शेयर बाजारों में इश्यू के बंद होने और सूचीबद्ध होने के बीच के समय को कम करने के लिए बैंक चेक के निपटारे के लिए इलेक्ट्रॉनिक क्लियरेंस सिस्टम (ईसीएस) का इस्तेमाल कर सकते हैं।
शुक्रवार को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्राथमिक बाजार सलाहकार समिति की बैठक हुई थी। बैठक में शेयर बाजार में आईपीओ की प्रक्रिया में तेजी लाने से जुड़ी कुछ समस्याओं पर चर्चा की गई । उल्लेखनीय है कि प्राथमिक बाजार में चेक संबंधी काम को पूरा होने में कम से कम तीन दिन लगता है। मान लिया जाए कि इश्यू सप्ताह के शुक्रवार को बंद होता है। तब चेक की प्रक्रिया को पूरा होने में और भी वक्त लग जाएगा।
हालांकि विशेषज्ञों ने बताया, ”समय सीमा कम करने के लिए आवेदन पत्र में कुछ आवश्यक सूचनाएं भरने के लिए खाने बने होतें हैं। उदाहरण के लिए उस आवेदन पत्र में पैन कार्ड नंबर के लिए खाना बना होता है। इसी के साथ ही आवेदक को अपने पिता का नाम और निवास स्थान आदि के बारे में भी बताना होता है।”
यह भी विदित है कि आईपीओ प्रक्रिया में देरी को कम करने के लिए संस्थागत निवेशकों, जिसे क्वालिफाइड इंस्टीटयूशनल बायर (क्यूआईबी) भी कहा जाता है, को शेयरों के लिए आवेदन करते वक्त पूरी राशि चुकानी पड़ सकती है।
उल्लेखनीय है कि इस वक्त क्यूआईबी को शेयरों के लिए आवेदन भरते वक्त कुल राशि का सिर्फ 10 फीसदी ही चुकाना पड़ता है। इसमें कोई शक नहीं क्यूआईबी पर इस तरह के प्रावधानों को लागू करने से उन निवेशकों पर पाबंदी लगाना आसान होगा जो अधिक अधिक शेयर अपने पास जमा करते हैं।
वर्तमान में आईपीओ के शेयर के इश्यू बंद होने में 21 दिन लग जाते हैं। हालांकि कुछ विशिष्ट आईपीओ ऐसे भी होते हैं जिनका डाटा इंट्री तीन चरणों में पूरा होता है।