेटGold, Silver price today: चांदी ऑल टाइम हाई से फिसली, सोना की कीमतों में भी नरमीकैश और डेरिवेटिव ब्रोकरेज पर सेबी की कैंची, ब्रोकर्स अब क्या करेंगे?₹30 में 4 किमी सफर, दिल्ली में लॉन्च होने जा रही है भारत टैक्सी; ओला-उबर की बढ़ी टेंशन!ट्रंप ने किया ‘वॉरियर डिविडेंड’ का ऐलान, 14.5 लाख सैन्य कर्मियों को एकमुश्त मिलेंगे 1,776 डॉलरKSH International IPO: अब तक 28% भरा इश्यू, सब्सक्राइब करना चाहिए या नहीं; ग्रे मार्केट ये दे रहा इशारा77% तक रिटर्न देने को तैयार ये Realty Stock! ब्रोकरेज ने कहा- नए शहरों में विस्तार से तेजी की उम्मीदCAFE-3 मानकों पर विवाद अब PMO तक पहुंचा, JSW MG और Tata Motors ने उठाया मुद्दा

सेबी का MF Lite फ्रेमवर्क: ₹5,000 करोड़ के AUM नियम ने घटाए विकल्प!

अब नए फंड लॉन्च करने वालों को सिर्फ उन्हीं इंडेक्स पर पैसिव फंड शुरू करने की इजाजत होगी, जिनका एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) ₹5,000 करोड़ से ज्यादा है।

Last Updated- January 01, 2025 | 8:16 PM IST
Mutual Fund

सेबी ने म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के लिए नया MF Lite फ्रेमवर्क पेश किया है, जो म्यूचुअल फंड में नए प्लेयर्स के लिए एंट्री को आसान बनाने का दावा करता है। लेकिन, इसके सख्त नियमों ने इनोवेशन के दरवाजे लगभग बंद कर दिए हैं। अब नए फंड लॉन्च करने वालों को सिर्फ उन्हीं इंडेक्स पर पैसिव फंड शुरू करने की इजाजत होगी, जिनका एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) ₹5,000 करोड़ से ज्यादा है।

क्या है MF Lite?

MF Lite फ्रेमवर्क में सेबी ने शुरुआती फेज में पैसिव कैटेगरी तक सीमित रखा है। इसका मतलब है कि नए फंड हाउस सिर्फ पॉपुलर इंडेक्स पर ही फंड लॉन्च कर सकते हैं। जैसे निफ्टी 50, सेंसेक्स या बैंक निफ्टी। कोई नया या इनोवेटिव फंड, जैसे ESG (पर्यावरण, सामाजिक और गवर्नेंस) या टेक सेक्टर पर फोकस, लाना बेहद मुश्किल हो गया है।

₹5,000 करोड़ का ‘एंट्री टिकट’

सेबी के नियम के अनुसार, अगर कोई इंडेक्स पर फंड लॉन्च करना है, तो उसका AUM ₹5,000 करोड़ से ज्यादा होना चाहिए। इंडेक्स के एक्टिव स्कीम्स का AUM भी इसमें जोड़ा जाएगा, लेकिन यह मापदंड अधिकांश नए इंडेक्स फंड और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) के लॉन्च को रोक देता है।

Also Read: Equity, Debt market: 2025 में कहां-कैसे बनेगा पैसा? फैक्टर इन्वे​स्टिंग की क्या है कैलकुलेशन

विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

कानूनी फर्म किंग स्टब एंड कसीवा के मैनेजिंग पार्टनर जिदेश कुमार कहते हैं, “ये नियम नए फंड हाउस को सिर्फ उन्हीं इंडेक्स की स्ट्रैटेजी कॉपी करने पर मजबूर कर देंगे, जो पहले से ही मार्केट में हैं। इससे नए और उभरते सेक्टर्स पर फोकस्ड फंड्स के लिए जगह नहीं बचेगी।”

एक सीनियर म्यूचुअल फंड एग्जीक्यूटिव ने भी सवाल उठाया कि जब इंडस्ट्री में पहले से ही डाइवर्सिफिकेशन के नियम मौजूद हैं, तो ₹5,000 करोड़ का AUM मापदंड क्यों जोड़ा गया है?

मौजूदा स्थिति

फिलहाल सिर्फ 10 इंडेक्स हैं, जिनका AUM ₹5,000 करोड़ से ज्यादा है। इनमें निफ्टी 50, सेंसेक्स, बैंक निफ्टी, और निफ्टी 200 मोमेंटम 30 जैसे बड़े नाम शामिल हैं। आईटी, फार्मा और हेल्थकेयर जैसे कुछ सेक्टोरल इंडेक्स भी क्वालिफाई कर सकते हैं, क्योंकि ये कई एक्टिव फंड्स के बेंचमार्क हैं।

इंटरनेशनल फंड्स के लिए क्या है?

इंटरनेशनल फंड्स के लिए भी सख्त नियम तय किए गए हैं। AUM की सीमा $20 बिलियन रखी गई है और इंडेक्स को इंडस्ट्री में स्टैंडर्डाइज और ब्रॉड-बेस्ड होना जरूरी है।

सेबी का मकसद और दुविधा

सेबी का दावा है कि MF Lite फ्रेमवर्क नए प्लेयर्स के लिए बाजार में एंट्री आसान करेगा, अनुपालन नियमों को कम करेगा और इनोवेशन को बढ़ावा देगा। लेकिन इसके मौजूदा नियम, खासकर ₹5,000 करोड़ AUM की बाध्यता, कई विशेषज्ञों को उलझन में डाल रही है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि MF Lite फ्रेमवर्क वास्तव में इनोवेशन और निवेशकों के लिए नए विकल्प लाता है या सिर्फ पुराने इंडेक्स की कॉपी बनकर रह जाता है।

First Published - January 1, 2025 | 8:16 PM IST

संबंधित पोस्ट