अमेरिका में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई मार्च में अनुमान से ज्यादा 3.5 फीसदी रही (बाजार को इसके 3.4 फीसदी रहने का अनुमान था)। इस कारण शुक्रवार को रुपये और सरकारी बॉन्डों में कमजोरी दर्ज की गई।
अमेरिकी ट्रेजरी प्रतिफल में इजाफे से संकेत लेते हुए 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड का यील्ड 7 आधार अंक चढ़कर करीब दो महीने की ऊंचाई पर पहुंच गया। 10 वर्षीय बॉन्ड 7.18 फीसदी पर बंद हुआ जो 24 जनवरी के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है जबकि गुरुवार को यह 7.11 फीसदी रहा था। बेंचमार्क यील्ड अप्रैल में अब तक 12 आधार अंक चढ़ा है। बॉन्ड यील्ड एवं कीमत एक दूसरे से विपरीत दिशा में चलते हैं।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप के उपाध्यक्ष नवीन सिंह ने कहा कि यह 7.20 फीसदी से ऊपर नहीं जाएगा। बॉन्डों की बिकवाली की कोई स्थानीय वजह नहीं है। उनके अनुसार बड़ी बिकवाली के लिहाज से बाहरी कारकों की अपनी सीमाएं होती हैं। अगर भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई ज्यादा है तो हमारे सामने बड़ी चुनौती हो सकती है। जब तक भारत में महंगाई का यह आंकड़ा सुरक्षित दायरे में है तो यह उम्मीद के मुताबिक ही रहेगा। मुझे नहीं लगता कि कोई बड़ी बिकवाली होगी। इसकी कोई वजह नहीं दिखती कि बाजार क्यों अमेरिका में जो हो रहा है, उससे संकेत ले रहा है।
रुपये में 23 आधार अंक की नरमी आई और जून में यूरोपीय केंद्रीय बैंक की तरफ से ब्याज कटौती के अनुमानों के बीच डॉलर इंडेक्स मजबूत होकर 105.82 पर पहुंच गया। महंगाई के आंकड़े के बाद अमेरिका में ब्याज कटौती की संभावना धूमिल पड़ी है। शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 83.42 पर टिका जो गुरुवार को 83.19 पर रहा था। स्थानीय मुद्रा में हफ्ते के दौरान 0.1 फीसदी की गिरावट आई।
एलकेपी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (शोध विश्लेषक – कमोडिटी व करेंसी) जतिन त्रिवेदी ने कहा कि डॉलर इंडेक्स चढ़ने से रुपया समेत सभी मुद्राओं में कमजोरी आई। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती रुपये को सहारा दे सकती है। ऐसे में रुपये की चाल 83.15 से 83.55 प्रति डॉलर के बीच रह सकती है।
सीएमई के फेडवॉच टूल के मुताबिक सिर्फ 25 फीसदी ट्रेडरों को उम्मीद है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व जून में ब्याज दर में कटौती करेगा।
बाजार भागीदारों ने बताया कि सरकारी बैंकों ने कारोबारी सत्र के आखिर में केंद्रीय बैंक की तरफ से डॉलर की बिकवाली की जिससे रुपये को नए निचले बंद स्तर पर जाने से रोकने में मदद मिली। भारतीय मुद्रा ने 22 मार्च को डॉलर के मुकाबले 83.43 के निचले स्तर को छुआ था। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 648.5 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर है जो किसी उतारचढ़ाव के समय बचाव के तौर पर काम करता है।
इसके अलावा पश्चिम एशिया में ईरान, इजरायल और हमास के बीच तनाव के कारण ब्रेंट क्रूड की कीमतें उच्चस्तर पर पहुंच गईं। इसकी कीमत 90 डॉलर से ऊपर रही।