भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उन निवेशकों के लिए एक नए तरह का निवेश विकल्प लाने का प्रस्ताव दिया है, जो बाजार में जोखिम उठाकर ज्यादा कमाई करना चाहते हैं। अभी पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएं (पीएमएस) या वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) बहुत महंगे हैं।
अभी तक इस नए प्रोडक्ट का नाम नहीं रखा गया है और इसमें निवेश करने के लिए कम से कम 10 लाख रुपये लगाने होंगे। यह सीमा पीएमएस (50 लाख रुपये) और एआईएफ (1 करोड़ रुपये) से काफी कम है। वहीं, म्यूचुअल फंड (एमएफ) में तो सिर्फ 100 रुपये से भी निवेश शुरू किया जा सकता है।
नए निवेश के तरीके में होगा ज्यादा रिस्क
सेबी का कहना है कि वो एक नए तरह का निवेश का तरीका लाना चाहता है। इसमें ज्यादा पैसा लगाना होगा और ज्यादा रिस्क भी रहेगा। ये इसलिए लाया जा रहा है ताकि लोग जोखिम वाले गलत निवेश ना करें। नया तरीका ना तो म्यूचुअल फंड जैसा होगा ना ही प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट जैसा, बल्कि दोनों के बीच का रास्ता होगा।
सेबी को लगता है कि अभी तक ऐसा कोई निवेश का तरीका नहीं है जिसमे थोड़ा ज्यादा रिस्क लेकर ज्यादा कमाई की जा सके। इसी का फायदा उठाकर गलत लोग ज्यादा मुनाफे का झांसा देकर लोगों को ठग लेते हैं। इसलिए सेबी एक नया तरीका ला रहा है। ये तरीका म्यूचुअल फंड जैसा होगा लेकिन थोड़ा ज्यादा जोखिम वाला होगा। इसमें शेयर बाजार के कुछ ऐसे तरीकों का इस्तेमाल भी किया जा सकेगा जो आम तौर पर म्यूचुअल फंड में इस्तेमाल नहीं होते।
उदाहरण के तौर पर, म्यूचुअल फंड सिर्फ शेयरों को गिरने से बचाने के लिए ही एक अलग तरह का दांव लगा सकते हैं (जिसे “हेजिंग” कहते हैं)। वहीं, नया तरीका शायद सीधे शेयरों के ऊपर या नीचे जाने का दांव लगाने की इजाजत देगा (जिसे “नेकेड पोजिशन” कहते हैं)। इससे ज्यादा फायदा हो सकता है, लेकिन ज्यादा नुकसान का भी रिस्क है।
इसी तरह, नए तरीके में सरकारी बॉन्ड या रीट और इनविट में निवेश की सीमाएं शायद थोड़ी ढीली होंगी, मतलब आप इनमें थोड़ा ज्यादा पैसा लगा सकेंगे।
निवेश के बाकी विकल्पों के अलग होगा निवेश का नया तरीका
सेबी इस नए निवेश तरीके को म्यूचुअल फंड और बाकी निवेश विकल्पों से अलग दिखाना चाहता है ताकि लोग इसे गलत न समझें। उन्होंने कहा है कि इस नए तरीके का एक अलग नाम होगा ताकि ये साफ हो कि ये ना तो म्यूचुअल फंड है और ना ही प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट, एआईएफ, रीट या इनविट जैसा कोई दूसरा मौजूदा निवेश है।
सेबी ने ये बताया है कि कौन सी कंपनियां इस नए निवेश तरीके की पेशकश कर सकती हैं। इसके लिए सिर्फ वही कंपनियां योग्य होंगी जो कम से कम 3 साल से चल रही हैं और जिनके पास 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति का प्रबंधन का अनुभव है।
अगर कोई कंपनी इन शर्तों को पूरा नहीं करती तो भी वो कुछ और शर्तें पूरी करके आवेदन कर सकती है। इसके लिए उस कंपनी को ऐसे मुख्य निवेश अधिकारी को नियुक्त करना होगा जिसके पास कम से कम 10 साल का फंड मैनेजमेंट का अनुभव हो और कम से कम 5,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का प्रबंधन करने का अनुभव हो। साथ ही, उन्हें नए निवेश तरीके के लिए एक और फंड मैनेजर की नियुक्ति भी करनी होगी जिसके पास कम से कम 7 साल का फंड मैनेजमेंट का अनुभव हो और कम से कम 3,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का प्रबंधन करने का अनुभव हो।
सेबी ने लोगों से इस नए निवेश विकल्प के बारे में 6 अगस्त तक सुझाव मांगे हैं।
भारतीय निवेश लैंडस्केप में बदलाव
ये नया निवेश विकल्प ऐसे समय में लाया जा रहा है जब ज्यादा से ज्यादा भारतीय अपनी बचत को शेयर बाजार आदि में लगा रहे हैं, और सोने या जमीन जैसे पारंपरिक निवेश पर निर्भर कम हो रहे हैं।
एक निवेश कंपनी की मुखिया राधिका गुप्ता का कहना है, “आखिरकार भारत अलग-अलग तरह के निवेश के तरीकों को अपना रहा है। अब निवेश करने के कई रास्ते हैं, हर किसी के लिए कोई ना कोई तरीका सही हो सकता है।” उनका मानना है कि भविष्य में निवेश कंपनियां एक ही तरीके पर निर्भर रहने के बजाय अलग-अलग तरह के निवेश के विशेषज्ञों को साथ लाएंगी।