कैलेंडर वर्ष 2024 के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया करीब-करीब स्थिर रहा है और अब तक महज 0.59 प्रतिशत की गिरावट आई है, वहीं यूरो और पाउंड के मुकाबले रुपये में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है।
यूरो और पाउंड के मुकाबले रुपये की कीमत में इस साल अब तक क्रमशः 1.6 प्रतिशत और 5.6 प्रतिशत की गिरावट आई है, क्योंकि ये मुद्राएं इस अवधि के दौरान डॉलर के मुकाबले मजबूत हुई हैं। चालू कैलेंडर वर्ष में डॉलर के मुकाबले यूरो 1 प्रतिशत और पाउंड 5 प्रतिशत मजबूत हुआ है।
करूर वैश्य बैंक के ट्रेजरी के प्रमुख वीआरसी रेड्डी ने कहा, ‘अन्य केंद्रीय बैंकों की तुलना में अमेरिकी फेडरल रिजर्व तेजी से दरों में कटौती कर रहा है और मौद्रिक नीति में ढील दे रहा है, जिसकी वजह से यूरो और पाउंड दोनों मुद्राएं डॉलर के मुकाबले मजबूत हुई हैं।’
रेड्डी ने कहा, ‘डॉलर कमजोर होने की यही वजह है. हम देख रहे हैं कि डॉलर इंडेक्स 100 के निकट है, जबकि पहले का स्तर 105 के करीब था।’
डॉलर सूचकांक से इस बास्केट में शामिल मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत का पता चलता है, जिसमें चालू कैलेंडर साल में 0.94 प्रतिशत गिरावट आई है। शुक्रवार को यह 100.38 पर बंद हुआ था।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा कोविड-19 महामारी के बाद पहली बार ब्याज दर में कटौती करने से डॉलर कमजोर हुआ है। फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 50 आधार अंक की कटौती की है।
सीआर फॉरेक्स में प्रबंध निदेशक अमित पाबरी ने कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक डॉलर के मुकाबले रुपये को स्थिर रखने के लिए समय समय पर हस्तक्षेप करता है, जिसके कारण रुपया स्थिर रहा है। बहरहाल केंद्रीय बैंक यूरो और पाउंड के मामले में कभी हस्तक्षेप नहीं करता, जिसका असर दिख रहा है।’
5 सितंबर को डॉलर के मुकाबले रुपया 83.99 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर चला गया था। उसके बाद विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर बेचकर रिजर्व बैंक ने हस्तक्षेप किया, जिससे 84 रुपये प्रति डॉलर तक गिरावट से रुपये को रोका जा सका।
वित्त वर्ष 2023-24 में डॉलर के मुकाबले रुपया एशिया की मुद्राओं में हॉन्गकॉन्ग डॉलर और सिंगापुर डॉलर के बाद तीसरी सबसे स्थिर मुद्रा रही है, जिसकी प्रमुख वजह समय पर रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप है। रुपये में साल के दौरान 1.5 प्रतिशत की गिरावट आई थी, जबकि इसके पहले के वित्त वर्ष 2023 में 7.8 प्रतिशत गिरावट आई थी। इसके साथ ही कैलेंडर वर्ष 2023 में रुपये ने डॉलर के मुकाबले उल्लेखनीय स्थिरता दिखाई है और करीब 3 दशक की तुलना में सबसे कम उतार-चढ़ाव रहा है।
डॉलर के मुकाबले रुपये में 0.5 प्रतिशत की मामूली गिरावट आई। इसके पहले 1994 में डॉलर के मुकाबले इससे अधिक स्थिरता दिखी थी, जब रुपया 0.4 प्रतिशत मजबूत हुआ था।