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F&O सौदों में छोटे निवेशकों को जागरूक बनाएगा सेबी

Last Updated- January 25, 2023 | 10:55 PM IST
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भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बुधवार को कहा कि उसने वायदा एवं विकल्प (F&O) खंड में कारोबार करने वाले छोटे निवेशकों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा नियम लागू करने की योजना बनाई है। नियामक द्वारा कराए गए एक अध्ययन के बाद यह कदम उठाया जा रहा है। इस अध्ययन से पता चला है कि कुछ निवेशकों को एफऐंडओ सेगमेंट में भारी नुकसान हुआ है।

वित्त वर्ष 2021-22 में, करीब 90 प्रतिशत सक्रिय कारोबारियों को औसत तौर पर 125,000 रुपये का नुकसान हुआ। इसके अलावा, इन 90 प्रतिशत कारोबारियों का औसत शुद्ध नुकसान, मुनाफा कमाने वाले 10 प्रतिशत कारोबारियों के शुद्ध लाभ से 15 गुना अधिक था।

अध्ययन की रिपोर्ट से एफऐंडओ कारोबारियों के बीच असमानता का पता चलता है। इससे उस धारणा के विफल साबित होने का भी संकेत मिलता है कि ज्यादातर छोटे निवेशक एफऐंडओ सेगमेंट में जल्द पैसा कमाने का माध्यम समझते हैं। सेबी ने अपनी एक विज्ञप्ति में कहा है, ‘समय समय पर आंकड़े के विश्लेषण और इस तरह के खुलासे से बाजार जोखिमों के बारे में निवेशक जागरूकता बढ़ सकती है।’

नियामक ने घोषित किए जाने वाले अपने अतिरिक्त उपायों के बारे में अभी जानकारी नहीं दी है। बाजार कारोबारियों का कहना है कि नए दिशा-निर्देशों में एफऐंडओ सेगमेंट के लिए निवेशकों की जागरूकता समझना, ट्रेडिंग एक्सपोजर को नेटवर्थ से जोड़ना और अपने ग्राहकों के लिए ब्रोकरों द्वारा सतर्कता बढ़ाना शामिल हो सकते हैं। अध्ययन में इक्विटी एफऐंडओ के कुल ग्राहक कारोबार में दो-तिहाई से ज्यादा योगदान देने वाले शीर्ष-10 ब्रोकरों का आंकड़ा शामिल है।

अध्ययन के नमूने में शामिल इन ब्रोकरों के खास व्यक्तिगत कारोबारियों की कुल संख्या वित्त वर्ष 2022 में पांच गुना बढ़कर 45.2 लाख हो गई, जो वित्त वर्ष 2019 में 7.1 लाख थी। इन 45 लाख कारोबारियों में से 88 प्रतिशत सक्रिय हैं।

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अध्ययन से पता चला है कि युवा कारोबारियों की भागीदारी भी तेजी से बढ़ी है। कारोबारियों की भागीदारी 20-30 वर्ष के उम्र वर्ग में वित्त वर्ष 2022 में 36 प्रतिशत बढ़ी, जो वित्त वर्ष 2019 में महज 11 प्रतिशत थी। कमाई के मामले में इस उम्र वर्ग का 32 प्रतिशत योगदान रहा।

अध्ययन से एफऐंडओ सेगमेंट में भागीदारी करने वाले पुरुष-महिला कारोबारियों के अनुपात में अंतर का भी पता चला है। महिला कारोबारियों की भागीदारी वित्त वर्ष 2019 के 16 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 19 प्रतिशत हो गई।

First Published - January 25, 2023 | 10:55 PM IST

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